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नेपाल में सियासी संकट: अल्पमत में आई ओली सरकार

अगर ओली अपने पद से त्याग पत्र देते हैं तो सात साल बाद फिर प्रधानमंत्री बनने के लिए दहाल की राह आसान हो जाएगी.

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नेपाल में सत्तारूढ़ के.पी. शर्मा ओली की सरकार अल्पमत में आ गई है.

पुष्प कमल दहाल प्रचंड के नेतृत्व वाले सीपीएन(माओवादी सेंटर) ने मंगलावर को सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक कर, प्रचंड ने नौ महीने पुरानी नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी(एकीकृत माओवादी -लेनिनवादी) सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला किया.

नेपाल में नए संविधान लागू होने के कुछ दिनों बाद ही यह सरकार बनी थी.

मैंने सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला किया है. पार्टी के फैसले से राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी, प्रधानमंत्री ओली और प्रतिनिधि सभा (नेपाली संसद) की अध्यक्ष ओनसारी घारती को अवगत करा दिया गया है. 
पुष्प कमल दहाल प्रचंड
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बढ़ रही थी दूरियां

पुष्प कमल दहाल की पार्टी सीपीएन(माओवादी सेंटर) और ओली की सीपीएन (यूएमएल) के बीच दूरियां तब से बढ़ रही हैं, जब बीते मई महीने में माओवादियों को देश की मुख्य विपक्षी पार्टी नेपाली कांग्रेस से समर्थन हासिल हो गया था. उस समय दहाल ने उनके नेतृत्व में ओली को सरकार में शामिल होने के लिए कहा था.

हालांकि एक दिन बाद दहाल ने अपना मन बदल दिया और वाम नीत और वाम बहुल सरकार को नहीं गिराने का फैसला किया. उन्होंने ओली को सम्मानजनक ढंग से पद छोड़ने और बाद में अपने उत्तराधिकारी के रूप में दहाल का समर्थन करने के लिए समय दिया.

बनेंगे नए समीकरण

नेपाल में नए गठबंधन के लिए राजनीतिक पार्टियों के साथ हो रही बातचीत पर राजनीतिक पर्यवेक्षकों की पैनी नजर है, क्योंकि सीपीएन ने कहा है कि देश में आम सहमति से राष्ट्रीय सरकार के गठन के लिए मौजूदा सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला किया गया है.

पांच मई को जब प्रचंड ने ओली को सरकार छोड़ने का नोटिस दिया था, उस समय उन्हें संयुक्त लोकतांत्रिक मधेसी मोर्चा का भी समर्थन प्राप्त था. पिछले साल 20 सितम्बर को संविधान की घोषणा होने बाद मधेसी मोर्चा ने ओली सरकार के खिलाफ पांच महीने तक आन्दोलन किया था.

अगर ओली अपने पद से त्याग पत्र देते हैं तो सात साल बाद फिर प्रधानमंत्री बनने के लिए दहाल की राह आसान हो जाएगी.

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