कोरोना वायरस संक्रमण का कहर झेल रहे गरीब देशों को बेलआउट पैकेज नहीं मुहैया कराए गए तो दुनिया भर में 50 करोड़ से अधिक लोग गरीबी के गर्त में जा सकते हैं. ऑक्सफैम की रिपोर्ट में कहा गया है कि वायरस संक्रमण को रोकने के लिए किया गया लॉकडाउन दुनिया भर में गरीबी को रोकने की लड़ाई को एक दशक पीछे ले जाएगा.
अफ्रीकी देशों को सबसे ज्यादा आर्थिक दिक्कत
ब्रिटिश अखबार ‘द गार्जियन’ ने इस रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि कोरोना का सबसे ज्यादा असर सब-सहारा अफ्रीकी देशों, उत्तरी अफ्रीकी देशों और मिडिल ईस्ट में पड़ेगा. सब-सहारा अफ्रीकी देशों में गरीबी रोकने की लड़ाई 30 साल पीछे चल जाएगी.
ऑक्सफैम की यह रिपोर्ट G-20 देशों के वित्त मंत्रियों, आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक की वर्चुअल मीटिंग से पहले आई है. रिपोर्टमें कहा गया है कि जब तक दुनिया COVID- 19 से उबरेगी तब तक इसकी 7.8 अरब आबादी में से आधी गरीबी में फंस चुकी होगी.
गरीबों पर सबसे ज्यादा मार पड़ेगी, उनके पास कोई आर्थिक सुरक्षा नहीं
किंग्स कॉलेज लंदन और ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी की रिसर्च में कहा गया है कि COVID-19 की वजह से मंदी से 54.8 करोड़ लोग 5.50 डॉलर की रोजाना कमाई से भी नीचे जिंदगी बसर करने को मजबूर हो जाएंगे.
ऑक्सफैम के अंतरिम एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर जोस मारिया वेरा ने कहा कि गरीब देशों के गरीब जो पहले ही जिंदगी से जूझ रहे हैं उनके लिए और दिक्कतें आएंगीं, क्योंकि उनके पास कोई सेफ्टी नेट मौजूद नहीं है.
आईएमएफ,वर्ल्ड बैंक और G-20 बनाएंगे रणनीति
इस बीच, जी-20, आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक दुनिया के सबसे गरीब देशों को दिए गए कर्ज में राहत देने के लिए बैठक करेंगे.इसके साथ आईएमएफ में Special drawing rights (SDR) के गठन के जरिये फंड बढ़ाने की भी कोशिश होगी. SDR एक इंटरनेशनल करंसी है, जिससे गरीबी से जूझ रहे देशों की मदद की जाती है. यूएन ने कहा कि कोरोनावायरस संक्रमण से जूझ रहे विकासशील देशों को 2.5 ट्रिलियन डॉलर की मदद की जरूरत पड़ेगी. इस संकट से अफ्रीका में लगभग आधी नौकरियां खत्म हो जाने का खतरा है.
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