कोरोना वायरस के दुनियाभर में 16 लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. संक्रमण से होने वाली मौतों की संख्या 1 लाख पहुंचने वाली है. ऐसे में जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के कोरोना वायरस ट्रैकर की एक स्टडी से कई खुलासे हुए हैं. जिन पांच देशों में मृत्यु दर सबसे ज्यादा है, वहां अच्छा और मजबूत हेल्थ सिस्टम नहीं है. इन देशों का प्रदर्शन यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम (UNDP) की ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स (HDI) रिपोर्ट में भी अच्छा नहीं रहा है.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा 27.30 फीसदी मृत्यु दर जिम्बाब्वे में है. यहां 11 केस रिपोर्ट हुए हैं और 3 मौतें हो चुकी हैं. वैश्विक दर 5.9 प्रतिशत है. जिम्बाब्वे के बाद बहामस, गुयाना, अल्जीरिया और म्यांमांर का नंबर है.
ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स (HDI) देश का हेल्थ, शिक्षा का लेवल, स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग जैसे सामाजिक और आर्थिक स्तर पर आकलन करता है. 2019 के HDI में जिम्बाब्वे ने 189 देशों के बीच 150 वीं जगह पाई थी.
जिम्बाब्वे में डॉक्टरों ने सरकार पर किया केस
कोरोना वायरस महामारी ने जिम्बाब्वे में पहले से लचर हेल्थकेयर सुविधा की और हालत खराब कर दी है. हालात इतने बुरे हैं कि जिम्बाब्वे के डॉक्टरों ने सरकार के खिलाफ मेडिकल वर्करों की सुरक्षा को लेकर केस दर्ज कर दिया था. देश में N95 मास्क, वेंटीलेटर, PPEs की काफी कमी है.
अच्छी स्वास्थ्य व्यवस्था वाले देशों का भी बुरा हाल
इटली, यूके, फ्रांस जैसे देशों का हेल्थकेयर सिस्टम अच्छा माना जाता है, लेकिन यहां भी मृत्यु दर वैश्विक औसत दर से ज्यादा ही है. इटली में ये दर 12.7 फीसदी है, वहीं फ्रांस में 10.30 फीसदी. इटली में 18,000 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं.
हालांकि इटली HDI में 29वीं रैंक पर है, लेकिन वहां मृत्यु दर का ज्यादा होना उसकी जनसंख्या की आयु से प्रभावित होती है. इटली में यूरोप की सबसे बुजुर्ग पॉपुलेशन रहती है. करीब 23 फीसदी निवासी 65 साल या उससे ज्यादा उम्र के हैं. इटली में सबसे ज्यादा मौतें 80 और 90 साल उम्र वालों में देखने को मिली है.
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