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IS-K और अल कायदा के आतंकियों के शरणार्थी बनकर US-यूरोप जाने की संभावना

हाल ही में जर्मनी ने भी रेमस्टेन एयरवेज पर उतरने वाले लगभग 200 अफगान शरणार्थियों के बैकग्राउंड चेक करने के आदेश दिए

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अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) के सत्ता में लौटने के बाद से ऐसा लगता है कि आतंकियों के सुनहरे दिन लौट आए हैं. इस्लामिक स्टेट खुरासान (IS-K) और अलकायदा (AL-Qaeda) जैसे खतरनाक आतंकवादी संगठन अफगानिस्तान के हालातों का फायदा उठाकर अमेरिका और यूरोप में अपने आतंकी भेजने के फिराक में हैं.

कुछ सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स ने इस बात को लेकर आगाह किया है कि IS-K और अल कायदा अफगानिस्तान से अमेरिका और यूरोप जाने वाले शरणार्थियों की शक्ल में अपने आतंकवादियों को इन देशों में भेजने की संभावना है

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यात्रियों के लिए बनाया गया था फिल्टर सिस्टम

लीड्स बैकेट यूनिवर्सिटी के डॉ रिसर्च डॉक्टर डेविड लो ने कहा कि ऐसी उम्मीद है कि "अलकायदा ने अफगानिस्तान से जाने वाली फ्लाइट के जरिए अपने सदस्यों को दूसरे देशों में भेजा होगा और आतंक विरोधी एजेंसियां इस बात को जानती होंगी."

कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि अमेरिका और यूरोप ने काबुल एयरपोर्ट पर यात्रियों की जांच के लिए एक फिल्टर सिस्टम बनाया था. इस सिस्टम के अनुसार अधिकारी फ्लाइट पकड़ने वाले हर एक यात्री का बैकग्राउंड चेक करते थे.

लेकिन आतंक विरोधी और रक्षा विशेषज्ञ डेबिट ओटो का कहना है कि इन जांच की भी सीमाएं हैं. समाचार एजेंसी स्पूतनिक के अनुसार उन्होंने कहा,

जांच के लिए सिर्फ कुछ कागजों और पुराने रिकॉर्ड पर भरोसा किया गया अफगानिस्तान में सरकार गिरने के बाद इस तरीके के नकली कागज बनवा कर जाना आतंकियों के लिए आसान हो गया था.

ओटो ने इस बात का भी जिक्र किया कि अफगानियों की शक्ल में गए आतंकवादियों से सबसे ज्यादा खतरा यूरोप और अमेरिका के साथ-साथ उन देशों को है जो इनके ज्यादा नजदीक हैं.

हाल ही में जर्मनी ने भी रेमस्टेन एयरवेज पर उतरने वाले लगभग 200 अफगान शरणार्थियों के बैकग्राउंड चेक करने के आदेश दिए हैं. अधिकारियों ने इन्हें रेड कैटेगरी में डालकर खतरनाक घोषित किया है.

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