कजाकिस्तान (Kazakhstan) में नया साल आते ही अशांति फैली हुई है, पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच हिंसा देखने को मिली है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट तोकायेव के निवास के अलावा कई सरकारी कार्यालयों और नेताओं के घर में आग लगाने की कोशिश की है. वहीं राष्ट्रपति ने सुरक्षा बलों को "बिना किसी चेतावनी के गोली मारने" का आदेश दिया है.
आखिर इस अशांति की वजह क्या है जिसके कारण अब तक देश में एक सप्ताह के विरोध प्रदर्शन में नागरिकों और पुलिस सहित दर्जनों लोग मारे गए हैं.
क्यों शुरू हुए विरोध प्रदर्शन और दंगे?
कजाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन तब शूरू हुआ, जब सरकार के द्वारा लिक्विड पेट्रोलियम गैस (LPG) की कीमतों में बढ़ोतरी की गई. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले दिनों कजाकिस्तान के काफी नागरिकों ने अपनी कारों को एलपीजी का उपयोग करने के लिए बदला था, क्योंकि यह अन्य फ्यूल्स की तुलना में सस्ता था. लेकिन सरकार द्वारा सब्सिडी हटाने और बाजार को कीमतों को निर्धारित करने देने के बाद इसकी कीमत लगभग दोगुनी हो गई.
फ्यूल के बढ़ते दामों के खिलाफ कर रहे प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने पूर्व राष्ट्रपति नजरबायेव की स्टेच्यू को तोड़ने का भी प्रयास किया.
राष्ट्रपति के रूप में पद छोड़ने के बाद कजाकिस्तान की सुरक्षा परिषद के प्रमुख के रूप में नजरबायेव देश की सरकार में एक मजबूत स्थिति हैं. इसके बाद प्रदर्शनकारियों को शांत करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति नजरबायेव को सुरक्षा परिषद के प्रमुख पद से हटा दिया गया है.
कजाकिस्तान: अब तक क्या हुआ है?
नए साल 2022 के एक दिन बाद 2 जनवरी को फ्यूल की कीमतों में बढ़ोतरी के विरोध में झानाओजेन (Zhanaozen) शहर में प्रदर्शन शुरू हुए. इसके बाद विरोध प्रदर्शन पूरे देश में फैल गया.
सुरक्षा बलों का कहना है कि उन्होंने व्यवस्था बहाल करने की कोशिश के दौरान अल्माटी शहर में दर्जनों प्रदर्शनकारियों को जान से मार दिया.
पुलिस का कहना है कि प्रदर्शनकारियों ने शहर के पुलिस थानों को अपने नियंत्रण में लेने की कोशिश की थी. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक पूरे देश में फैली अशांति की वजह से लगभग 1,000 लोग घायल हुए हैं, जिनमें से 400 घायलों का हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है.
राष्ट्रपति ने दी ‘बिना चेतावनी गोली चलाने की छूट’
शुक्रवार, 7 जनवरी को कजाकिस्तान के राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट टोकायव ने सरकार का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों पर सुरक्षा बलों को बिना किसी चेतावनी के गोली चलाने की छूट दे दी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्होंने कहा कि 20,000 डाकुओं ने अल्माटी के मुख्य शहर पर हमला किया था, जो कि तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के बाद विरोध प्रदर्शनों के कारण हुआ. उन्होंने देश में फैली अशांति का दोषी विदेशों से ट्रेंड आतंकवादियों को ठहराया है.
गृह मंत्रालय का कहना है कि अशांति में अब तक 26 सशस्त्र अपराधी और 18 सुरक्षा अधिकारी मारे गए हैं.
राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट टोकायव ने प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत करने को बकवास बात कहकर खारिज कर दिया.
"हम अपराधी और हत्यारों के साथ किस तरह की बातचीत कर सकते हैं?.. हमें सशस्त्र और अच्छी तरह से तैयार आतंकवादियों से निपटना था जो स्थानीय और विदेशी दोनो हैं, इसलिए उन्हें खत्म करना होगा."कासिम-जोमार्ट टोकायव, राष्ट्रपति, कजाकिस्तान
कजाकिस्तान कहां है और यह किस तरह का देश है?
कजाकिस्तान केन्द्रीय एशिया का एक बड़ा देश है, जो रूस व चीन की सीमा से लगा हुआ है, इसकी आबादी लगभग 19 मिलियन है. देश को 1991 में सोवियत संघ के पतन के बाद आजादी मिली. देश में कुछ ऐसे तेल भंडार हैं, जो दुनिया भर के बड़े तेल भंडारों में गिने जाते हैं. यहां एक दिन में 1.6 मिलियन बैरल तेल का उत्पादन होता है.
कजाकिस्तान के पास विशाल खनिज संसाधन हैं, जिसमें 3% वैश्विक तेल भंडार और महत्वपूर्ण कोयला व गैस क्षेत्र हैं.
कजाकिस्तान में पब्लिक प्रोटेस्ट सरकार की अनुमति के बिना अवैध माने जाते हैं, जिसके कारण पिछले दिनों देश में होने वाले विरोध प्रदर्शनों से बहुत ही सख्ती से निपटा गया है.
देश के आंतरिक मामले में रूस क्यों शामिल हुआ?
देश में फैली अशांति को कंट्रोल करने में मदद करने के लिए कजाकिस्तान के मौजूदा राष्ट्रपति के द्वारा गुजारिश करने के बाद रूस ने पैराट्रूपर्स को कजाकिस्तान भेजा है.
रुस द्वारा इन पैर्ट्रूपर्स को सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन (CSTO) के अधिकार के तहत कजाकिस्तान भेजा गया है.
रूस के नेतृत्व वाले सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन (CSTO) की फोर्स में कथित तौर पर लगभग 2,500 सैनिक हैं. राष्ट्रपति टोकायव ने सेना भेजने के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को शुक्रिया अदा किया है.
रूस, कजाकिस्तान में गैस पाइपलाइनों, रूसी सैन्य ठिकानों और बैकोनूर में रूसी अंतरिक्ष स्टेशन जैसी जगहों की सेक्योरिटी के लिए कजाकिस्तान में पहले से मौजूद सेना में बढ़ोतरी करना चाहता है.
CSTO कुछ देशों का समूह है जिसको सोवियत संघ के पतन के बाद स्थापित किया गया था. इसके सदस्यों में रूस, कजाकिस्तान, बेलारूस, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान और आर्मेनिया जैसे देश शामिल हैं.
मौजूदा वक्त में सीएसटीओ की अध्यक्षता आर्मेनिया कर रहा है. आर्मेनिया ने कजाकिस्तान में फैली अशांति का जिम्मेदार विदेशों से ट्रेन्ड लोगों को ठहराया है.
आगे क्या होगा?
कजाकिस्तान की सरकार ने एलपीजी से अपनी मूल्य सीमा को हटा दिया है. सभी तरह के ईंधन की कीमतों को छह महीने के लिए रेगुलेट करने का आदेश दिया है.
देश के कई मंत्रियों ने भी इस्तीफा दे दिया है. राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट टोकायव ने कहा कि सरकार अपने प्रमुख कार्यों में से एक- मंहगाई पर काबू पाने का पूरी तरह से प्रयास करने में फेल रही है. राष्ट्रपति ने अलीखान समाइलोव को कार्यवाहक प्रधान मंत्री नियुक्त किया है. संयुक्त राज्य अमेरिका ने कजाकिस्तान के अधिकारियों से संयम दिखाने की गुजारिश की है.
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