ADVERTISEMENTREMOVE AD

NSG में भारत की एंट्री पर चीन का अड़ंगा बरकरार, अगले महीने बैठक

भारत ने सदस्यता हासिल करने के लिए अपनी कोशिशें फिर से शुरू कर दी हैं.

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप (NSG) का अगला अधिवेश जून के महीने में स्विट्जरलैंड की राजधानी बर्न में होने जा रहा है. चीन के लगातार विरोध के बाद इस ग्रुप में भारत के एंट्री की संभावना कम ही दिख रही है.

भारत ने इस ग्रुप में एंट्री के लिए पिछले साल मई में आधिकारिक रूप से आवेदन किया था. इसके बाद पिछले साल ही जून में 'सोल' में आयोजित एनएसजी अधिवेशन में ये मुद्दा चर्चा के लिए पेश हुआ. लेकिन इसका कोई खास नतीजा नहीं निकला क्योंकि चीन ने भारत की कोशिश में अड़ंगा डाल दिया. चीन का कहा था कि भारत ने परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं.

बता दें कि NSG का मकसद परमाणु सामाग्रियों, उपकरणों और टेक्नॉलजी के आयात पर नियंत्रण रखना है. इस ग्रुप में दुनिया के 48 देश शामिल हैं.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

भारत ने शुरू कर दी है तैयारी

आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि एनएसजी के अगले अधिवेशन से पहले भारत ने सदस्यता हासिल करने के लिए अपनी कोशिशें फिर से शुरू कर दी हैं. उसने सभी सदस्य देशों से बात की है. अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रुस जैसे अन्य प्रमुख देशों से भारत को हिमायत मिलने के बावजूद चीन अब भी अपने रुख पर अड़ा है.

एनएसजी में प्रवेश के लिए चीन दो चरण वाली प्रक्रिया पर जोर दे रहा है. एनपीटी पर दस्तखत नहीं करने वाले देशों के दाखिले के लिए इनमें एक कसौटी- दाखिले का मानक तय करना शामिल है.

चीन भारत के मामले की तुलना पाकिस्तान से भी करता है. पाकिस्तान ने भी एनएसजी की सदस्यता के लिए आवेदन किया है.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एनएसजी में भारत की सदस्यता का मुद्दा बर्न बैठक में भी चर्चा में आने की उम्मीद है, लेकिन हालात वैसी ही बनी हुई है.

चीन के राजदूत लुओ झाओहुइ ने पिछले महीने एक कार्यक्रम में संकेत दिया था एनएसजी की सदस्यता के लिए भारत की कोशिशों पर उनके देश के रुख में कोई फर्क नहीं आया है. उन्होंने कहा था,

एनएसजी मुद्दे पर हम ये मानते हुए किसी देश की सदस्यता का विरोध नहीं करते कि पहले दाखिले के लिए किसी मानक पर सहमत होना जरुरी है.

भारत ने लगातार कहा है कि चीन ‘एक देश' है जो उसकी कोशिशों को रोक रहा है.

बता दें कि पिछले साल दोनों पक्षों ने बातचीत के दो दौर चलाए थे. चीन के परमाणु वार्ताकार वांग छुन और भारत के तत्कालीन परमाणु निशस्त्रीकरण सचिव अमनदीप सिंह गिल ने 13 सितंबर और 31 अक्तूबर को बातचीत की थी.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×