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Nissan के पूर्व अध्यक्ष कार्लोस म्यूजिक बॉक्स में छिपकर हुए फरार

निसान के पूर्व अध्यक्ष कार्लोस घोसान बिना पासपोर्ट के एक म्यूजिक बॉक्स में छिप कर चुपके से लेबनान पहुंच गए हैं

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जापानी कार निर्माता कंपनी निसान के पूर्व अध्यक्ष कार्लोस घोसन बिना पासपोर्ट के एक म्यूजिक बॉक्स में छिप कर चुपके से लेबनान पहुंच गए हैं. कार्लोस ने जापान में अपने खिलाफ हो रही कानूनी कारवाई से बचने के लिए ऐसा कदम उठाया है.

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घोसन के ऊपर भ्रष्टाचार के कई आरोप हैं, इस साल अप्रैल में उन्हें कोर्ट से कड़ी शर्तों पर जमानत मिली थी, जिसमें देश ना छोड़ना उनकी जमानत की शर्तों में था. कार्लोस के पास तीन देशों के पासपोर्ट थे. फ्रांस, लेबनान और ब्राजील की नागरिकता हासिल किए घोसन के तीनों पासपोर्ट को जापान की सरकार ने जब्त कर लिया था. नवंबर 2018 में घोसन को गिरफ्तार किया गया था.

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म्यूजिक बॉक्स में छिप कर कैसे भागे कार्लोस घोसन

लेबनान के सरकारी टीवी स्टेशन एमटीवी ने लिखा है कि घोसन ने क्रिसमस पर एक म्यूजिक बैंड को अपने घर बुलाया था. इस म्यूजिकल बॉक्स में छिपकर वो जापान से बाहर फरार हो गए. जापानी मीडिया ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि घोसन किसी दूसरे नाम से बेरुत इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर दिखे. और उन्होंने प्राइवेट जेट का इस्तेमाल किया था.

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एक सेटमेंट में घोसन का कहना है कि

मैं न्याय से भागा नहीं हूं. मैं अन्याय और राजनीतिक उत्पीड़न से बचकर निकल गया हूं.

घोसन ने यह भी भरोसा दिलाया कि वो जल्द मीडिया से बात करेंगे.

ये हैं आरोप

कार्लोस पर जापान के वित्तीय कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है. निसान की तरफ से भी कहा गया है कि उन्होंने कंपनी के पैसों का निजी इस्तेमाल किया है. साथ ही उन्होंने कंपनी को अपनी इनकम के बारे में भी साफ जानकारी नहीं दी.

जानकारी के मुताबिक मामले की जांच शुरू हो चुकी है. आगे कुछ और नए और बड़े तथ्य सामने आ सकते हैं. बता दें कि कार्लोस फ्रांस की ऑटो कंपनी रिनॉल्ट के भी सीईओ हैं.

कौन हैं कार्लोस?

कार्लोस घोस ऑटो इंडस्ट्री के एक सेलिब्रिटी हैं. उनका नाम जापान के टॉप सीईओ में शामिल है. उन्हें कार इंडस्ट्री का प्रॉफिट मेकर भी कहा जाता है. फोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक उन्हें जापान की एक कॉमिक बुक में सुपरहीरो के तौर पर भी दिखाया गया है. उन्होंने 1999 में घाटे में चल रही निसान मोटर को वापस खड़ा करने में काफी मदद की. उन्होंने ऑटो कंपनी रेनॉ और निसान की हिस्सेदारी को मर्ज करने का काम किया. उनके इस आइडिया से दोनों ही कंपनियों ने जरदस्त वापसी की और अपनी नई पहचान बनाई.

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