भारत चीन की वजह से न्यूक्लियर्स सप्लायर ग्रुप (NSG) की सदस्यता से महरूम है. ट्रंप प्रशासन के एक सीनियर अफसर ने कहा है कि भारत में न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप की सदस्यता पाने की पूरी योग्यता है लेकिन चीन ने इस पर वीटो लगा रखा है. लेकिन अमेरिका भारत को इस ग्रुप का सदस्य बनाए जाने का समर्थन करता रहेगा.
न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप की सदस्यता के लिए भारत को अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों का समर्थन हासिल है. लेकिन चीन अपने इस रुख पर अड़ा है कि नए सदस्यों की एंट्री के लिए जरूरी है कि वह पहले परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर दस्तख्त करे. चीन की शर्त ने भारत को एनएसजी में दाखिल होने से रोक रखा है. क्योंकि भारत ने परमाणु अप्रसार संधि पर दस्तख्त नहीं किए हैं.
चीन का वीटो बना मुश्किल
अमेरिकी विदेश मंत्रालय में दक्षिण और मध्य एशिया विभाग की एलिस वेल्स ने वाशिंगटन में कहा कि न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप आपसी सहमति पर काम करने वाला संगठन है. इसमें किसी नए सदस्य की एंट्री के लिए सभी मौजूदा सदस्यों की सहमति जरूरी है. कई देश भारत की एंट्री का समर्थन करते हैं लेकिन चीन ने वीटो लगाया हुआ है. इस वजह से भारत को सदस्यता नहीं मिल रही है.
एलिस ने कहा कि भारत के साथ अमेरिका अपने संबंधों को और बढ़ाने जा रहा है. चीनी वीटो भारत-अमेरिका सहयोग में रोड़ा नहीं बन सकता.
एक सवाल के जवाब में एलिस ने कहा, ‘‘हमारा विचार है कि चीन के वीटो के कारण हम भारत के साथ अपने सहयोग को सीमित नहीं करेंगे. निश्चित तौर पर हम एसटीए के दर्जे के साथ आगे बढ़े हैं और हम मानते हैं कि भारत एनएसजी की सभी योग्यताओं को पूरा करता है तथा हम भारत की सदस्यता की सक्रियता से वकालत करते रहेंगे.
'भारत से नजदीकी सहयोग जारी रहेगा'
भारत को कूटनीतिक व्यापार प्राधिकार (एसटीए-1) का दर्जा देकर अमेरिका ने उसे अमेरिकी के निकटतम सहयोगियों की सूची में रख दिया है. विदेश विभाग की वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारत के साथ परमाणु समझौते की प्रक्रिया शुरू हुए दस साल पूरे होने वाले हैं. वेस्टिंगहाउस दिवालियापन से बाहर निकल रही है अब हमारे पास इस समझौते को पूरा करने का अवसर है जिसके तहत हमारी बड़ी कंपनियों में से एक कंपनी करोड़ों भारतीय नागरिकों को सुरक्षित और स्वच्छ ईंधन मुहैया कराएगी.
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