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म्यांमार:400 मौतें,हजारों ने छोड़ा देश,अबतक की बड़ी बात

म्यांमार में जारी हिंसा के बीच म्यांमार की सशस्त्र सेना दिवस परेड में भारत की सैन्य टुकड़ी ने भी हिस्सा लिया.

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म्यांमार में तख्तापलट के बाद से आम लोग सेना के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसमें अबतक 400 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. इसके बावजूद म्यांमार की सेना ने आर्मी परेड और भाषणों के साथ एनुअल आर्म्ड फोर्स डे मनाया. इसी दौरान देश के अलग-अलग हिस्सों में सेना के साथ झड़प में कम से कम 91 नागरिकों की मौत की खबर आई.

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, भारत उन आठ देशों में शामिल था, जिन्होंने शनिवार को म्यांमार की सशस्त्र सेना दिवस परेड में अपना प्रतिनिधि भेजने का फैसला किया था.

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मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, सिर्फ आठ देश - रूस, चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, वियतनाम, लाओस, थाईलैंड और भारत - ने पीतावा में परेड में हिस्सा लिया, जो प्रदर्शनकारियों को डराने के लिए स्पष्ट रूप से लाइव टीवी पर प्रसारित किया गया था. साथ ही इस दौरान म्यांमार में भारत की सैन्य टुकड़ी ने परेड में भी हिस्सा लिया.

परेड में भारत की उपस्थिति ऐसे समय में हुई है, जब सैन्य तख्तापलट और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा पर सरकार की चुप्पी को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही है निंदा

वहीं दूसरी ओर सुरक्षाबलों की हिंसक कार्रवाई को देखते हुए करीब एक दर्जन देशों के रक्षा प्रमुखों ने संयुक्त तौर पर इसकी निंदा की है. जिन देशों के रक्षा प्रमुखों ने म्यांमार के सुरक्षाबलों की हिंसक कार्रवाई की निंदा की है, उनमें अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं.

3000 लोग जान बचाने थाइलैंड भागे

म्यांमार में सत्ता पर सेना के कब्जे के बाद आम लोगों का जीना मुश्किल हो गया है. अपनी जान बचाने के लिए लोग पड़ोसी मुल्क में बॉर्डर क्रॉस कर पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं.

न्यूज एजेंसी रायटर्स ने लोकल मीडिया के हवाले से बताया है कि सेना के हमले की वजह से अपनी जान बचाने के लिए लगभग 3,000 लोग रविवार को म्यांमार के दक्षिणपूर्वी के करेन राज्य से थाईलैंड भाग गए हैं.

करेन महिला संगठन ने कहा कि म्यांमार की सेना ने मुतारा जिले में सीमा के पास के पांच क्षेत्रों पर हवाई हमले किए, जिनमें एक विस्थापन शिविर भी शामिल है.

समूह की ओर से एक बयान में कहा गया, "फिलहाल, ग्रामीण जंगल में छिप रहे हैं, क्योंकि 3,000 से ज्यादा लोग शरण लेने के लिए थाईलैंड में आ चुके हैं."

बता दें कि जिस इलाके में म्यांमार की सेना ने हवाई हमले किए हैं वो इलाका विद्रोही गुट करेन नेशनल यूनियन (KNU) के कब्जे वाला माना जाता है. KNU उन सैकड़ों लोगों को शरण दे रहा है, जो देश में बढ़ी हिंसा के बीच भाग कर सेंट्रल म्यांमार पहुंचे हैं.

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भारत पहुंचे म्यांमार से आए शरणार्थी

म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद से बहुत से पुलिसकर्मियों समेत सैकड़ों शरणार्थी मिजोरम आ चुके हैं. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, म्यांमार के अबतक करीब 19 पुलिसवालों ने भारतीय सीमा में एंट्री ली है. इन पुलिसकर्मियों ने मिजोरम में शरण ली है. मीडिया रिपोर्ट्स का कहना है कि भारत आने वाले पुलिस कर्मी निचली रैंक के हैं और उनके पास किसी तरह के हथियार भी नहीं थे.

दोनों देश 510 किलोमीटर की बॉर्डर शेयर करते हैं. साथ ही दोनों देशों के बीच फ्री मूवमेंट रीजिम (FMR) व्यवस्था है, जिससे स्थानीय लोगों को दूसरी तरफ 16 किलोमीटर तक जाने और 14 दिनों तक रहने की अनुमति है. इस व्यवस्था के कारण दोनों तरफ के लोग काम और रिश्तेदारों से मिलने की वजह से दोनों तरफ जाते हैं. दोनों तरफ शादियों का भी आयोजन होता है. 

म्यांमार में जारी संकट को देखते हुए मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथांगा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मानवीय आधार पर म्यांमार से आए शरणार्थियों को शरण देने का अनुरोध किया है. हालांकि भारत के पास शरणार्थियों को लेकर कोई कानून नहीं है, और न ही भारत 1951 के संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन और 1967 के शरणार्थियों की स्थिति से संबंधित प्रोटोकॉल का हिस्सा है.

वहीं दूसरी ओर गृह मंत्रालय ने हाल ही में म्यांमार की सीमा से लगने वाले राज्यों- मिजोरम, नागालैंड, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश से कहा था कि म्यांमार नागरिकों की पहचान कर उन्हें वापस भेजा जाए. सीमा सुरक्षा में लगे असम राइफल्स को भी सुरक्षा पुख्ता करने के निर्देश दिए गए हैं.

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