चीन का रियल एस्टेट मार्केट (China Real Estate market Crisis) अभी खतरनाक मंदी के दौर से गुजर रहा है और इसने कई खरीदारों को हतोत्साहित किया है. अब हालत यह है कि मंदी से जूझ रहे डेवलपर्स ने घर के बदले पेमेंट के रूप में तरबूज, आड़ू (पीच) और अन्य कृषि उत्पादों को स्वीकार करना शुरू कर दिया है.
चीन की सरकारी मीडिया- ग्लोबल टाइम्स ने अपने रिपोर्ट में लिखा है कि
"चीनी तीसरे और चौथे स्तर (टियर) के शहरों में रियल एस्टेट डेवलपर्स ने हाल में कई प्रमोशनल कैंपेन शुरू किए हैं, जिसमें घर खरीदारों को अपने डाउन पेमेंट का हिस्सा भुगतान करने के लिए गेहूं और लहसुन भी देने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. डेवलपर्स को उम्मीद है कि किसानों को अतिरिक्त कृषि उत्पाद बेचने के बदले इस तरह नए बने-बनाए घरों को खरीदने के लिए आकर्षित किया जा सकेगा."
डेवलपर्स ने दिया 20 युआन प्रति किलो के दर पर तरबूज से पेमेंट का ऑफर, बाद में कैंपेन सस्पेंड किया
ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार पूर्वी चीन के Jiangsu प्रांत के Nanjing में एक रियल एस्टेट डेवलपर ने एक असामान्य मार्केटिंग रणनीति शुरू की, जिससे घर खरीदारों के लिए 20 युआन प्रति किलोग्राम की दर से तरबूज से पेमेंट भुगतान करने का ऑफर दिया गया.
मालूम हो कि युआन चीन की मुद्रा है. ठीक वैसेही जैसे भारत की मुद्रा रुपया है.
28 जून से 15 जुलाई तक शुरू होने वाले प्रमोशनल कैंपेन के लिए एक पोस्टर में लिखा था कि रियल एस्टेट डेवलपर घर खरीदारों को अधिकतर 5,000 किलोग्राम तरबूज (जिसका मूल्य 100,000 युआन हुआ) के रूप में पेमेंट करने की अनुमति देता है. साथ ही लिखा गया कि इसका उद्देश्य स्थानीय तरबूज किसानों को समर्थन देना है.
हालांकि रिपोर्ट के अनुसार इस रियल एस्टेट की कंपनी के एक प्रतिनिधि ने बाद में बताया कि हेडक्वाटर के आदेश के बाद इस विचित्र प्रमोशनल कैंपेन को सस्पेंड कर दिया गया है. प्रतिनिधि ने कहा कि "हमें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से ऐसे सभी पोस्टर हटाने के लिए कहा गया है".
चीन में रियल एस्टेट सेक्टर की हालत खराब
न्यूज एजेंसी AFP की रिपोर्ट के अनुसार चीन के आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि चीन में होम सेल्स (घरों की बिक्री) पिछले लगातार 11 महीनों में घटी है और मई में पिछले साल के इसी महीने की तुलना में यह 31.5 प्रतिशत कम थी.
चीन में रियल एस्टेट सेक्टर को एक धीमी अर्थव्यवस्था के साथ-साथ प्रोजेक्ट शुरू होने से पहले खरीदारों से डिपॉजिट लेने पर लगे सरकारी प्रतिबंध के कारण बिल्डरों के सामने आये ऋण संकट ने प्रभावित किया है.
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