सऊदी अरब ने कोड़े मारने की सजा को खत्म कर दिया है. सऊदी के सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में इस सजा को खत्म करने का आदेश दिया है. देश के मानवाधिकार आयोग ने सऊदी किंग और उनके बेटे की प्रशंसा करते हुए एक 'बड़ा कदम' बताया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अब कोड़े मारने की सजा के बदले जेल की सजा या जुर्माना भरना होगा. देश के न्यायालयों में किसी मामले में सैंकड़ों कोड़े मारने की सजा मिलती थी, जिसके कारण दुनिया भर में मानवाधिकार समूह हमेशा चौतरफा आलोचना करते आई है.
देश के मानवाधिकार आयोग ने कहा कि यह सुधार सुनिश्चित करेगा कि अब किसी भी दोषी को कोड़े मारने की सजा नहीं मिलेगी.
आयोग के अध्यक्ष अध्यक्ष अवाद अल-अवद ने कहा, "यह फैसला गारंटी देता है कि पहले जिसे कोड़े मारने की सजा मिल चुकी है, उसे इसके बदले जेल की सजा होगी या जुर्माना देना होगा."
इससे पहले सऊदी अरब में कोर्ट के पास एक्सट्रा मैरिटल सेक्स (व्यभिचार) या हत्या के मामलों में दोषी पाए जाने वालों को कोड़े की सजा देने की शक्ति थी. अब आगे कोर्ट को जुर्माना या जेल की सजा या गैर-कस्टडी विकल्प जैसे सामुदायिक सेवा के विकल्प चुनने होंगे.
ब्लॉगर बादावी का मामला काफी चर्चित
सऊदी अरब में कोड़े मारने की सजा का पूरी दुनिया में विरोध होता आया है. हाल के वर्षों में सबसे चर्चित मामला सऊदी के ब्लॉगर रैफ बादावी का था, जिसे 2014 में इस्लाम के "अपमान" करने के आरोप में 10 साल जेल और 1000 कोड़े मारने की सजा सुनाई गई थी. ब्लॉगर को अगले साल ही यूरोपीय संसद के सखारोव मानवाधिकार पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
कोड़े की सजा खत्म करने का फैसला ऐसे समय में आया है, जब हाल ही में एक 69 वर्षीय प्रसिद्ध कार्यकर्ता अब्दुल्ला अल-हमीद की हिरासत में स्ट्रोक से मौत के बाद देश में मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर सवाल उठे रहे थे.
सऊदी में मानवाधिकार के रिकॉर्ड की आलोचना पिछले कुछ समय से बढ़ गई थी, जब जून 2017 में किंग सलमान ने अपने बेटे प्रिंस मोहम्मद को अपना उत्तराधिकारी बनाने की घोषणा की थी.
इसके अलावा अक्टूबर 2018 में इस्तांबुल के सऊदी दूतावास में पत्रकार जमाल खाशोज्जी की निर्दयी हत्या के बाद सऊदी किंग की काफी आलोचना हुई थी.
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