भारतीय मूल के अमेरिकी लोगों का कहना है कि अमेरिका में उनको रोजमर्रा की जिंदगी में कई बार भेदभाव का सामना करना पड़ता है. एक सर्वेक्षण में ये बात सामने आई है. इसके मुताबिक, भारतीय मूल के हर 10 नागरिकों में से एक का कहना है कि उन्हें तकरीबन हर रोज ऐसे हालात का सामना करना पड़ता है. इन लोगों के मुताबिक उनको या उनके परिवार में किसी मेंबर को पुलिस ने इस आधार पर बिना किसी आरोप के रोक लिया, सिर्फ इसलिए क्योंकि वो एशियाई हैं.
सर्वेक्षण किसने कराया?
नेशनल पब्लिक रेडियो , रॉबर्ट वूड जॉनसन फाउंडेशन और हारवर्ड टी एच चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की ओर से ये सर्वेक्षण कराया गया है. डिसक्रिमिनेशन इन अमेरिका शीर्षक वाली ये रिपोर्ट इस हफ्ते ही जारी की गई. सर्वेक्षण में शामिल भारतीय मूल के लोगों के साथ पुलिस के खराब ढंग से रोके जाने या बर्ताव किए जाने की घटनाएं चीनी मूल के लोगों के मुकाबले 8 गुना ज्यादा सामने आईं.
भारतीय मूल के 17 फीसदी लोगों के साथ इस तरह के व्यवहार की घटनाएं पेश आईं, जबकि मूल रुप से चीन से संबंध रखने वालों में से सिर्फ 2 फीसदी लोगों ने ऐसी शिकायत की.
भेदभाव का सामने करने वाले लोग संपन्न हैं!
हारवर्ड टी एच चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसर रॉबर्ट ब्लेंडोन ने कहा, हमारा सर्वेक्षण दिखाता है कि एशियाई-अमेरिकी परिवारों ने घरों, नौकरियों और कॉलेज में भेदभाव का अनुभव किया, जबकि सर्वेक्षण में शामिल लोग उच्चतम औसत आय वाले हैं.
बता दें कि इससे पहले भी कई घटनाएं सुर्खियों में आईं हैं जब अमेरिका में रहने वाले भारतीयों के साथ खराब बर्ताव किया गया. अब ये सर्वेक्षण इस ओर इशारा करता है कि भारतीय मूल के अमेरिकी लोगों को अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करते वक्त भी भेदभाव का शिकार होना पड़ता है.
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