एक तरफ पाकिस्तान आतंकवादियों को लेकर अपने ढीले रवैए की वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ने लगा है, दूसरी तरफ अब पाकिस्तानी मीडिया ने भी सरकार पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है.
पाकिस्तान के अखबार 'द नेशन' ने संपादकीय में सरकार की खिंचाई करते हुए कहा है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान अकेला पड़ रहा है, क्योंकि वह 'अच्छे' और 'बुरे' के नाम पर आतंकवाद में फर्क कर रहा है.
हाल ही में यह दूसरा ऐसा संपादकीय है, जिसमें पाकिस्तान सरकार और सुरक्षा एजेंसियों पर आतंकियों से नरमी दिखाने को लेकर सवाल उठाया गया है.
हाल ही में 'डॉन' अखबार के पत्रकार सिरिल अलमेडा को पाकिस्तान सरकार ने देश न छोड़ने का आदेश दिया था, जिसके बाद पाकिस्तानी मीडिया में सरकार पर आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई न करने का आरोप लगना तेज हो गया.
सिरिल अलमेडा ने एक लेख में सरकार और सेना के बीच बढ़ रहे विवाद के बारे में लिखा था, जिसमें उन्होंने सेना का आतंकी संगठन से रिश्ते का जिक्र किया था. इसके बाद उन्हें देश न छोड़ने का आदेश दिया गया था.
गौर करने की बात यह है कि 'द नेशन' अखबार के बारे में कहा जाता है कि यह सरकार और सेना, दोनों के बहुत करीब है.
संपादकीय में लिखा गया है:
‘’भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में हो रहे पांच देशों के ब्रिक्स सम्मेलन में कहा है कि ‘बहुत दुःख की बात है कि भारत के पड़ोस में ही आतंक की जननी है’. हम सब यह जानते हैं कि नरेंद्र मोदी ने आतंक की जननी पाकिस्तान के बारे में ही कहा है. लेकिन यह सोचने की बात है कि भारत ने पाकिस्तान का नाम क्यों नहीं लिया? शायद भारत को चीन का डर हो, क्योंकि चीन के राष्ट्रपति भाषण के समय वही मौजूद थे.”‘द नेशन’ का संपादकीय
आगे संपादकीय में लिखा है, "भले ही वजह कुछ भी रहे, लेकिन मोदी के इस बयान से एक बात तो साफ है कि भारत पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अकेला कर देना चाहता है.''
पाकिस्तान सरकार का आतंकियों को लेकर दोहरी नीति पर भी सवाल उठाते हुए लिखा गया है कि अभी के राजनीतिक हालात को देखते हुए पाकिस्तान को अपनी नीति साफ कर लेनी चाहिए. इसमें कहा गया है कि पाकिस्तान को इस बात को समझना होगा कि देशहित के लिए हर तरह के नापाक तत्वों का सफाया करना होगा, वो भी बिना किसी भेदभाव के.
इससे पहले भी अपने संपादकीय में 'द नेशन' ने पाकिस्तान सरकार और सुरक्षा एजेंसी पर निशाना साधते हुए मसूद अजहर और हाफिज सईद के बारे में सवाल उठाया था.
पिछले संपादकीय में लिखा गया था:
प्रतिबंधित संगठनों के मसूद अजहर और हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई करने से देश के सुरक्षा को कैसे खतरा है?
अब पाकिस्तान की नवाज शरीफ सरकार मीडिया की सलाह को किस तरह लेती है, यह देखने वाली बात होगी.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)