चीन ने कहा है कि भारत के साथ उसके सीमा मुद्दे को बहुत ज्यादा तूल नहीं दिया जाना चाहिए. दोनों देशों को सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए समझौते का पालन करना चाहिए.
चीनी विदेश मंत्रालय ने अरुणाचल प्रदेश से लगे सामरिक रूप से संवेदनशील आसाफिला इलाके में भारतीय सैनिकों के ‘अतिक्रमण' पर चीन की ओर से दर्ज कराए गए विरोध की खबरों पर कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं दी. लेकिन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जेंग शुआंग ने कहा कि इस मुद्दे को तूल देने के बजाय दोनों पक्ष समझौते का पालन कर सकते हैं. साथ ही कहा कि सीमा क्षेत्र में अमन-चैन बनाए रखना चाहिए.
चीन अरुणाचल को मान्यता नहीं देता
भले ही चीन ने सीमा मुद्दे पर ज्यादा आक्रामक रुख नहीं अपनाया लेकिन जेंग शुआंग ने साफ कहा कि चीन ने लगातार कहा है कि बीजिंग अरुणाचल प्रदेश को मान्यता नहीं देता. उसका दावा है कि यह दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है. जेंग ने कहा, ‘भारत-चीन सीमा पर चीन का रुख समान और स्पष्ट है. चीन की सरकार ने अरुणाचल प्रदेश को कभी मान्यता नहीं दी.
उन्होंने कहा, ‘चीन और भारत सीमा से जुड़े मुद्दों को सुलझाने और उचित और तर्कसंगत समाधान के लिए विचार-विमर्श और समझौते के तहत बातचीत के पक्ष में है. ऐसी बातचीत जो दोनों देशों को मंजूर हो.
सीमा विवाद निपटाने के लिए 20 राउंड बातचीत
भारत और चीन सीमा विवाद निपटाने के लिए अब तक 20 राउंड की बातचीत कर चुके हैं. दोनों 3488 किमी लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति रखने के लिए कई मैकेनिज्म पर काम कर चुके हैं.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता से विदेश मंत्री कांग जुआनयू के 6 अप्रैल के भारत दौरे और कुछ शीर्ष भारतीय मंत्रियों के चीन दौरे के बारे में पूछा गया. इस पर उन्होंने कहा कि चीन और भारत में आपसी बातचीत और सहयोग की रफ्तार अच्छी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जून में शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (एसीओ) समिट में हिस्सा लेने चीन जाएंगे. यह सम्मेलन चीनी शहर क्विंगदाओ में होगा.
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