ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कहा है कि ब्रिटेन में शादी वीजा पर रहने वाले सभी अप्रवासी अपनी अंग्रेजी में दो से ढाई साल के भीतर सुधार कर लें नहीं तो उन्हें ब्रिटेन से बाहर कर दिया जाएगा.
यह बदलाव इसी साल के अक्टूबर महीने से उन अप्रवासियों पर लागू होगा जो शादी वीजा पर ब्रिटेन आती हैं. प्रधानमंत्री ने स्वीकार करते हुए कहा है कि इस कार्रवाई से कई परिवार भी टूट सकते हैं.
इसके साथ ही डेविड ने यह भी कहा है कि मुस्लिम महिलाओं को स्कूल या कोर्ट जाते समय अपना चेहरा ढकने से बचना चाहिए.
मौजूदा वक्त में, पांच साल के शादी वीजा पर ब्रिटेन आने वाली महिलाओं को बुनियादी अंग्रेजी बोलना आना चाहिए. लेकिन नई योजना के मुताबिक पीएम कैमरन ने कहा है कि शादी वीजा पर ब्रिटेन आने वाली महिलाओं को दो से ढाई साल के भीतर अपनी अंग्रेजी में सुधार करना होगा नहीं तो उनके खिलाफ निर्वासन का कड़ा फैसला लेना पड़ेगा.
पीएम कैमरन की बीबीसी रेडियो 4 के साथ हुई बातचीत का अंशजब लोग शादी वीजा पर यहां आते हैं, तो उन्हें दो या ढाई साल के बाद अपनी अंग्रेजी में सुधार करना चाहिए और हम इसकी जांच करेंगे, यह महत्वपूर्ण है.
उन्होंने कहा कि “यह हमारे देश में हो रहा है और यह स्वीकार्य नहीं है. हमें हमारे सिद्धांत, उदारवाद और सहिष्णुता पर गर्व करना चाहिए. हम दुनिया में सबसे सफल सर्वजातीय और सबसे भरोसेमंद लोकतंत्र वाले देशों में से एक हैं. लोगों के बीच जो यह अलगाव फैल रहा है, यह ब्रिटिश मूल्यों के अनुरूप नहीं है और इसे दूर किए जाने की जरूरत है.”
उन्होंने कहा, “जो लोग अंग्रेजी नहीं बोल सकते हैं, वह उन्हें दोषी नहीं ठहरा रहे हैं.” लेकिन वह उन मुस्लिम पुरुषों को अलग करना चाहते हैं जिन्होंने अपने घर में पुरुष रिश्तेदार के बिना ही महिलाओं को रखा हुआ है.
कैमरन ने कहा है कि लोग हमारे देश आ रहे हैं, उनकी भी जिम्मेदारी होती है.
प्रधानमंत्री ने स्वीकार करते हुए कहा है कि इस बदलाव के बाद बच्चे अपनी मां से भी अलग हो सकते हैं.
साक्षात्कार के दौरान मुस्लिम महिलाओं के चेहरा ढकने के सवाल पर उन्होंने कहा कि , महिलाओं को स्कूलों और न्यायालयों में अपना चेहरा नहीं ढकना चाहिए, क्यों कि इन जगहों पर लोगों का चेहरा दिखना चाहिए.
उन्होंने कहा, “हमारे देश में लोग जो चाहें वो पहनने के लिए स्वतंत्र हैं, जैसे वह जीना चाहते हैं उसके लिए वह स्वतंत्र हैं.”
लेकिन इसका क्या मतलब है - कि अगर एक स्कूल में यूनिफॉर्म पॉलिसी है, तो ऐसे में स्कूल को धर्म की बात से जोड़कर संवेदनशील जगह कैसे बना सकते हैं. मेरे विचार से सभी को एक समान नीति के अंदर आना चाहिए.
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