दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा को जिन गुप्ता ब्रदर्स की वजह से इस्तीफा देना पड़ा उनका ताल्लुक यूपी के सहारनपुर से है. गुप्ता ब्रदर्स शिवरात्रि के दिन सहारनपुर में मौजूद थे. जोहान्सबर्ग में अपने आलीशान घरों पर रेड पड़ने की खबर के बाद वे दक्षिण अफ्रीका लौट गए.
जैकब जुमा के राजनीतिक पतन की वजह बने अजय, अतुल और राजेश गुप्ता 1993 में उस वक्त दक्षिण अफ्रीका पहुंचे, जब गोरों की रंगभेदी सरकार का सूरज डूब रहा था. उस वक्त गुप्ता भाइयों के पिता शिव कुमार गुप्ता ने उन्हें सलाह दी थी दक्षिण अफ्रीका में अपना भविष्य खोजें क्योंकि वह भविष्य का अमेरिका होगा.
ढाई दशक के बाद भले ही दक्षिण अफ्रीका अमेरिका न बन पाया हो लेकिन गुप्ता भाइयों ने राजनीतिक साठगांठ से विशाल बिजनेस साम्राज्य जरूर खड़ा कर लिया है.
जैकब जुमा से नजदीकी
1994 में रंगभेद खत्म होने के बाद नेल्सन मंडेला सरकार ने विदेशी निवेशकों के लिए दरवाजा खोल दिया. ठीक इसी समय गुप्ता भाइयों में से एक अतुल ने दक्षिण अफ्रीका में सहारा कंप्यूटर्स नाम से कंपनी खोली. इसके बाद गुप्ता फैमिली वहां की कारोबारी दुनिया में छा गई है. सहारा कंप्यूटर्स के बाद उसने वहां कोयला खदानों, कंप्यूटर, अखबार और न्यूज चैनल के बिजनेस में अपने पांव पसारे और देखते-देखते गुप्ता भाई देश के शीर्ष उद्योगपतियों में शुमार हो गए.
हालांकि इसके पीछे दक्षिण अफ्रीका के राजनीतिक नेताओं से उनकी नजदीकी का बड़ा हाथ बताया जा रहा है. राष्ट्रपति जैकब जुमा से नजदीकी की वजह से उन्हें ‘जुप्ताज’ कहा जाने लगा. जुमा की एक पत्नी गुप्ता की एक माइनिंग कंपनी में काम करती थीं. जुमा की बेटी दुदुजिले जुमा सहारा कंप्यूटर्स की डायरेक्टर थीं और जुमा के बेटे दुदुजाने जुमा गुप्ता की एक कंपनी में डायरेक्टर थे.
बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप
गुप्ता भाइयों पर दक्षिण अफ्रीका की सरकारी कंपनियों से डील करने में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया जाता रहा है. दक्षिण अफ्रीका के वॉचडॉग ने अक्टूबर 2016 में एक रिपोर्ट जारी की थी जिसमें कहा गया था सरकारी क्षेत्र की एक बिजली कंपनी ने गुप्ता की कंपनी को आसान शर्तों पर एक बड़ा ठेका दिया. आज गुप्ता परिवार ने कंप्यूटर, खनन, मीडिया, टेक्नॉलोजी और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अपने पांव जमा लिए हैं.
परिवार ने 2010 में 'द न्यूज एज' नाम से अखबार शुरू किया, यह जुमा समर्थक अखबार है. 2013 में परिवार ने एएनएन7 नाम के एक 24 घंटे के न्यूज चैनल को लॉन्च किया. गुप्ता परिवार का रसूख इस कदर बढ़ गया था कि 2009 में जुमा के राष्ट्रपति बनने से पहले ही उनके सत्ताधारी अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस में करीबी दोस्त बन गए थे.
गुप्ता भाइयों का बैकग्राउंड देखें तो उनकी ऊंची उड़ान चौंकाने वाली है. उनके पिता शिव कुमार गुप्ता खड़िया बेचने वाली कंपनी चलाते थे. दिल्ली में उनके बेटे एसकेजी मार्केटिंग कंपनी चलाते थे जो मेडागास्कर और जंजीबार से मसाले मंगाते थे. कहा जाता है कि इसके बाद जैसे ही यह परिवार दक्षिण अफ्रीका पहुंचा यह सत्ता के शिखर पर बैठे लोगों से नजदीकियां कायम करने की कला की बदौलत बिजनेस की दुनिया में छा गया.
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