उत्तर कोरिया ने शुक्रवार को अपना पांचवा न्यूक्लियर टेस्ट किया. आठ महीने पहले भी उत्तर कोरिया ने न्यूक्लियर टेस्ट किया था. इस परीक्षण का भारत और अमेरिका समेत कई देशों ने विरोध किया है. इस टेस्ट के बाद आस-पास के इलाकों में 5.3 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया.
उत्तर कोरिया ने न्यूक्लियर वेपल्स इंस्टीट्यूट की तरफ से जारी की गई रिपोर्ट में बताया है कि नए साइंटिस्ट और नए तकनीक से बने न्यूक्लियर बमों की पावर चेक करने के लिए यह टेस्ट किया गया है.
अमेरिका को डराने के लिए किया ये टेस्ट
उत्तर कोरिया का कहना है कि उसने यह टेस्ट अमेरिका को दिखाने के लिए किया है क्योंकि पूरे एशिया पैसेफिक में अमेरिका के बढ़ते प्रभाव को लेकर उत्तर कोरिया परेशान है. लगभग सभी देशों की सरकारों ने इस न्यूक्लियर टेस्ट निंदा करते हुए गंभीर चिंता जताई है.
भारत ने भी जताया विरोध
विदेश मंत्रालय ने भी बयान जारी कर नॉर्थ कोरिया के न्यूक्लियर टेस्ट का विरोध किया है. बयान में कहा गया है कि हम उत्तरी कोरिया के न्यूक्लियर टेस्ट की कड़ी आलोचना करते हैं. इस तरह के कृत्य क्षेत्र में शांति व्यवस्था को नुकसान पहुंचाते हैं.
उत्तर कोरिया को अमेरिका की चेतावनी
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने शुक्रवार को चेतावनी दी कि उत्तर कोरिया द्वारा किए गए न्यूक्लियर टेस्ट के लिए उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे.
उन्होंने व्हाइट हाउस में कहा है कि ये न्यूक्लियर टेस्ट देश को भड़काने की साजिश है. ओबामा ने इसे लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सुसेन राइस, दक्षिण कोरिया की राष्ट्रपति पार्क ग्यून हे और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे से चर्चा की है.
अमेरिका एशिया और दुनियाभर के कई देशों की सुरक्षा को लेकर एक-दूसरे के साथ कमिटेड है, किसी भी तरह के न्यूक्लियर या मिसाइल टेस्ट करने के लिए यूनाइटेड नेशन की तरफ से उत्तर कोरिया पर बैन लगा हुआ है. फिर भी, उसने इस साल जनवरी में अपना चौथा न्यूक्लियर टेस्ट किया था.
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