ADVERTISEMENTREMOVE AD

श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे कौन हैं?

श्रीलंका मौजूदा वक्त में आर्थिक संकट से जूझ रहा है, जिसके संभालने की जिम्मेदारी अब नए पीएम को मिल चुकी है.

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

सोमवार, 9 मई को महिंदा राजपक्षे ने श्रीलंका (SriLanka) के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद देश में कर्फ्यू लगा हुआ है. राजपक्षे के इस्तीफा देने के बाद गुरुवार, 12 मई को रानिल विक्रमसिंघे को नए प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया है. श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने रानिल को पीएम पद के लिए शुभकामनाएं दी हैं. बता दें कि श्रीलंका मौजूदा वक्त में आर्थिक संकट से जूझ रहा है, जिसके संभालने की जिम्मेदारी अब नए पीएम को मिल चुकी है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

कौन हैं रानिल विक्रमसिंघे?

रानिल विक्रमसिंघे श्रीलंका की यूनाइटेड नेशनल पार्टी (UNP) के प्रेसीडेंट हैं. विक्रमसिंघे इससे पहले चार बार प्रधानमंत्री पद पर आसीन हो चुके हैं. उन्हें 2015 में राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना द्वारा प्रधान मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था.

विक्रमसिंघे ने 20 नवंबर 2019 को प्रधान मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया.

पीएम के अलावा भी कई पदों को संभाल चुके हैं रानिल विक्रमसिंघे

रानिल विक्रमासिंघे ने एडवोकेट की पढ़ाई की है. उन्होंने 70 के दशक में रानिल ने राजनीति में अपना कदम रखा और 1977 में पहली बार सांसद बने. इसके बाद 1993 में वो पहली बार श्रीलंका के प्रधानमंत्री पद पर बैठे. प्रधानमंत्री बनने से पहले रानिल ने श्रीलंका के उपविदेश मंत्री, युवा और रोजगार मंत्री सहित कई बड़े पदों की जिम्मेदारी संभाल चुके थे.

विक्रमसिंघे एक बार फिर प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे हैं. उनकी पार्टी यूएनपी देश की सबसे पुरानी पार्टी है, जिसको 225 सदस्यीय संसद में केवल एक सीट हासिल है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सूत्रों का कहना है कि उन्हें क्रॉस-पार्टी सपोर्ट है.

पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक सत्तारूढ़ श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (SLPP) के सदस्य, मुख्य विपक्षी एसजेबी का एक वर्ग और कई अन्य दल संसद में विक्रमसिंघे का समर्थन करेंगे.

अपने पिछले प्रधान मंत्री कार्यकाल के दौरान विक्रमसिंघे पश्चिम देशों की ओर झुकाव के लिए जाने जाते थे.

रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्हें एक ऐसे व्यक्ति के रूप में देखा जाता है, जो अंतर्राष्ट्रीय सहयोग आकर्षित कर सकता है और श्रीलंका को मौजूदा आर्थिक संकट से बाहर निकाल सकता है.

विक्रमसिंघे को हमेशा यूएनपी को केंद्र-अधिकार मुक्त बाजार आधारित आर्थिक नीति की ओर ले जाने के रूप में देखा गया है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×