रूस यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) के बीच भारत के सैकड़ों छात्र यूक्रेन के अलग-अलग हिस्सों में फंसे हैं. इनमें से ज्यादातर स्टूडेंट्स मेडिकल (Indian Medical Students) की पढ़ाई करने वहां गए हैं. एक छात्र नवीन शेखरप्पा की रूसी गोलाबारी में मौत भी हो गई. कई ऐसी तस्वीरें भी सामने आई हैं जहां भारतीय छात्र अंडरग्राउंड मेट्रो स्टेशनों में छिपे हैं. कई रिपोर्ट्स में सामने आया है कि कई छात्रों को खाने के लिए सामान नहीं मिल रहा है. मैगी वगैरह से काम चला रहे हैं लेकिन उनकी चिंता ये है कि काम कब तक चल पाएगा. इधर भारत में छात्रों के परिजन परेशान हैं और सरकार से अपने बच्चों की वापसी के लिए गुहार लगा रहे हैं.
इस सबके बीच जो एक बड़ा सवाल उपजा है वो ये है कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में भारत के छात्र यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने क्यों जा रहे हैं. क्या वहां भारत से अच्छी पढ़ाई होती है या माजरा कुछ और है. ये जानने के लिए हमने यूक्रेन में पढ़ रहे कुछ छात्रों से बात की.
2010 में यूक्रेन से MBBS की पढ़ाई पूरी करके आने वाले मुरादाबाद के डॉ. हसीब बताते हैं कि,
यूक्रेन में हमारे जाने के मुख्य दो कारण थे. एक तो भारत में MBBS की सीटें बहुत कम हैं तो सरकारी कॉलेज में कम ही छात्रों को एडमिशन मिल पाता है. उसके बाद प्राइवेट कॉलेज में फीस बेतहाशा ज्यादा है जो मिडिल क्लास के बस की बात नहीं. उन्होंने बताया कि अभी भारत के प्राइवेच कॉलेज में लगभग 1 करोड़ रुपये एमबीबीएस की पढ़ाई में लग जाते हैं जबकि यही कोर्स यूक्रेन के सरकारी कॉलेज से करीब 30 लाख में हो जाता है.डॉ. हसीब अहमद
हालांकि वहां से आने के बाद भारत में एक टेस्ट छात्रों को पास करना होता है जो MCI कराती है. लेकिन फिर भी छात्र यूक्रेन में जाना पसंद कर रहे हैं. डॉ. हसीब ने बताया कि जिस वक्त मैं यूक्रे में पढ़ने गया था तब वहां नीट (NEET) एग्जाम की जरूरत नहीं होती थी लेकिन अब वहां भी नीट जरूरी कर दिया गया है. तो नीट क्लियर करने वाले जितने छात्र भारत के सरकारी कॉलेज में एडजस्ट हो पाते हैं और जो प्राइवेट कॉलेज की फीस अफॉर्ड कर पाते हैं. वो तो यहां रह जाते हैं, बाकी इधर-उधर रास्ता तलाशते हैं.
अमरोहा के पास जोया के रहने वाले मोहम्मद अरबाज से हमारी बात हुई. वो 2016 में यूक्रेन से MBBS की पढ़ाई करने गए थे लेकिन किसी वजह से उन्होंने बाद में ट्रांसफर ले लिया और अरबाज कजाकिस्तान में MBBS की पढ़ाई कर रहे हैं.
मोहम्मद अरबाज का कहना था कि,
हमारे पास कोई ऑप्शन नहीं था. घर वाले चाहते थे कि डॉक्टरी की पढ़ाई करें और भारत में खर्च बहुत ज्यादा था. हमारे यहां के कई लड़के यूक्रेन में पढ़ाई कर रहे थे, जिन्होंने बताया कि खर्च काफी कम है. फिर ये भी हो जाता है कि लड़का विदेश से पढ़कर आया है तो ग्रामीण परिपेक्ष्य में ये अपने आपमें बड़ी बात हो जाती है.मो. अरबाज, छात्र
उत्तर प्रदेश के रामपुर में रहने वाले मोहम्मद जीशान कहते हैं कि मेरा पहला साल ही है, अभी तीन महीने पहले ही मैं यूक्रेन आया था और अब यहां फंस गया हूं. अगर भारत में किसी अच्छे कॉलेज में एडमिशन मिल जाता तो मैं यहां नहीं आता. दूसरी बात यूक्रेन में हमें सरकारी कॉलेज में एडमिशन मिला है. अब कोई एक कारण बता पाना मुश्किल है लेकिन ये बात है कि सबसे अहम खर्च ही है. क्योंकि प्राइवेट कॉलेज तो इंडिया में भी बहुत हैं लेकिन उनकी फीस बहुत ज्यादा है.
इस स्थिति को ऐसे समझिये कि भारत में अभी करीब 88 हजार MBBS की सीटें हैं. जिनके लिए 2021 में मेडिकल प्रवेश परीक्षा (NEET) में 8 लाख छात्र बैठे थे. यानि करीब सात लाख छात्रों का डॉक्टर बनने का सपना अधूरा रह गया. अब बाकी छात्र क्या करें तो इनमें से कुछ ने प्राइवेट कॉलेजों का रुख किया, कुछ विदेश चले गए और कुछ BAMS, BUMS जैसे कोर्स करने लगे. क्योंकि रोजगार के लिए कुछ ना कुछ करना है और मिडिल क्लास के लिए करोड़ रुपये खर्च करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन जैसा है.
इतनी आसान भी नहीं डगर
ऐसा नहीं है कि विदेश में पढ़ाई करके आप भारत लौटकर सीधे पैसा कमाने लग जाएंगे. ये डगर इतनी भी आसान नहीं है. विदेश से आने वाले छात्रों के लिए MCI एक एग्जाम कराता है, जिसका नाम है फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स एग्जामिनेशन (FMGE), इसे पास करने के बाद ही कोई MBBS छात्र विदेश से आकर भारत में प्रैक्टिस कर सकता है. ये 300 नंबर का पेपर होता है जिसमें 150 नंबर लाना जरूरी होता है. इसके अलावा एक साल तक इंटर्नशिप भी करनी होती है उसके बाद आप इस एग्जाम में बैठ सकते हैं.
कई छात्र ये परीक्षा पास करने में असफल भी होते हैं और कई प्रयासों के बाद पास कर पाते हैं. लेकिन एक बार आपने ये परीक्षा पास की तो फिर भारत में आप कहीं पर भी प्रैक्टिस कर सकते हैं.
छात्रों की वापसी के लिए भारत सरकार क्या कर रही ?
यूक्रेन में फ्लाइट कई दिन पहले ही बंद कर दी गई थीं. जिसके बाद भारत के हजारों लोग वहां फंस गए, इनमें ज्यादातर छात्र हैं. भारत सरकार ने अपने लोगों को यूक्रेन के पड़ोसी देशों जैसे- पोलैंड के बॉर्डर से होते हुए वापस लाने का फैसला किया है. अब तक दो फ्लाइटें भारतीयों को लेकर वहां से आ चुकी हैं. लेकिन वहां के हालात बेहद खराब हैं, कई ऐसी वीडियो सामने आए हैं जिनमें छात्र रो रहे हैं. यहां उनके अपने भी छात्रों की वतन वापसी का इंतजार कर रहे हैं. भारत सरकार ने अपने लोगों से कहा है कि जहां जंग तेज हो चली है वहां भारतीय लोग बाहर ना निकलें और अपना पासपोर्ट हमेशा साथ रखें.
यूक्रेन में मेडिकल यूनिवर्सिटी
ज़ापोरिज्जिया स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी (ज़ापोरिज्ज्या शहर)
नेशनल पिरोगोव मेमोरियल यूनिवर्सिटी (विनित्स्या शहर)
इवानो-फ्रैंकिव्स्क नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी (इवानो-फ्रैंकिव्स्क शहर)
Danylo Halytsky Lviv राष्ट्रीय चिकित्सा विश्वविद्यालय (Lviv शहर)
सुमी स्टेट यूनिवर्सिटी (सुमी सिटी)
वी. एन. करज़िन खार्किव राष्ट्रीय विश्वविद्यालय (खार्किव शहर)
टेरनोपिल स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी (टर्नोपिल सिटी)
बोगोमोलेट्स नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी (कीव शहर)
खार्किव राष्ट्रीय चिकित्सा विश्वविद्यालय (खार्किव शहर)
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