रूस के राष्ट्रपति (Russian President) व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने परमाणु अलर्ट (Nuclear Alert) का आदेश देकर पूरी दुनिया की सांसें थाम रखी हैं. परमाणु हमला एक ऐसा शब्द है जिसे सुनकर सभी के शरीर में सिहरन उठने लगती है. ऐसे हमले की कल्पना से ही सभी को डर लगता है. हिरोशिमा और नागासाकी में परमाणु हमले की भयावहता को सभी देख ही चुके हैं. क्या आप जानते हैं कि ऐसा ही एक दिन 25 जनवरी 1995 को भी आया था, जब दुनिया दूसरे परमाणु परमाणु हमले के बेहद नजदीक पहुंच चुकी थी. क्या था वह मामला यहां पढ़िए.
तो असल में हुआ यह कि उस दिन रूस की वायु सीमा के ऊपर से एक संदिग्ध मिसाइल उड़ती जा रही थी. जिसके बारे में राडार ने हर तरह से परमाणु वाहक रॉकेट होने की सूचना भेजी. रूस की तरफ बढ़ती इस मिसाइल को वहां के डिफेंस सिस्टम ने अपने देश पर परमाणु हमले की तरह नोटिस किया.
उस समय रूस का अपने पड़ोसियों और पश्चिमी देशों से तनाव चल ही रहा था. आर्मी डिफेंस सिस्टम ने इसका अलर्ट रूस के राष्ट्रपति के पास मौजूद परमाणु लॉन्चिंग कोड वाले खुफिया ब्रीफकेस को भेजा. इस खुफिया ब्रीफकेस के बारे में आप 'प्रलय का परमाणु' शीर्षक की हमारी सीरीज की पहली खबर में पढ़ चुके हैं.
खुफिया ब्रीफकेस चेगेट में देश पर घातक अटैक के समय चेतावनी देने वाला अलार्म बजने लगा. उस समय बोरिस येल्तसिन रूस के राष्ट्रपति के पद पर आसीन थे. जब परमाणु अटैक के अलर्ट वाली लाइट फ्लैश होने लगी, तो येल्तसिन ने बहुत तेजी से ब्रीफकेस का ओपन कोड डालकर इसे खोला और इसी के जरिए अपने देश के प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री से बात करना शुरू किया.
समय गुजरता जा रहा था और उनके देश पर संकट मंडरा रहा था. उनके पास चंद क्षण बचे थे, जिनमें देश की परमाणु मिसाइलों को एक्टिव कर लॉन्चिंग कोड जारी करके परमाणु हमले का आदेश जारी किया जाना था.
बैरेंट्स सी में तैनात सबमरीन को हमले की पूरी तैयारी करने का ऑर्डर जारी कर दिया गया, क्योंकि उसी बैरेंट्स सी के ऊपर से वह संदिग्ध मिसाइल गुजर रही थी. रूस की लड़ाकू पनडुब्बी भी बाहर आकर वार करने के लिए तैयार थी. बोरिस येल्तसिन लॉन्चिंग कोड को डिफेंस अथॉरिटी तक भेजने ही वाले थे, तभी उनके पास रडार से एकत्रित परिवर्तित जानकारी पहुंची, जिससे सिद्ध हो गया कि वह अलर्ट गलती से जारी हो गया था.
रूस की सीमा के ऊपर से उस समय पड़ोसी देश नार्वे का एक रॉकेट गुजर रहा था, जोकि उस देश के साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट का एक हिस्सा था.
अगर उस दिन ब्रीफकेस के अलर्ट पर ध्यान देते हुए राष्ट्रपति जल्दबाजी में परमाणु कोड लॉन्च कर देते, तो पता नहीं इस धरती का इतिहास ही कुछ और होता.
उस समय ऐसी परिस्थिति बन गई थी कि प्रेसिडेंट मान बैठे थे कि उनके ऊपर उड़ती न्यूक्लियर मिसाइल द्वारा अब तो रूस पर गिरकर तबाही मचाना तय है और इसके बदले में देश को जवाबी परमाणु हमले की तैयारी तेजी से करना चाहिए. शीर्ष नेताओं के बीच इसी को लेकर बात हो रही थी.
कैसे सामने आया यह राज
यह सारे खुलासे रूस के ही एक ऐसे महत्वपूर्ण आदमी ने किए हैं जो बड़े लंबे समय तक रूसी सरकार में की स्ट्रैटेजिक पॉलिसीज से जुड़े रहे और परमाणु प्रक्रिया के दौरान परमाणु मामलों से जुड़ी चर्चा में सरकारी अथॉरिटीज के साथ शामिल रहे.
बाद में रूस ने ही उस पर ब्रिटिश जासूस होने का आरोप लगाकर जेल में डाल दिया. उनका नाम है इगोर सजेगेन और वह रूस की वेपंस स्टडी में महत्वपूर्ण रोल निभाते थे. वह बाद में इंग्लैंड में ही बस गए और ब्रिटिश डिफेंस थिंक टैंक में अपनी सेवाएं देने लगे. उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया को दिए साक्षात्कारों में रूस के परमाणु प्लान से जुड़ी इंटरेस्टिंग बातें बताईं, वहीं से यह कहानी भी सामने आई.
मुस्तैदी जांचने होती हैं ड्रिल
रूस सहित दुनिया के कई देशों में ऐसी ड्रिल की जाती हैं जिनसे उनके परमाणु दस्ते की मुस्तैदी का अंदाजा लगाया जा सके. इसके तहत राष्ट्रपति के परमाणु बटन से फाल्स लॉन्च कोड जारी करके देखा जाता है कि कितने समय के अंदर उनकी सेना के परमाणु दस्ते व लॉन्चिंग मिसाइलें इस कोड पर रिस्पांस देते हैं. दुनिया भर के परमाणु शक्ति संपन्न देशों में रक्षा अमले को इसी तरह तैयार किया जाता है कि वे देश पर संकट की स्थिति में परमाणु बटन से जारी किए गए लांच कोड पर तत्काल अमल करें.
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