फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron) को 8 जून को एक शख्स ने चांटा मार दिया था. मैक्रों दक्षिणी फ्रांस में ड्रोम इलाके के दौरे पर गए थे और वहां मौजूद भीड़ से जब वो हाथ मिलाने गए, तो एक शख्स ने उन्हें थप्पड़ मार दिया. आरोपी को जेल भेज दिया गया है और पता चला है कि वो किसी संगठन से जुड़ा नहीं था. लेकिन जब इस घटना को अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव और मैक्रों की गिरती रेटिंग के संदर्भ में देखा जाए तो इसमें कुछ पैटर्न दिख सकता है.
मैक्रों ने 2017 का राष्ट्रपति चुनाव 66.1 फीसदी वोटों से जीता था. 2022 में मैक्रों के लिए लड़ाई अपना पद ही नहीं बल्कि प्रतिष्ठा बचाने की भी है.
2017 में इमैनुएल मैक्रों को लेफ्ट के वोट का एक बड़ा हिस्सा मिला था, जिसकी वजह से वो दक्षिणपंथी मरीन ला पेन को बड़े अंतर से हरा पाए थे. 2022 के चुनाव में भी पेन ही मैक्रों को चुनौती दे रही हैं और अब की बार मैक्रों की स्थिति ठीक नहीं लगती.
गिरती लोकप्रियता
इमैनुएल मैक्रों को चांटा उस समय पड़ा था, जब वो कोरोना वायरस लॉकडाउन से निकले देश के हालात का जायजा लेने निकले थे. मैक्रों के लिए ये दौरा देश की नब्ज टटोलने का मौका है कि राष्ट्रपति चुनाव से पहले जनता का मूड कैसा है.
पॉलिटिको पोल ऑफ पोल्स के मुताबिक, 2 जून तक इमैनुएल मैक्रों की अप्रूवल रेटिंग 38 फीसदी थी. वहीं, डिसअप्रूवल रेटिंग 58 फीसदी थी. मतलब कि लोग मैक्रों के काम से कम संतुष्ट हैं.
ये रेटिंग कोरोना वायरस महामारी शुरू होने के बाद से लगभग ऐसी ही रही है.
इमैनुएल मैक्रों के लिए परेशानी की बात ये है कि उनकी अप्रूवल रेटिंग दिसंबर 2017 के बाद से कभी भी डिसअप्रूवल रेटिंग से ज्यादा नहीं हुई. उस समय अप्रूवल रेटिंग 48 फीसदी थी.
दिसंबर 2018 में मैक्रों सबसे ज्यादा अलोकप्रिय थे. उस दौरान उनकी डिसअप्रूवल रेटिंग 73 फीसदी थी. ये ‘येलो वेस्ट प्रदर्शनों’ का समय था, जो कि बढ़ती तेल कीमतों की वजह से हुए थे.
चुनाव में कुछ भी हो सकता है
पॉलिटिको 2022 राष्ट्रपति चुनाव वोटिंग इंटेंशन पोल के मुताबिक, मरीन ला पेन 27 फीसदी के साथ आगे हैं. मैक्रों 25 फीसदी के साथ दूसरे नंबर पर हैं.
वहीं, अप्रैल में हुए दो पोल्स में अनुमान लगाया गया कि मैक्रों चुनाव जीत जाएंगे. Le Monde और Ipsos-Sopra Steria सर्वे का कहना है कि राष्ट्रपति चुनावों के रन-ऑफ में मैक्रों पेन को मात दे देंगे.
फ्रांस में बार-बार लॉकडाउन लगाने, धीमे कोरोना वैक्सीनेशन और हाल में हुए आतंकी हमलों की वजह से इमैनुएल मैक्रों की लोकप्रियता को काफी नुकसान हुआ है. फ्रेंच मीडिया में ये भी कहा जा रहा है कि मैक्रों का राइट और लेफ्ट में संतुलन बनाने का रवैया उनके लेफ्ट-विंग वोटरों को रास नहीं आ रहा है. ऐसे में 2022 राष्ट्रपति चुनावों में किसका पलड़ा भारी होगा, इसके बारे में पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता है.
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