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अजीत डोभाल तीसरी बार NSA नियुक्त, कंधार से लेकर बालाकोट ऑपरेशन में निभाई बड़ी भूमिका

अपने कार्यकाल के दौरान अजीत डोभाल को वरीयता के अनुसार कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जाएगा.

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अजीत डोभाल (Ajit Doval) को एक बार फिर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पद पर नियुक्त किया गया है. गुरुवार, 13 जून को जारी एक सरकारी आदेश के अनुसार, पूर्व आईपीएस अधिकारी अजीत डोभाल को तीसरी बार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया गया. कैबिनेट नियुक्ति समिति के आदेश में कहा गया है कि डोभाल की नियुक्ति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) के कार्यकाल के साथ-साथ या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो- तब तक रहेगी.

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क्या है NSA का काम?

उनका तीसरा कार्यकाल 10 जून से शुरू हो गया है. आदेश के अनुसार, अपने कार्यकाल के दौरान डोभाल को वरीयता के अनुसार कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जाएगा और उनकी नियुक्ति के नियम और शर्तें अलग से अधिसूचित की जाएंगी. बता दें अजीत डोभाल सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले एनएसए बन गए हैं.

NSA का यह पद पहली बार 1998 में तब बनाया गया था जब देश में दूसरी बार परमाणु परीक्षण किए गए थे. राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का नेतृत्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार करते हैं, जिनका मुख्य काम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर प्रधानमंत्री को सलाह देना होता है. सरकार में यह काफी अहम पद होता है.

इस बीच, नियुक्ति समिति ने प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव के रूप में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी पीके मिश्रा की नियुक्ति को भी मंजूरी दे दी है. उनकी नियुक्ति प्रधानमंत्री के कार्यकाल के साथ-साथ या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो - तब तक रहेगी.

अजीत डोभाल की प्रमुख उपलब्धियां

केरल कैडर के 1968 बैच के आईपीएस अधिकारी, अजीत डोभाल सुरक्षा और खुफिया अभियानों में सबसे आगे रहे हैं. उन्होंने भारत की सुरक्षा रणनीतियों को आकार देने, खासकर चीन के साथ संबंधों को मैनेज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

  • अजीत डोभाल पहले पुलिस अधिकारी हैं जिन्हें भारत के दूसरे सबसे बड़े शांतिकालीन वीरता पुरस्कार कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है.

  • उन्होंने पाकिस्तान में भारतीय हाई कमीशन में 6 साल तक सेवा दी. इस दौरान उन्होंने अपने कूटनीतिक कौशल का प्रदर्शन किया.

  • डोभाल ने 1999 में कंधार में हाईजैक हुए एयर इंडिया की फ्लाइट IC-814 के यात्रियों की रिहाई के लिए बातचीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनके क्राइसिस मैनेजमेंट का कौशल काफी काम आया.

  • उन्होंने 1988 में खालिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन ब्लैक थंडर का नेतृत्व किया था और अपने रणनीतिक कौशल का प्रदर्शन करते हुए कई अन्य काउंटर टेररिज्म ऑपरेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

  • डोभाल ने 2004 और 2005 के बीच इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक के रूप में भी काम किया.

  • माना जाता है कि उन्होंने 'ऑफेंसिव डिफेंस स्ट्रेटेजी' तैयार की थी जिसके कारण 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 में बालाकोट हवाई हमले हुए.

  • एनएसए के रूप में अपने पहले कार्यकाल के दौरान, डोभाल ने इराक में फंसी 546 भारतीय नर्सों की सुरक्षित वापसी में अहम भूमिका निभाई थी.

  • डोभाल ने म्यांमार से संचालित नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड के अलगाववादियों के खिलाफ एक सफल सैन्य अभियान चलाया.

  • भारत-चीन डोकलाम गतिरोध को सुलझाने में भी डोभाल की अहम भूमिका रही है.

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