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यूक्रेन के संकट को कम करने लिए रूस ने रखी मांग, 'अनदेखा करने पर कार्रवाई करेंगे'

मॉस्को ने कहा है कि उसके हितों की अनदेखी करने पर 1962 के क्यूबा मिसाइल संकट के समान "सैन्य प्रतिक्रिया" होगी.

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रूस (Russia) ने सुरक्षा गारंटी के लिए एक बेहद विवादास्पद सूची को आगे बढाते हुए और कुछ मांगों को रखते हुए कहा कि यूरोप (Europe) में तनाव को कम करने लिए वो चाहता है कि पश्चिम देश इन मांगों पर सहमति जताए ताकि यूक्रेन (Ukraine) को लेकर संकट को कम किया जा सके.

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रूस ने पहली मांग रखी की यूक्रेन पर नाटो (NATO) में प्रवेश करने पर प्रतिबंध हो और नाटो के पूर्वी हिस्से में सैनिकों और हथियारों की तैनाती की सीमा हो.

ऐसी कुल आठ मांगों वाले मसौदे को रूस के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी की किया गया था क्योंकि इसकी सेना यूक्रेन की सीमाओं के करीब है. मॉस्को ने कहा है कि उसके हितों की अनदेखी करने से 1962 के क्यूबा मिसाइल संकट के समान "सैन्य प्रतिक्रिया" होगी.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मांग की है कि पश्चिम, रूस को उसकी सुरक्षा की "कानूनी गारंटी" प्रदान करे. लेकिन रूस द्वारा आक्रामक रूप से जारी मांगों की सूची को पश्चिम देशों द्वारा खारिज किए जाने की अधिक संभावना है क्योंकि इससे पूर्वी यूरोप पर प्रभाव पड़ सकता है.

यूक्रेन और रूस के बीच जारी तनाव के बीच शुक्रवार को क्रीमियाई प्रायद्वीप में रूस समर्थित विद्रोहियों के हमले में यूक्रेन का एक सैनिक मारा गया.

बता दें कि 1991 के पतन तक यूक्रेन सोवियत यूनियन का हिस्सा था. उसके बाद से ही रूस ने अपने इस पड़ोसी देश पर प्रभुत्व रखने की मांग की है. उससे बाद से ही यूक्रेन और पश्चिमी देशों ने आरोप लगाया कि रूस ने अलगाववादियों का समर्थन करने के लिए पूर्व में सेना और हथियार भेजे हैं. जबकि मॉस्को ने उन दावों का खंडन करते हुए जोर देकर कहा है कि विद्रोहियों के साथ लड़ने वाले रूसी अपने दम पर वहां गए थे.

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