ब्रिटेन में प्रधानमंत्री (British Prime Minister) पद के लिए हुए चुनाव का परिणाम आ गया है. लिज ट्रस ब्रिटेन की प्रधानमंत्री बन गई हैं. उन्होंने भारतीय मूल के ऋषि सुनक को हरा दिया. ऐसे में समझते हैं कि आखिर ऋषि सुनक को हार का सामना क्यों करना पड़ा?
रिपोर्ट के मुताबिक लिज ट्रस के जीत की उम्मीद ज्यादा पहले से ही थी. वो ऐसे वक्त में देश की सत्ता संभालने के लिए तैयार हैं जब देश को रोजगार संकट, औद्योगिक अशांति और मंदी का सामना करना पड़ रहा है.
YouGov पोल के मुताबिक 20-21 जुलाई के बीच पहले दौर में लिज ट्रस ने ऋषि सुनक के खिलाफ 62% की शुरुआती बढ़त हासिल की, जो 29 जुलाई से 2 अगस्त तक बढ़कर 69% हो गई और 17 अगस्त तक 66% हो गई. दिलचस्प बात यह है कि 2020 में ऋषि सुनक की लोकप्रियता 41% थी जो 2022 में घटकर 26% रह गई है.
लिज ट्रस से क्यों हारे ऋषि सुनक?
बोरिस जॉनसन के पीएम पद से इस्तीफा देने के कुछ घंटों बाद ऋषि सुनक का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए चर्चा में आ गया था लेकिन अब लिज ट्रस ने उन्हें हरा दिया है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चुनाव अभियान के दौरान देश के मुद्दों को लेकर ऋषि सुनक जनता को ज्यादा प्रभावित नहीं कर पाए जबकि कंजर्वेटिव पार्टी से ही उनकी प्रतिद्वंदी लिज ट्रस ऐसा करने में सफल बताई जा रही हैं.
क्यों घटी ऋषि सुनक की लोकप्रियता?
1. टैक्स पर टंटा
लिज ट्रस ने टैक्स में कटौती करने के वादे पर चुनाव लड़ा है. उन्होंने पीएम बनने पर टैक्स में 1.25 फीसदी तक की कटौती करने का वादा किया है, जबकि ऋषि सुनक इसके उलट टैक्स बढ़ाने पर जोर देते रहे हैं.
ऋषि सुनक ने कहा है कि टैक्स कटौती से सिर्फ अमीरों को फायदा होगा, इसलिए इसकी जरूरत नहीं है. उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि वह झूठे वादे करने के बजाय हारना पसंद करेंगे. उन्होंने अपने बयान में वादा किया था कि मैं अगर प्रधानमंत्री बनता हूं तो आर्थिक तौर पर कमजोर तबके के लोगों के लिए काम करना चाहूंगा.
सुनक ने कहा था कि पीएम बनने के बाद वो उन परिवारों की मदद करेंगे, जो बढ़े हुए बिजली बिलों को लेकर परेशान हैं. ऋषि सुनक पूरे चुनावी अभियान में मंहगाई के मुद्दे पर ज्यादा जोर देते हुए देखे गए.
2. 'गद्दारी' का आरोप
द गार्डियन के एडिटोरियल के मुताबिक ट्रेड मिनिस्टर के तौर पर इस्तीफा देने के बाद ऋषि सुनक की रेटिंग काफी ज्यादा थी, लेकिन कुछ कंजर्वेटिव सांसद और पार्टी मेंबर्स मान रहे थे कि सुनक की वजह से ही जॉनसन को इस्तीफा देना पड़ा. उन्हें पीठ में छुरा घोंपने वाला तक कहा गया. सुनक ही वो शख्स थे, जिन्होंने एक तरह से बोरिस जॉनसन का तख्तापलट किया. वो भी तब जबकि जॉनसन ने ही सुनक के पॉलिटिकल कॅरियर को आगे बढ़ाया था. इन तमाम वजहों से लोगों में सुनक के खिलाफ नाराजगी देखी जा रही है.
कंजर्वेटिव पार्टी के लगभग 1,60,000 सदस्यों का वोट हासिल करने के लिए सुनक और ट्रस का कई बार सामना हुआ. लेकिन सर्वे के परिणामों से पता चल रहा है कि ऋषि सुनक पार्टी सदस्यों का वोट हासिल करने में कामयाब नहीं हो सके हैं.
3. 'अपनों' ने साथ नहीं दिया
बता दें कि शुरुआत में ‘रेडी फॉर ऋषि’ नाम के कैंपेन वीडियो के बाद तस्वीर बदली हुई दिख रही थी और अनुमान लगाया जा रहा था कि सुनक जीत हासिल कर सकते हैं. लेकिन जल्द ही पार्टी के सदस्य उनका साथ छोड़ते हुए दिखे. साजिद जाविद, नादिम जहावी और मोर्डंट जैसे सांसदों ने अपना पाला बदल लिया.
4. अमेरिकी नागरिकता नहीं छोड़ने का मामला
The Sunday Times की रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव कैंपेन के शुरुआती दौर में एक वीडियो सामने आया था, जिसके बाद ऋषि सुनक पर आरोप लगा कि उन्होंने शहरी इलाकों के लोगों से कैम्पेन के लिए आर्थिक मदद ली है. यह भी कहा गया कि पत्नी अक्षता तो ब्रिटिश क्वीन एलिजाबेथ से भी अमीर हैं, उनके पास 430 लाख पाउंड के एसेट्स हैं.
पिछले दिनों विपक्षी लेबर पार्टी ने एक बयान में कहा था कि ऋषि सुनक और पत्नी को बिजनेस और लोन के बारे में ज्यादा पारदर्शी होना चाहिए.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ऋषि सुनक जब अमेरिका से ब्रिटेन लौटे तो उन्होंने वहां का ग्रीन कार्ड सरेंडर नहीं किया. 2006 से 2009 तक वो अमेरिका में काम करते रहे, कैलिफोर्निया में अब भी उनका 5 लाख पाउंड का आलीशान पेंटहाउस मौजूद है.
खुद पर तमाम तरह के आरोप लगने के बाद से ऋषि सुनक तनाव में थे. इसके बाद उन्होंने यह बात मानी थी कि वित्त मंत्री बनने के 18 महीने बाद तक उनके पास अमेरिकी ग्रीन कार्ड था, लेकिन अक्टूबर 2021 में उन्होंने यह स्टेटस लौटा दिया.
The Mirror के एडिटोरियल में लिखा गया कि ऋषि सुनक एक उलझे हुए शख्स हैं. उन्होंने गरीबों पर तो टैक्स का बोझ डाल दिया, लेकिन उनकी पत्नी अब तक टैक्स नहीं दे रही हैं.
5. पत्नी पर टैक्स न देने का आरोप
द गार्डियन की एक रिपोर्ट में कहा गया कि सुनक बताएं कि क्या उनके पास 730 लाख पाउंड के एसेट्स हैं, अगर ये सही है तो वो ब्रिटेन के सबसे अमीर सांसद हैं. उनकी पत्नी अक्षता के पास इन्फोसिस जैसी कंपनी में 690 लाख पाउंड के 0.93% शेयर हैं.
इस रिपोर्ट में कहा गया कि अक्षता सिर्फ इतना बताएं कि उन्होंने अब तक ब्रिटिश सिटिजनशिप क्यों नहीं ली? वो यहां से बिजनेस तो ऑपरेट करती हैं, लेकिन नॉन डोमिसाइल स्टेटस का फायदा उठाकर टैक्स भरने से बचती हैं. इससे देश को हर साल लगभग 20 लाख पाउंड का नुकसान होता है.
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