सम्राट नारुहितो की ताजपोशी के साथ जापान में नए युग की शुरुआत हो चुकी है, पर क्या आप जानते हैं कि इस ताजपोशी के साथ कई राज छुपे हैं. जापान के सम्राट की ताजपोशी समारोह में तीन चीजें होती हैं.
- सम्राट को बेहद पवित्र तीन चीजें सौंपी जाती हैं. तलवार, आईना और मणि.
- नए सम्राट क्रिसेंटहेम सिंहासन पर बैठते हैं.
- पुराने सम्राट का विदाई समारोह.
तलवार, आईना और मणि
ताजपोशी कार्यक्रम की शुरुआत रात को होती है. इस दौरान राजा को एक तलवार, आईना और मणि दी जाती है. ये तीनों चीजें इतनी रहस्यमयी हैं कि इन्हें शायद सम्राट भी नहीं देखते. इन तीन चीजों को खजाने का दर्जा प्राप्त है. इन्हें रेजलिया कहा जाता है. ये चीजें कब और कैसे बनी, अभी तक एक रहस्य है.
सम्राट के सिंहासन से हटने और नए सम्राट की ताजपोशी तक सिंहासन खाली रहता है. इस दौरान ये तलवार, आईना और मणि शाही शक्ति के प्रतीक के रूप में काम करते हैं. इन्हें इतना सीक्रेट रखा जाता है कि इनकी नकल को ताजपोशी के दौरान लाया जाता है. असली चीजें किसी मंदिर में रखा जाता है.
यता न कागामी: पवित्र दर्पण
माना जाता है कि ये दर्पण 1,000 वर्ष से अधिक पुराना है और इसे 'मी प्रीफेक्चर' में ईसे ग्रैंड श्राइन में रखा जाता है. तीनों चीजों में इसे सबसे कीमती माना जाता है.
जापानी लोक-कथाओं में दर्पण को दैवीय शक्ति और सत्य प्रकट करने वाला कहा जाता है. शाही समारोहों में 'यता न कागामी' या आठतरफा दर्पण सम्राट की बुद्धि का प्रतीक है.
कुसनगी नो त्सुरुगी: पवित्र तलवार
'कुसनगी नो त्सुरुगी' या घास काटने वाली तलवार सम्राट की बहादुरी का प्रतीक है. इसे कहां रखा गया है, ये स्पष्ट नहीं है. लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि यह नागोया में अस्तुता मंदिर में हो सकता है.
यास्कानी नो मगटामा: पवित्र मणि
'मगटामा' एक प्रकार का घुमावदार मणि है, जिसे 1,000 साल ईसा पूर्व का बताया जाता है. शुरू में इसे ज्वेलरी के रूप में इस्तेमाल किया जाता था, मगर बाद में ये जापान की संस्कृति और गौरव का प्रतीक बन गई.
'यास्कानी नो मगतामा' तामोनोया-नो-मिकोटो द्वारा बनाई गई एक हार का हिस्सा थी. इसे एमी-नो-उजूम द्वारा पहना गया था, जो कि महक की देवी थी, जिसने अपनी गुफा से अमातरसु को लुभाने की कोशिश में एक बड़ा रोल निभाया था. इसे टोक्यो में शाही महल में रखा गया है.
क्रिसेंटहेम सिंहासन पर आसीन होना
इसके बाद सम्राट राजगद्दी पर बैठते हैं जिसे 'ताकामिकुरा' या क्रिसेंटहेम सिंहासन कहा जाता है. ये 21 फुट लंबा होता है. राजा के बगल में ही लगाई जाती है. रानी के लिए छोटी राजगद्दी होती है. इसके बाद नए सम्राट शपथ लेते हैं.
‘’मैं शपथ लेता हूं कि मैं संविधान के अनुसार काम करूंगा, राज्य के प्रतीक और लोगों की एकता के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभाऊंगा. मुझे पूरी उम्मीद है कि जापान आगे विकसित होगा और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की दोस्ती और शांति में योगदान देगा, और लोगों के ज्ञान और निरंतर प्रयासों के माध्यम से मानव कल्याण और समृद्धि के लिए काम करेगा.”सम्राट नारुहितो
इससे पहले पारंपरिक पोशाक में सम्राट शाही परिवार की कुल देवी अमेतरासु के मंदिर में जाते हैं, जहां वो देवी को अपना पद छोड़ने की सूचना देने की परंपरा का पालन करते हैं. इसके बाद अंत में शाही महल में पुराने राजा की विदाई समारोह का आयोजन किया जाता है.
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