Russia Ukraine crisis: “यूक्रेन-रूस बॉर्डर पर तनाव बढ़ गया है”- खबर अब इससे आगे बढ़ कर इस मोड़ पर पहुंच चुकी है कि “रूस यूक्रेन की सीमा में कब घुसेगा और कब युद्ध की शुरुआत होगी”. हालांकि रूस यूक्रेन पर सीधे हमले की आशंका को नकारते रहा है. लेकिन जब अमेरिका सहित कई पश्चिमी शक्तियां इसका सबूत दे रही हैं कि रूस ने यूक्रेन की सीमा पर अपने 40-50% सेना को तैनात कर दिया है, रूस खुद परमाणु हथियार ढोने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण कर रहा है- तब आमने-सामने के युद्ध की संभावना से इनकार करना मुश्किल लगता है.
ऐसी स्थिति में यह जानना भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि अमेरिका से लेकर रूस और यूक्रेन से लेकर चीन तक की मीडिया “यूक्रेन-रूस संकट” को कैसे कवर कर रही है. कौन इस तनाव को बढ़ा कर दिखा रहा है और कौन इसकी हकीकत को झुठला रहा है- यह आप तय कीजिए.
“पुतिन यूरोपीय सुरक्षा के ढांचे को शीत युद्ध के दौर में पहुंचना चाहते हैं”- अमेरिकी अखबार
अंतरराष्ट्रीय राजनीति को नजदीक से फॉलो करने वाले कई विशेषज्ञों का मानना है कि शीत युद्ध के बाद यह पहली बार है जब रूस पश्चिमी शक्तियों और खासकर अमेरिका को इस स्तर पर चुनौती दे रहा है. यही कारण है कि अमेरिका में न्यूयॉर्क टाइम्स से लेकर वाशिंगटन पोस्ट और CNN जैसे बड़े मीडिया हाउस “यूक्रेन-रूस संकट” को प्रमुखता से कवर कर रहे हैं.
न्यूयॉर्क टाइम्स के होमपेज पर अगर नजर डालें तो वहां आपको अधिकतर रूस और यूक्रेन से जुड़ी खबर ही मिलेंगी. NYT इसपर लाइव अपडेट ब्लॉग के साथ-साथ एनालिसिस स्टोरी भी कर रहा है.
“In Ukraine Crisis, the Looming Threat of a New Cold War” हेडलाइन से एक एनालिसिस कॉपी में NYT ने लिखा कि “पुतिन 1991 में सोवियत संघ के पतन के बाद रूस के कमजोर होने पर बनाए गए यूरोपीय सुरक्षा ढांचे को पहले की तरह करना चाहते हैं, और उस तरह के भू-राजनीतिक बफर जोन को फिर से बनाना चाहते हैं जिसको सदियों से रूसी शासकों ने आवश्यक महसूस किया है.”
अमेरिकी अखबार द वाशिंगटन पोस्ट भी अपने होमपेज पर “यूक्रेन-रूस संकट” से जुड़ी खबरों और लाइव अपडेट को प्रमुखता दे रहा है.
“In Ukraine’s war-weary east, intensifying shelling and battered homes signal attempts at provocation by Russia” हेडलाइन से छपी एक स्टोरी में यूक्रेन की पूर्वी सीमा पर रह रहे आम नागरिकों के लिए युद्ध कैसे शुरू हो चुका है, इसको विस्तार से कवर किया गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक बमबारी झेलने वाली डायना लेवेनेट्स कहती है कि "मैं विश्वास नहीं करना चाहती कि आगे नई सैन्य कार्रवाई होगी, लेकिन मुझे रूस जो कुछ कह रहा है, उसका भी विश्वास नहीं है. मुझे उनके शांतिपूर्ण बयानों या कथित तौर पर शांतिपूर्ण इरादों पर विश्वास नहीं है”.
रूसी सरकारी मीडिया में “ सब शांति-शांति है”
अब आते हैं वैश्विक संकट माने जा रहे “यूक्रेन-रूस विवाद” के दूसरे किरदार के घर में. अमेरिका के विपरीत रूसी मीडिया में इस सीमा विवाद पर शांति दिखती है, खासकर पुतिन सरकार का जिनपर नियंत्रण अधिक है.
आप सबसे बड़ी रूसी समाचार एजेंसी और दुनिया भर में सबसे बड़ी समाचार एजेंसियों में से एक-TASS के होमपेज पर नजर डालिए. यहां हमें “यूक्रेन-रूस विवाद” पर कुछ स्टोरी नजर तो आयी लेकिन उसमें सीमावर्ती क्षेत्रों में बमबारी के लिए कीव (यूक्रेन की राजधानी) को जिम्मेदार बताया गया था.
“Kiev forces open fire at LPR territory almost 50 times in past day” हेडलाइन से छपी स्टोरी में TASS ने बताया है कि “पूर्वी यूक्रेन में बॉर्डर लाइन के पास की स्थिति 17 फरवरी की सुबह बदतर हो गई. डीपीआर और एलपीआर ने हाल के महीनों में कीव बलों द्वारा कुछ सबसे भारी गोलाबारी की सूचना दी. गोलाबारी ने कुछ नागरिक सुविधाओं को क्षतिग्रस्त कर दिया”
हालांकि मॉस्को टाइम्स ने अपने होमपेज पर इस संकट को प्रमुखता से जगह दी है और यूक्रेन सीमा से लगे क्षेत्रों के लोगों और रिफ्यूजियों पर स्टोरी भी की है.
“In the Closest Russian City to Ukraine’s Separatist Region, There Are Few Signs of Refugees” हैडलाइन से छपी एक स्टोरी में बताया गया कि
“ स्थानीय मीडिया ने रिपोर्ट किया है कि कई हजार शरणार्थियों को पहले से ही तगानरोग के कैंप में रखा गया है, रोस्तोव के परिवहन केंद्र में चहल-पहल नहीं थी, और कुछ स्थानीय लोगों ने कहा कि उन्हें लगा कि यूक्रेन के साथ रूस का लंबे समय से चल रहा संघर्ष बढ़ने ही वाला है”.
यूक्रेन- युद्ध का डर अखबार में भी दिख रहा
अब आते हैं पूरे संकट के केंद्र बिंदू यूक्रेन की मीडिया पर. इनके होमपेज को देखकर साफ है कि इनके लिए रूसी हमले का संकट कितना बड़ा है.
कीव पोस्ट ने “Putin – the Crude Revisionist who Ignores Lessons of History” हेडलाइन से छपी स्टोरी में व्लादिमीर पुतिन पर जमकर निशाना साधा है. लेखिका यूलिया मेंडेल के अनुसार “व्लादिमीर पुतिन न केवल नए क्षेत्रों पर कब्जा करना चाहता है, बल्कि इतिहास का मालिक होना चाहता है. इतिहास अक्सर निरंकुशता और तानाशाही का शिकार होता है.”
चीनी मीडिया पर रूसी खुमार?
शीत युद्ध के बाद के काल में अमेरिका का सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी चीन माना जाता है और हाल के वर्षों में एंटी-अमेरिका फ्रंट खड़ा करने के लिए चीन और रूस साथ भी आ गए हैं. “यूक्रेन-रूस संकट” के बीच चीन का यही स्टैंड वहां की मीडिया कवरेज में भी दिखता है.
कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख समाचार पत्र पीपुल्स डेली के स्वामित्व वाली ग्लोबल टाइम्स के होमपेज पर नजर डालें. यहां “यूक्रेन-रूस संकट” पर सिर्फ एक एडिटोरियल पीस नजर आता है और उसमें भी यूक्रेन संकट को अमेरिका का स्कैम बताया गया है.
“Typical US scam: Hoaxing Ukraine into paying for ‘protection’: Global Times editorial” नाम के इस एडिटोरियल पीस में ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि “पूर्वी यूक्रेन में हिंसक संघर्ष तेज हो गए हैं, और सीमा पर स्थिति अधिक अस्थिर है. लेकिन वाशिंगटन को यूक्रेन की स्थिरता या हितों की परवाह नहीं है. वह कीव में डर और अराजकता चाहता है”.
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