पहले ट्रेड वॉर और उसके बाद कोरोना वायरस महामारी, चीन और अमेरिका के बीच चल रही तनातनी कम नहीं हो रही है. अब डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने कहा है कि वो चीन की सभी एयरलाइन को अमेरिका में आने से रोक रहा है. ट्रांसपोर्टेशन डिपार्टमेंट का कहना है कि ये आदेश 16 जून से प्रभावी होगा, लेकिन अगर राष्ट्रपति ट्रंप चाहेंगे तो जल्दी भी लागू हो सकता है.
ट्रंप प्रशासन का कहना है कि ये आदेश चीन का अमेरिकी एयरलाइनों को अपने मार्केट में चलने की इजाजत न देने का जवाब है.
पूरा मामला क्या है?
न्यू यॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों देशों के बीच इस तनाव की जड़ चीन के एविएशन रेगुलेटर का 26 मार्च का एक आदेश है. इसके मुताबिक विदेशी एयरलाइनों की उड़ानें हफ्ते में एक तक सीमित कर दी गई थीं. हालांकि तब तक अमेरिका से चीन तक सेवा देने वाली तीनों अमेरिकी एयरलाइन कोरोना वायरस महामारी की वजह से अपनी उड़ानें रोक चुकी थीं.
अब जब कोरोना वायरस महामारी की स्थिति थोड़ी संभली तो अमेरिकी एयरलाइन डेल्टा और यूनाइटेड ने चीन में अपनी सेवा दोबारा शुरू करनी चाही. दोनों एयरलाइन ने चीन की एविएशन अथॉरिटी से इजाजत मांगी लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.
न्यू यॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट का कहना है कि अमेरिकी अधिकारियों ने 14 मई को चीनी अधिकारियों से बात भी की. अमेरिका ने चीन से कहा कि वो 1980 के एक एग्रीमेंट का उल्लंघन कर रहा है. ये एग्रीमेंट दोनों देशों के बीच उड़ान सेवा से संबंधित है.
आगे क्या होगा?
अमेरिका के ट्रांसपोर्टेशन डिपार्टमेंट का कहना है कि चीन की एविएशन अथॉरिटी अमेरिकी एयरलाइनों को उनके पुराने रूट्स पर सेवा शुरू करने की इजाजत देने में नाकाम रही है. डिपार्टमेंट ने कहा, "हालांकि हम चीन के अधिकारियों से बातचीत करते रहेंगे, जिससे अमेरिकी और चीनी एयरलाइन बिजनेस कर पाएं."
साथ ही डिपार्टमेंट ने कहा कि इस बीच वो चीन की एयरलाइन को उतनी ही पैसेंजर फ्लाइट ऑपरेट करने की इजाजत देगा, जितनी फ्लाइट्स की चीन की सरकार अमेरिकी एयरलाइन को मंजूरी देगी.
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