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मसूद अजहर नहीं घोषित हो सका ग्लोबल आतंकी, चीन ने फिर डाला अड़ंगा

अब इस बारे में फिर से लाना होगा प्रस्ताव

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आतंकी मसूद अजहर के लिए चीन ने एक बार फिर ढाल का काम किया है. जैश-ए-मोहम्मद सरगना और पठानकोट आतंकी हमले के मास्टरमाइंड अजहर को ग्लोबल आतंकवादी की सूची में डालने को लेकर अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन की पहल में चीन ने फिर अड़ंगा लगा दिया है.

चीन ने अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र में बाधित कर दिया. अब इस बारे में नया प्रस्ताव लाना पड़ेगा.

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भारत की कोशिशों पर बार-बार अड़ंगा लगाने वाले चीन ने वीटो का इस्तेमाल कर भारत की मंशा पर पानी फेर दिया. चीनी विदेश मंत्रालय के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) समिति में आम सहमति न होने की वजह से मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने का आवेदन खारिज हो गया.

चार बार से अड़ंगा लगा रहा है चीन

यह दूसरी बार है, जब चीन ने इस प्रस्ताव पर वीटो का इस्तेमाल किया है. इससे पहले उसने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अलकायदा प्रतिबंध समिति के सामने पिछले वर्ष मार्च में पहली बार भेजे गए भारतीय प्रस्ताव पर वीटो का इस्तेमाल किया था. वैसे अब तक चीन ने इस मामले में चार बार अड़ंगा लगाने का काम किया है.

दो बार वीटो के इस्तेमाल के अलावा चीन ने इस साल जनवरी में भी इस प्रस्ताव को बाधित किया था और इस पर अगस्त में तीन महीने की तकनीकी रोक लगाई थी.

चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 15 सदस्यों के बीच आम सहमति नहीं बनने और अजहर के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं होने का हवाला देकर इसे बार-बार खारिज कर रहा है. लेकिन चीन को छोड़कर बाकी सभी 14 सदस्य अमेरिका और फ्रांस के इस कदम का समर्थन कर रहे थे. साथ ही अजहर पर प्रतिबंध लगाने पर सहमत थे. लेकिन ऐन मौके पर चीन ने वीटो का इस्तेमाल कर इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया.  
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भारत ने निराशा जाहिर की

चीन के इस कदम पर भारत ने निराशा जाहिर की है. अजहर को अंतरराष्‍ट्रीय आतंकवादी की सूची में डालने को लेकर भारत और चीन बीच लगातार तनातनी बनी हुई है. विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘भारत पुरजोर तरीके से यह मानता है कि दोहरे मानदंड से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के अंतरराष्ट्रीय समुदाय के संकल्प को सिर्फ झटका ही लगेगा. अगर चीन ने इस प्रस्ताव में अड़ंगा नहीं लगाया होता, तो अब मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित कर दिया जाता.’

विदेश मंत्रालय के आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि यह बिल्कुल उसी प्रक्रिया की तरह रही, जिसमें पहले बीजिंग ने भारतीय प्रस्ताव को अपनाकर इसमें अधिकतम संभावित समय तक देरी की और फिर इसे रोक दिया.

(इनपुट IANS, PTI से)

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