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भारत से 5 देश लांघ अमेरिकी बॉर्डर पहुंच रहे 'महामारी शरणार्थी'

अमेरिका की सरहद पर भारतीयों के अलावा मैक्सिको, होंडुरास, ग्वाटेमाला के लोग भी पकड़े गए हैं

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क्या आप यकीन करेंगे कि कोरोना संकट के बीच पांच देश लांघ कर भारत से लोग अमेरिका के बॉर्डर तक पहुंच जा रहे हैं. वो अमेरिका में घुसना चाहते हैं, कुछ महामारी से बचने के लिए तो कुछ अमेरिकन ड्रीम जीने के लिए. लेकिन अक्सर ये लोग अमेरिकी सीमा पर ये पकड़े जाते हैं. मेक्सिको बॉर्डर से अमेरिका में दाखिल होने की कोशिश करने वालों में मैक्सिको, होंडुरास, ग्वाटेमाला और एल-सेल्वाडोर से आए लोग भी होते हैं. आप इन्हें 'महामारी शरणार्थी' भी कह सकते हैं.

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अमेरिकी बॉर्डर पेट्रोल पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक इस साल सिर्फ अप्रैल महीने में 1,78,622 लोग अवैध तरीकों से बॉर्डर पार करते पाए गए, जो पिछले 20 सालों में सबसे ज्यादा है. न्यू यार्क टाइम्स के मुताबिक उनमें से अधिकतर सेंट्रल अमेरिका से हिंसा और प्राकृतिक आपदा से बचकर भागे लोग हैं .लेकिन उसके अलावा पिछले कुछ महीनों में कोरोना महामारी के कारण विस्थापन को मजबूर 'पेंडेमिक रिफ्यूजियों' की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है.
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'पेंडेमिक रिफ्यूजी':जब कोई और चारा ना रहा

कंधों पर गंदे बैकपैक डाले ,नये शहरों में नये रोजगार के सपने लिए यह अवैध प्रवासी अमेरिका में पिछले कुछ महीनों में चोरी-चुपके नहीं बल्कि प्रत्यक्ष रूप से दाखिल हो रहे हैं. हाथ ऊपर करके सरेंडर की मुद्रा में वह सीधे पुलिस अधिकारियों की ओर बढ़ते हैं. इस विश्वास से कि यहां से उन्हें वापस नहीं लौटाया जाएगा.

यह उन दूर-दराज देशों से आए 'पेंडेमिक रिफ्यूजी' हैं ,जहां कोरोनावायरस के कारण अविश्वसनीय स्तर की बीमारी फैली और मौतें हुई हैं. जहां की अर्थव्यवस्था इनके जिंदगी गुजर बसर करने लायक नहीं रही.

हालांकि बॉर्डर पर इस संबंध में कोई रिकॉर्ड नहीं रखा जा रहा है कि ये अवैध प्रवासी अमेरिका में किस कारण आए हैं .लेकिन बॉर्डर पेट्रोल अधिकारियों, शेल्टर ऑपरेटरों तथा इमीग्रेशन स्कॉलरो को दिए गए इनके इंटरव्यू से यह जाहिर होता है कि उनके देश में कोरोनावायरस के कारण खत्म होते रोजगार के अवसरों ने उन्हें यहां आने को मजबूर किया है. इसके अलावा नयी बाइडेन सरकार की इमीग्रेशन वेलकम पॉलिसी के अवसर ने भी उन्हें यहां आने के लिए प्रेरित किया है.
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दूर देश से अमेरिका मे दाखिल हो रहे प्रवासी

इस सप्ताह जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार अप्रैल में बॉर्डर के आस पास पाए गये अवैध प्रवासियों में से 30% परिवार मैक्सिको,होंडुरास, ग्वाटेमाला और एल-सेल्वाडोर के अलावा अन्य देशों से हैं. जबकि अप्रैल 2019 में यह आंकड़ा मात्र 7.5% ही था. यह दिखाता है कि अमेरिका में शरण लेते ये रिफ्यूजी सिर्फ सेंट्रल अमेरिका से ना होकर दूर-दराज के देशों से भी आ रहे हैं.

यहां तक कि 'यूरोप का द्वार' कहे जाने वाले इटली में इस साल अब तक 13000 प्रवासी दाखिल हो चुके हैं, जो कि पिछले साल इसी पीरियड में आने वाले प्रवासियों की संख्या से 3 गुना से भी ज्यादा है.
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अमेरिका-मैक्सिको बॉर्डर पर हाल के महीनों में अमेरिकी पुलिस ने 160 से भी ज्यादा देशों से आए अवैध प्रवासियों को रोका है .उनमें से अधिकतर उन देशों से थे जहां कोरोना महामारी ने प्रकोप मचाया है. मार्च में इक्वाडोर से 12500 लोग बॉर्डर क्रॉस करते पाए गए जबकि जनवरी में यह संख्या मात्र 3568 ही थी. ब्राजील से आए अवैध प्रवासियों की संख्या जनवरी में जहां 300 थी वही यह मार्च में 4000 के आसपास रही. जबकि वेनेजुएला से आए अवैध प्रवासियों की संख्या 284 से 3500 तक पहुंच गई.

एशिया में भारत और अन्य देशों से अमेरिका में अवैध रास्ते पहुंचते रिफ्यूजी पहले हवाई यात्रा के द्वारा दुबई और UAE पहुंच रहे हैं .वहां से वें मॉस्को, पेरिस और मैड्रिड पहुंचकर फ्लाइट के रास्ते मैक्सिको सिटी पहुंच रहे हैं. पुनः वहां से 2 दिनों की बस यात्रा के बाद ये 'पेंडेमिक रिफ्यूजी' मैक्सिको-US बॉर्डर पहुंच जा रहे हैं.
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अमेरिका: अवैध घुसपैठ पर अभी कठोर रुख नहीं

अमेरिका के एरिजोना प्रांत में अचानक बढ़े अवैध प्रवास ने वहां के गवर्नर डग डूसी को पिछले महीने कई काउंटी में 'स्टेट ऑफ इमरजेंसी' लगाने तथा बॉर्डर के आसपास नेशनल गार्ड की नियुक्ति पर मजबूर कर दिया.

रिपब्लिकन सांसदों ने बाइडेन प्रशासन पर हजारों युवा माइग्रेंट और उनके परिवारों को अमेरिका में शरण देने का आरोप लगाते हुए कड़ी आलोचना की है. उनका तर्क है कि अगर अभी ट्रंप सरकार होती तो यह स्थिति इतनी गंभीर नहीं होती.

यहां तक कि डेमोक्रेट सीनेटर मार्क कैली ने भी राष्ट्रपति बाइडेन पर इस बॉर्डर 'संकट' को सही से हैंडल ना करने का आरोप लगाते हुए आलोचना की है.

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रोजगार के अवसर की तलाश में आये इन रिफ्यूजियो को बॉर्डर पुलिस 'यूमा' में स्थित बॉर्डर पेट्रोल हेडक्वार्टर के पार्क में बने बड़े-बड़े टेंटो में रख रही है. यहां उनका बैकग्राउंड चेक करके इंटरव्यू लिया जा रहा है.

इसके बाद उनमें से कुछ को इमीग्रेशन एंड कस्टम इंफोर्समेंट डिटेंशन में ,जबकि अधिकतर को कुछ दिनों के लिए नॉन प्रॉफिट ऐड सेंटर रहने भेज दिया जा रहा है.

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