यूरोपियन जोन के समर्थक इमैनुएल मैक्रों ने फ्रांस के राष्ट्रपति पद का चुनाव जीत लिया है. इसके साथ ही वह फ्रांस के सबसे युवा राष्ट्रपति बन गए हैं. परंपरागत पार्टियों से अलग नई पार्टी बनाकर पहली बार मैक्रों चुनावी मैदान में उतरे थे.
बता दें कि इस साल (2017) दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश अमेरिका और फ्रांस में नए राष्ट्रपतियों ने कमान संभाली है. इन दोनों देशों में किसी भी बदलाव का असर दुनिया पर भी पड़ता है.
ऐसे में जानते हैं कि क्या है मैक्रों और ट्रंप का नजरिया-
उदारवादी हैं मैक्रों, दक्षिणपंथी माने जाते हैं ट्रंप
मैक्रों को चुनावों में टक्कर देने वाली ल पेन को फ्रांस में दक्षिणपंथी माना जाता है. ल पेन का ज्यादा जोर कट्टरवादियों पर रोक लगाने, शरणार्थियों के लिए कड़े नियम बनाने, गैर कानूनी प्रवासन पर रोक के साथ ही यूरोजोन से अलग होने पर था. फ्रांस की जनता ने ल पेन को इस चुनाव में नकार दिया है.
इससे ही मिलते जुलते वादे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने अमेरिकी चुनाव में किये थे और उन्हें जीत मिली थी. वहीं फ्रांस के नए राष्ट्रपति मैक्रों उदारवादी नेता के तौर पर मशहूर हैं.
उन्होंने खुद को एक प्रगतिशील शख्स के रूप में पेश किया है, जो न ही वामपंथी विचाधारा से प्रभावित है और न ही दक्षिणपंथी विचारधारा से. वह आर्थिक रूप से उदार, कारोबार समर्थक हैं लेकिन वह एक देश में किसी भी धर्म को मानने की स्वतंत्रता, समानता जैसे सामाजिक मुद्दों पर उदारवादी विचारधारा से प्रेरित हैं.
ग्लोबलाइजेशन पर क्या सोचते हैं ट्रंप और मैक्रों ?
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का जोर देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर है. लेकिन तरीके ऐसे हैं जो ग्लोबलाइजेशन के विपरीत हैं. ट्रंप ने 'मेक इन अमेरिका' की अवधारणा को बढ़ावा देने पर जोर डाला, जिससे अमेरिका की खुली अर्थव्यवस्था पर पाबंदी लगी है. ट्रंप की आउटसोर्सिंग नीति भी अमेरिका को दुनिया से अलग करने जैसी है.
वहीं मैक्रों ग्लोबलाइजेशन के धुर समर्थक हैं. मैक्रों अपनी तमाम रैलियों में अपने समर्थकों से आग्रह करते रहे कि फ्रांस और यूरोपियन यूनियन दोनों का झंडा लहराया जाए. खुले बाजार के समर्थक मैक्रों ने यूरोपीयन जोन के घाटे को सुधारने के लिए बजट में बचत का प्रस्ताव दिया है.
यूरोपीय संघ पर क्या है सोच ?
मैक्रों यूरोपीय संघ के बड़े समर्थक हैं. ब्रेग्जिट के बाद से ही फ्रांस के यूरोपीय संघ से अलग होने की भी चर्चाएं शुरू हो गई थी. इसे नाम दिया गया फ्रेग्जिट लेकिन मैक्रों के चुनाव जीतने के बाद यूरोपीय संघ को मजबूती मिलेगी. मैक्रों ने यूरोजोन सरकार के गठन का भी वादा किया है.
वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ब्रेग्जिट के समर्थक थे उन्होंने यहां तक कहा था कि यूरोजोन से ब्रिटेन बाहर आया तो वो मजबूत होगा.
शरणार्थियों पर नीति
शरणार्थियों पर फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों की बात करें तो उन्होंने यूरोपियन जोन की 5 हजार बॉर्डर गार्ड्स की फोर्स गठित करने की बात कही है. इसके साथ ही फ्रांस की सिटिजनशिप हासिल करने के लिए फ्रैंच भाषा के अच्छे ज्ञान को अनिवार्यता देने की बात कही है. मैक्रों ने फ्रांस के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के बारे में सभी धर्मगुरुओं को ट्रेनिंग देने का भी वायदा किया है.
वहीं डोनाल्ड ट्रंप ने अपने चुनावी वादों में शरणार्थियों पर लगाम कसने का वादा किया था. उन्होंने यहां तक कहा था कि हर एक अवैध प्रवासी को अमेरिका छोड़ना पड़ेगा. लोकतांत्रिक देश अमेरिका में मुस्लिमों के प्रवेश पर पाबंदी लगाने की बात भी ट्रंप अपनी चुनावी सभाओं में करते आए हैं.
पर्यावरण के मुद्दे पर
मैक्रों ने अपने चुनावी वादों में अगले 5 सालों के दौरान पर्यावरण के क्षेत्र में निवेश की बात की है. वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में कोयले के उत्पादन की सीमा पर रोक को खत्म करने जैसे वादे किए थे. साथ ही पेरिस जलवायु समझौते को खत्म करने के भी संकेत ट्रंप ने किए थे.
फ्रांस के सबसे युवा राष्ट्रपति मैक्रों और अमेरिका के सबसे बुजुर्ग राष्ट्रपति ट्रंप की नीतियां पूरी दुनिया के लिए कैसी साबित होती है ये आने वाले दिनों में और साफ होता जाएगा.
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