पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ ने चेतावनी दी है कि अगर लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों पर लगाम नहीं लगाई गई, तो देश को शर्मिंदगी का सामना करते रहना होगा.
ख्वाजा आसिफ का बयान चीन समेत ब्रिक्स के मंच से पहली बार पाकिस्तान से ऑपरेट किए जा रहे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधित संगठनों का नाम लिए जाने के दो दिन बाद आया है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकी ग्रुप के लिए 'पनाहगाह' होने को लेकर पाकिस्तान की आलोचना की थी. अब आसिफ ने भी पाकिस्तान से ऑपरेट होने वाले आतंकी संगठनों के अस्तित्व को स्वीकार कर लिया है.
आसिफ ने जियो न्यूज से कहा:
हमें अपने मित्रों से कहना है कि हमने अपना बर्ताव सुधार लिया है. हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदगी का सामना करने से बचने के लिए अपने तौर-तरीके में सुधार करना है.
चीन के रुख से बदले पाक के सुर
आसिफ का बयान चीनी नेतृत्व से मिलने के लिए अपनी बीजिंग यात्रा से कुछ दिन पहले आया है. आसिफ के मुताबिक, ब्रिक्स घोषणापत्र को चीन का आधिकारिक रुख नहीं समझा जाना चाहिए, क्योंकि रूस, भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका भी समूह का हिस्सा हैं.
श्यामन में ब्रिक्स घोषणा पत्र में लश्कर-ए-तैयबा और जेईएम को शामिल किया जाना पाकिस्तान के लिए झटका माना जा रहा है, क्योंकि चीन ने पिछले साल गोवा में ब्रिक्स की बैठक के बाद दस्तावेज में पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों का नाम लिए जाने की कोशिशों में बाधा पहुंचाई थी.
हालांकि आसिफ ने कहा कि दोस्तों का हमेशा टेस्ट नहीं लेना चाहिए, खास तौर पर बदले हुए माहौल में. उन्होंने कहा कि इसकी बजाय हमें लश्कर और जैश जैसे तत्वों की गतिविधियों पर कुछ पाबंदी लगानी चाहिए, ताकि हम दुनिया को कुछ दिखा सकें.
(इनपुट भाषा से)
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