लेबनान में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प में 18 जनवरी को 150 से ज्यादा लोग घायल हो गए. प्रदर्शनकारी सरकार गठन में देरी से नाराज हैं. झड़प के बाद लेबनान की राजधानी बेरूत में सायरन की आवाजें गूंजने लगीं. मध्य बेरूत के एक चौराहे पर 18 जनवरी की शाम को प्रर्शनकारियों के तंबुओं में आग फैल गई. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि आग लगने का कारण क्या है.
लेबनान में प्रदर्शनों ने 17 अक्टूबर से फिर से जोर पकड़ा है. दरअसल देश का गहराता आर्थिक संकट लोगों की चिंता का कारण है और लोग नई सरकार के गठन का दबाव बना रहे हैं.
नई सरकार के गठन में फिलहाल कोई प्रगति नहीं हुई है. प्रदर्शनकारियों की मांग है कि इसमें सभी राजनीतिक दलों को छोड़कर स्वतंत्र विशेषज्ञों को शामिल किया जाए.
इससे पहले शहर भर में मार्च निकाले गए लेकिन संसद के पास प्रदर्शनकारियों ने वहां सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों पर पथराव किया और बड़े बड़े गमले फेंके.
इसके बाद सुरक्षाबलों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछारें कीं और आंसू गैस के गोले छोड़े. आंतरिक सुरक्षाबलों ने ट्वीट किया, ‘‘संसद के एक प्रवेश द्वार पर दंगा रोधी पुलिस के साथ सीधी और हिंसक झड़पें हो रही हैं.’’
ट्वीट में आगे कहा गया,‘‘ हम शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वालों से अपील करते हैं कि वे अपनी सुरक्षा के लिए दंगे वाले स्थान से दूर रहें.’’
लेबनान में कैबिनेट का गठन पेचीदा प्रक्रिया है, क्योंकि यहां देश के मुख्य राजनीतिक दलों और धार्मिक संप्रदाय के बीच तालमेल बिठाने वाली एक जटिल व्यवस्था है.
मगर प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे पुरानी व्यवस्था को खत्म करना चाहते हैं और एक ऐसी नई सरकार चाहते हैं जो देश के गहराते आर्थिक और नकदी के संकट को दूर कर सके.
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