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कनाडा में भारतीय सुरक्षित हैं, लेकिन फिर भी भारतीय छात्र अनिश्चितता में जी रहे

"मैं काफी समय से शहर और कैंपस में रह रही हूं, लेकिन मुझे कभी भी असुरक्षित या टारगेटेड महसूस नहीं हुआ."

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पल्लवी दत्ता (बदला हुआ नाम), एक पोस्ट ग्रेजुएट मनोविज्ञान की छात्रा है जो सितंबर 2022 से कनाडा के टोरंटो में रह रही है, अपने वीजा का विस्तार करवाने के लिए वह कनाडाई अधिकारियों से अपने पासपोर्ट की वापसी का इंतजार कर रही है.

दरअसल वह एक और डिग्री हासिल करने की योजना बना रही हैं.

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"मुझे अपना पासपोर्ट भेजे हुए कुछ दिन हो गए हैं... मुझे यह शुक्रवार [22 सितंबर] को वापस मिल जाना चाहिए था, लेकिन अभी तक मिला नहीं है. देरी हो गई है, इसलिए मैं चिंतित हूं... हो सकता है कि चिंता की कोई बात नहीं है और मैं बहुत ज्यादा सोच रहा हूं, लेकिन फिर भी..."

पंजाब के जालंधर की एक 20 वर्षीय छात्रा सुप्रिया वैद (बदला हुआ नाम) ने कहा कि, "अगर कनाडा कुछ कार्रवाई करता है, तो छात्र सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे. मैं कई मुश्किलों का सामना करने के बाद यहां तक पहुंची हूं. अगर उन्होंने मुझे वापस जाने के लिए कह दिया तो? क्या होगा? मेरे पास कोई प्लान बी नहीं है." सुप्रिया पश्चिमी कनाडा के सस्केचेवान में पीजी की पढ़ाई कर रही है.

जैसे-जैसे भारत और कनाडा के बीच राजनयिक विवाद बढ़ता जा रहा है, देश में भारतीय छात्र भय और अनिश्चितता में जी रहे हैं.

सबसे बड़ी चिंता यह है कि, यदि कनाडा ने भारत द्वारा कनाडाई लोगों के वीजा निलंबित करने के जवाब में कोई कदम उठाया तो क्या होगा?

कौशिक सचदेव (बदला हुआ नाम) कहते हैं, "जिन भारतीय कनाडाई लोगों के पास 10 साल का वीजा है, उन्हें भी डर है कि उन्हें कुछ समय के लिए रद्द किया जा सकता है." सचदेव ने कहा कि, "महामारी के दौरान भी ऐसी ही स्थिति हो गई थी [जब यात्रा निलंबित कर दी गई थी], लेकिन फिर उन वीजा को बहाल कर दिया गया था. लेकिन अब, हम नहीं जानते क्या होगा."

पिछले हफ्ते भारत-कनाडा संबंधों में दरार तब तेजी से बढ़ गई, जब 18 सितंबर को कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि कनाडा इस साल जून में ब्रिटिश कोलंबिया में सिख अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार के एजेंटों की संभावित संलिप्तता के बारे में "विश्वसनीय आरोपों" की जांच कर रहा है.

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भारतीयों के लिए हालात गंभीर नहीं लेकिन...

कनाडा में रहने वाले भारतीयों का कहना है कि भले ही छात्र चिंतित महसूस कर रहे हों, लेकिन जमीनी हकीकत वैसी की वैसी बनी हुई है.

एक महीने पहले नोएडा से एडमोंटन में अपनी बेटी के साथ शिफ्ट हुई गीता शर्मा ने कहा कि, "आज, एक मध्यम आयु वर्ग का व्यक्ति मेरी बेटी और उसके दोस्तों के पास उनके विश्वविद्यालय में आया और पूछा कि क्या वे भारतीय हैं. जब उन्होंने हां में जवाब मिला, तो उन्होंने उन्हें आश्वस्त किया और कहा कि चिंता की कोई बात नहीं है और कनाडा में उनका स्वागत है."

क्विंट हिंदी से उन्होंने आगे कहा कि, "मैं अपने भारतीय और कनाडाई दोस्तों से मिली - बेशक, हर कोई जानता है कि क्या हुआ है - लेकिन कोई भी इस मामले को तूल नहीं दे रहा है."

अनन्या, जो वैंकूवर में पत्रकारिता में मास्टर डिग्री की पढ़ाई कर रही हैं, शर्मा के विचारों से सहमत हैं.

"मैं काफी समय से शहर और कैंपस में रह रही हूं, लेकिन मुझे कभी भी असुरक्षित या टारगेटेड महसूस नहीं हुआ. जब से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक स्तर पर स्थिति पैदा हुई है तब से मेरे आसपास के भारतीय छात्र इस पर चर्चा कर रहे हैं. कुछ चिंता है, लेकिन मैं ऐसे किसी को नहीं जानती जो इससे प्रभावित हुआ है या उसे निशाना बनाया गया है."
अनन्या, छात्रा

भले ही कनाडा में रहने वाले भारतीयों के लिए हालात सामान्य हैं, लेकिन भारत के विदेश मंत्रालय (एमईए) ने एक एडवाइजरी जारी की है, जिसमें उनसे "अत्यधिक सावधानी बरतने" का आग्रह किया गया है.

अनन्या को वैंकूवर में छात्रों के एक भारतीय व्हाट्सएप ग्रुप पर विदेश मंत्रालय द्वारा डाला गया सर्कुलर प्राप्त हुआ, लेकिन इससे ज्यादा और कुछ नहीं. वह आगे बताती हैं, "अब तक, विश्वविद्यालयों की ओर से कोई सूचना नहीं दी गई है."

क्विंट हिंदी ने टोरंटो विश्वविद्यालय से संपर्क किया और उसके मीडिया संबंध अधिकारी ने कहा कि, "कनाडा की यात्रा करने के इच्छुक भारतीयों के लिए कोई समस्या नहीं है. विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने में भी कोई समस्या नहीं है. यहां तक की अगर हमारे भारतीय छात्र चाहें तो अभी भी अपने देश वापस जा सकते हैं."

इस बीच, विदेश मंत्रालय ने छात्रों से "कनाडा में रहने वाले भारतीय नागरिकों और वाणिज्य दूतावासों के बीच संचार की सुविधा" के लिए 'मदद' (MADAD) ऐप या पोर्टल पर पंजीकरण करने का आग्रह किया है.
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कनाडा में रह रहे भारतीयों के परिवार वाले चिंतित

दोनों देशों के बीच बढ़ रहे तनाव के बीच कनाडा में रह रहे भारतीयों के घर-परिवार (जो भारत में हैं) वालों का चिंतित होना स्वाभाविक है. जैसे, सुप्रिया को अपने घर से और बाकी लोगों की ओर से फोन आ रहे हैं जो चिंता में हैं.

"मेरे माता-पिता बहुत चिंतित हैं. घर से कॉल आने की संख्या बढ़ गई है, लेकिन अब ये कॉल केवल मेरे ही परिवार से नहीं आ रहे हैं बल्कि अन्य लोग भी मुझे फोन कर रहे हैं और कह रहे हैं कि उनके बच्चे भी कनाडा में रहते हैं और उन्हें कोई दिक्कत आती है तो मुझसे उनका ध्यान रखने के लिए कहा गया है."
सुप्रिया

नोएडा में रहने वाले शर्मा परिवार का कहना है, "जब से यह मामला बढ़ा है तब से मुझे मेरे रिश्तेदारों से लगातार संदेश मिल रहे हैं कि मुझे सावधान रहना है और मेरी बेटी को भी सावधान रहने के लिए कहा जा रहा है."

पल्लवी के पास चार महीने की छुट्टी है और वह भारत वापस अपने घर जाने की योजना बना रही थी. लेकिन अब, वह निश्चित नहीं है कि उसे ऐसा करना चाहिए या नहीं. वह कहती हैं, "मेरे दोस्त और परिवार मेरे बारे में चिंतित हैं और मुझसे यात्रा न करने के लिए कह रहे हैं."

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