कनाडा (Canada) के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो (Justin Trudeau) ने सोमवार को तालिबान पर बड़ा बयान दिया. मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि कनाडा पहले से ही लंबे समय से यह मानता रहा है कि तालिबान आतंकवादी हैं और आतंकवादियों को पनाह देते हैं. इसलिए वे आतंकवादी सूची में हैं. और हम उनपर प्रतिबंध लगाने के बारे में सोच सकते हैं.
मंगलवार को जी-7 समूह के देशों कनाडा, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका के नेता अफगानिस्तान पर बात करने के लिए वर्चुअल मीटिंग में शामिल होंगे.
ट्रूडो ने कहा कि वह जल्द ही जी-7 साथियों के साथ बातचीत के इंतजार में हैं, क्योंकि हमें देखना है कि हम इस मुद्दे पर और क्या कर सकते हैं.
G7 की Rotating Presidency करने वाले देश ब्रिटेन ने कहा है कि मौजूदा प्रतिबंधों से तालिबान को राहत मिलेगी या नहीं, ये उसके व्यवहार पर निर्भर करेगी.
तालिबान लगभग 20 सालों के बाद अगस्त के मध्य में सत्ता में आया. इसके लगभग 20 साल पहले 2001 में अफगानिस्तान पर अमेरिका के आक्रमण करने के बाद तालिबान का शासन खत्म हो गया था.
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के द्वारा दी गई 31 अगस्त की डेडलाइन से पहले अमेरिकी सेनाएं लगभग 10 हजार लोगों को निकालने की कोशिश में है.
लेकिन यूरोपीय यूनियन और ब्रिटेन ने कहा कि तब तक सभी को बाहर निकाल पाना असंभव होगा, इसलिए जो बाइडेन को समय सीमा बढ़ाने का दबाव है. ब्रिटेन ने सोमवार को कहा कि वह संयुक्त राज्य अमेरिका से समय सीमा के विस्तार करने का आग्रह करेगा.
डेडलाइन के संबंध में ट्रूडो ने अपना स्टैंड नहीं स्पष्ट किया. उन्होंने कहा कि कनाडा का ध्यान अधिक से अधिक अफगानों को सुरक्षित बाहर निकालने पर है.
कनाडा के वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने सोमवार को कहा कि काबुल में एयरपोर्ट के पास स्थिति अस्थिर और अराजकपूर्ण बनी हुई है, जहां तालिबानी सत्ता से डरे हुए हजारों अफगान कई दिनों तक एकत्रित हुए देखे गए.
तालिबान द्वारा अफगान राजधानी पर कब्जा करने के बाद कनाडा ने पहली बार गुरुवार को काबुल के लिए फ्लाइट्स फिर से शुरू की.
चार फ्लाइट काबुल से कनाडा के लिए रवाना हुई हैं, जिनमें से सबसे बाद में आई फ्लाइट रविवार को 436 कनाडाई नागरिकों और अफगान नागरिकों को ले गई.
कनाडा के अधिकारियों ने बताया कि New Special Immigration Program के तहत करीब 900 अफगान कनाडा पहुंचे हैं. कनाडा ने हाल ही में कार्यक्रम के तहत 20 हजार अफगान शरणार्थियों को वापस लाने का संकल्प लिया है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)