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कुवैत अग्निकांड: 45 भारतीयों की मौत, मृतकों में केरल के भी लोग- दोस्तों ने क्या बताया?

Kuwait fire tragedy: कुवैत में 12 जून को मंगाफ इलाके में आग लगने से मरने वाले 49 प्रवासी कामगारों में 45 भारतीय हैं.

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"उनके माता-पिता बहुत गरीब और अशिक्षित हैं. उन्हें नहीं पता कि वे अपने बेटे के शव को वापस लाने की व्यवस्था कैसे करेंगे."

ये बात 12 जून को कुवैत (Kuwait) की एक इमारत में लगी आग का शिकार हुए भारतीयों में से एक के. रंजीत के पड़ोसी ने कही.

कुवैत के मंगाफ इलाके में विदेशी श्रमिकों की 6 मंजिला इमारत में सुबह लगभग 4:30 बजे (स्थानीय समयानुसार) आग लग गई. जानकारी के मुताबिक इस घटना में अब तक 49 लोगों की मौत हो गई है - जिनमें से 45 भारतीय हैं. इनमें से करीब आधे केरल से हैं. वहीं तीन श्रमिक उत्तर प्रदेश के हैं.

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अधिकारियों ने कहा कि ज्यादातर मौत धुएं के कारण हुईं जब मजदूर सो रहे थे. वहीं कुछ की मौत खुद को बचाने के लिए इमारत से कूद की वजह से हुई है.

जिस इमारत में आग लगी, उसका मालिक एनबीटीसी ग्रुप है - जो कुवैत की सबसे बड़ी कंस्ट्रक्शन कंपनी है. इसमें लगभग 195 प्रवासी श्रमिक रह रहे थे. कंपनी के प्रबंध निदेशक केजी अब्राहम भी मलयाली हैं.

हालांकि, आग कैसे लगी इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन स्थानीय अधिकारियों को संदेह है कि इमारत की किसी रसोई में गैस लीक होने के कारण आग लगी होगी. इमारत के मालिक पर नियमों के उल्लंघन का भी आरोप है.

'वह छुट्टी लेकर वापस आने के बारे में सोच रहा था'

कासरगोड के चेरकाला के 32 वर्षीय निवासी रंजीत पेशे से इलेक्ट्रीशियन थे और शुरुआत में कुवैत में एनबीटीसी ग्रुप के कैटरिंग डिवीजन में शामिल हुए थे. समय के साथ, वह आगे बढ़ते गए और कंपनी में अकाउंटेंट बन गए.

रंजीत के पड़ोसियों में से एक, 65 वर्षीय बालकृष्णन ने कहा, "मैं रंजीत को उसके जन्म से जानता हूं. वह एक बेहद प्रतिभाशाली लड़का था."

उन्होंने कहा, "कुवैत में नौकरी करने के लिए उसने लगभग 10 साल पहले कासरगोड छोड़ दिया था."

रंजीत की अब तक शादी नहीं हुई थी और वह अपने परिवार का एकमात्र कमाने वाला था. उनके परिवार में उनके पिता रवींद्रन, मां रुक्मिणी और दो भाई-बहन हैं. उनके पिता मजदूर थे और अब काम नहीं करते और उनकी मां घर संभालती हैं.

बालाकृष्णन ने द क्विंट से बात करते हुए कहा कि, "उसने परसों ही अपनी मां से बात की थी. उसने कहा था कि वह छुट्टी लेकर कुछ दिन के लिए यहां आने के बारे में सोच रहा है."

रंजीत दो साल पहले ही केरल आए थे, जब उन्होंने अपनी कमाई से एक नया घर बनवाया था और कुवैत वापस जाने से पहले गृहप्रवेश भी करवाया था.

बालाकृष्णन ने कहा, "हमें उम्मीद है कि भारत और केरल सरकार उनके शव को वापस लाने के लिए उचित व्यवस्था करेगी."

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'वह अपनी बेटी के 12वीं कक्षा के परिणाम से बहुत खुश था'

मृतकों में केरल के रहने वाले 48 वर्षीय वडक्कोट्टुविलायिल लुकोस भी हैं. वह एनबीटीसी ग्रुप में फोरमैन (साइट पर सुपरवाइजर) का काम करते थे.

मूल रूप से केरल के कोल्लम के वेलिचिक्कला के रहने वाले लुकोस पिछले 15 सालों से कुवैत में रह रहे थे. इससे पहले वह मुंबई में मशीन ऑपरेटर के रूप में काम करते थे.

लुकोस के करीबी दोस्त रेजी ने कहा, "चथन्नूर (कोल्लम) के एसएन कॉलेज से अपनी प्री-डिग्री पूरी करने के बाद वे 20 साल की उम्र में काम के लिए मुंबई चला गया था. वहीं से उसे कुवैत जाने का मौका मिला."

लुकोस अपने पीछे पत्नी, माता-पिता और दो बेटियों को छोड़ गए हैं. वह भी अपने परिवार में एकमात्र कमाने वाले थे. उसके तीन भाई और तीन बहनें हैं.

रेजी ने द क्विंट को बताया कि, "लुकोस को पिछले महीने घर आना था, लेकिन उसने प्लान बदल दिया और अपनी बेटी लिडिया के एडमिशन के लिए अगले महीने आने का फैसला किया. उसे हाल ही में बेंगलुरु का एक नर्सिंग कॉलेज मिला है. वह बहुत खुश था क्योंकि लिडिया ने अपनी 12वीं कक्षा की सभी परीक्षाएं अच्छे नंबरों से पास की थी."

रेजी ने कहा, "हम दोनों बचपन से दोस्त हैं, हम पड़ोसी भी थे. हम एक साथ पढ़े और एक साथ बड़े हुए हैं."

30 साल के शमीर उमरुद्दीन, जिनकी जिंदगी भी आग में खत्म हो गई, वह पिछले 5 सालों से कुवैत में एनबीटीसी ग्रुप के साथ ड्राइवर के रूप में काम कर रहे थे. लुकोस की तरह वह भी कोल्लम जिले के सस्थमकोट्टा इलाके के रहने वाले थे.

शमीर के रिश्तेदार सवाद ने बताया, "वह पहले भी ड्राइवर था. पांच साल पहले वह वीजा पर कुवैत गया था और तब से वहीं काम कर रहा था. वह नौ महीने पहले घर आया था... यह बहुत बड़ा झटका है."

शमीर के परिवार में पत्नी और बूढ़े माता-पिता हैं.

सवाद ने कहा कि उनका परिवार अब चाहता है कि उनका शव जल्द से जल्द घर वापस लाया जाए. उन्होंने कहा, "हमें बताया गया कि उनका शव शनिवार या रविवार तक कोच्चि लाया जाएगा."
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विदेश राज्य मंत्री पहुंचे कुवैत, PM मोदी ने की मुआवजे की घोषणा

स्थिति का जायजा लेने और अस्पताल में भर्ती घायलों से मिलने के लिए विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह गुरुवार, 13 जून को कुवैत पहुंचे. उन्होंने अस्पताल का दौरा किया और घायल मजदूरों से मुलाकात की.

कुवैत में भारतीय दूतावास ने एक्स पर कहा कि, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी के निर्देश पर, राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह कुवैत पहुंचे और आग लगने की घटना में घायल भारतीयों का हालचाल जानने के लिए तुरंत जाबेर अस्पताल पहुंचे. उन्होंने अस्पताल में भर्ती 6 घायलों से मुलाकात की. वे सभी सुरक्षित हैं."

कुवैत में भारतीय राजदूत आदर्श स्वाइका ने बुधवार, 12 जून को घटनास्थल का दौरा किया था, साथ ही अल-अदान अस्पताल का भी दौरा किया था, दूतावास ने इमारत में रहने वाले भारतीयों के रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है.

इससे पहले, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जमीनी हालात की जानकारी लेने के लिए बुधवार रात अपने कुवैती समकक्ष अब्दुल्ला अली अल-याहया से बात की.

इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घटना पर शोक व्यक्त किया और मृत भारतीयों के परिवारों के लिए 2 लाख रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा की. केरल सरकार ने भी राज्य के मृत निवासियों के परिवारों के लिए 5 लाख रुपये और घायलों के लिए 1 लाख रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा की है.

पीएम मोदी ने स्थिति की समीक्षा के लिए बुधवार को जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, विदेश सचिव विनय क्वात्रा और अन्य अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की थी.
Kuwait fire tragedy: कुवैत में 12 जून को मंगाफ इलाके में आग लगने से मरने वाले 49 प्रवासी कामगारों में 45 भारतीय हैं.

इस बीच, कुवैत के अमीर शेख मेशाल अल-अहमद अल-जबर अल-सबाह ने अधिकारियों को घटना की गहन जांच करने का आदेश दिया है और घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की बात कही है.

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