अपने आजाद इतिहास के सबसे बुरे आर्थिक संकट (Sri Lanka Economic Crisis) का सामना करते श्रीलंका की जनता का गुस्सा चरम पर है. शनिवार, 9 जुलाई को राजधानी कोलंबो में हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी पुलिस बैरिकेड्स तोड़कर राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (President Gotabaya Rajapaksa) के आधिकारिक आवास में घुस गए और उसपर कब्जा कर लिया. राष्ट्रपति गोटाबाया को जहां जान बचाकर भागना पड़ा वहीं राष्ट्रपति आवास के अंदर से आ रहीं तस्वीरें बता रही हैं कि प्रदर्शनकारी वहां के किचेन, बेड रूम और यहां तक कि स्विमिंग पूल का भी खूब मजा ले रहे हैं.
जनता की इस नाराजगी के पीछे सबसे बढ़ा कारण आर्थिक तंगी का बोझ है. विदेशी मुद्रा की कमी से जूझते श्रीलंका में फ्यूल की किल्लत इतनी अधिक है कि बच्चों और शिक्षकों के पास अपने स्कूल तक पहुंचने के लिए भी डीजल-पेट्रोल की कमी हो रही और इसके कारण स्कूल बंद हो गए हैं.
हालांकि श्रीलंका एक मात्र ऐसा देश नहीं है जहां की जनता को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. पड़ोस में अफगानिस्तान-पाकिस्तान से लेकर वेनेजुएला और लाओस जैसे कई ऐसे देश हैं जहां जल्द ही हालत को काबू नहीं किया गया तो, वहां भी श्रीलंका जैसा विरोध-प्रदर्शन देखने को मिल सकता है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव के ग्लोबल क्राइसिस रिस्पांस ग्रुप ने पिछले महीने एक रिपोर्ट प्रकाशित की. उसके अनुसार 94 देशों में लगभग 1.6 अरब लोग भोजन, एनर्जी और आर्थिक संकट में से कम से कम एक मोर्चों पर चुनौती का सामना कर रहे हैं. उनमें से लगभग 1.2 अरब लोग "परफेक्ट-स्टॉर्म" देशों में रहते हैं.
चलिए यहां कुछ ऐसे देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर एक नजर डालें जो गंभीर आर्थिक संकट में हैं या उस ओर बढ़ रहे हैं. शुरुआत अपने पड़ोस से करते हैं:
पाकिस्तान
श्रीलंका की तरह पाकिस्तान भी अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ तत्काल बातचीत कर रहा है, उसकी मांग है कि IMF 6 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज को पुनर्जीवित कर दे, जिसे अप्रैल में प्रधान मंत्री इमरान खान की सरकार को हटा दिए जाने के बाद रोक दिया गया था.
पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टेटिस्टिक्स ने 30 जून को महंगाई के आंकड़े जब जारी किए. पाकिस्तान में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के रूप में नापी जाने वाली महंगाई जून के महीने में बढ़कर 21.32% हो गयी है, जो पिछले 13 सालों में सबसे अधिक है. महंगाई ने खासकर पाकिस्तान के ग्रामीण इलाकों (23.55%) में ज्यादा कहर ढाया है.
पिछले एक साल में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पाकिस्तान की करेंसी रुपया लगभग 30% गिर गया है. IMF के समर्थन के लिए प्रधान मंत्री शाहबाज शरीफ ने पाकिस्तान में फ्यूल की कीमतें बढ़ा दी हैं,फ्यूल पर दी जाने वाली सब्सिडी खत्म कर दी है और बड़े उद्योगों पर एक नया- 10% का "सुपर टैक्स" लगाया है.
हालत यह है कि बाहरी देशों से आयात किए जाने वाले चाय के $600 मिलियन के बिल को कम करने के लिए एक सरकारी मंत्री ने पाकिस्तान की जनता को चाय पीने पर कटौती करने की अपील कर डाली, जिसने कई पाकिस्तानियों को नाराज कर दिया.
अफगानिस्तान
पिछले साल जब अमेरिका और उसके नाटो सहयोगियों ने अफगानिस्तान से अपनी सेना वापस ले ली और वहां तालिबान का नियंत्रण हो गया, तब से अफगानिस्तान एक गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है.
लंबे समय तक अफगानिस्तान का मुख्य आर्थिक आधार- विदेशी सहायता रातोंरात बंद हो गई और तमाम पश्चिमी देशों की सरकारों ने प्रतिबंधों का ढेर लगा दिया, बैंक से फंड ट्रांसफर को रोक दिया, वहां के व्यापार को पंगु बना दिया और तालिबान सरकार को मान्यता देने से इनकार कर दिया.
अकेले अमेरिका में जमा अफगानिस्तान के $ 7 बिलियन के विदेशी मुद्रा भंडार को राष्ट्रपति बाइडेन के प्रशासन ने फ्रीज कर दिया है. देश के 3.9 करोड़ लोगों में से लगभग आधे लोगों के सामने भोजन का संकट है और अधिकांश सिविल सेवकों, डॉक्टरों, नर्सों और शिक्षकों को महीनों से सैलरी नहीं मिली है.
मिस्र
मिस्र में महंगाई दर अप्रैल महीने में लगभग 15% तक बढ़ गई. इससे विशेष रूप से गरीबी में रहने वाले 10.3 करोड़ लोगों में से लगभग एक तिहाई के सामने रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करना बड़ी चुनौती बन गयी है.
दूसरी तरफ यहां के केंद्रीय बैंक ने महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए रेपो रेट/ ब्याज दरें बढ़ाईं और अपनी मुद्रा का अवमूल्यन किया. इससे मिस्र के सामने दूसरी समस्या खड़ी हो गयी और वह बड़े विदेशी ऋण को चुकाने में कठिनाई का सामना कर रहा.
मिस्र का विदेशी भंडार कम हो गया है. इसके पड़ोसी देशों- सऊदी अरब, कतर और UAE ने सहायता के रूप में डिपॉजिट और प्रत्यक्ष निवेश में 22 अरब डॉलर देने का वादा किया है.
लाओस
कोरोना महामारी की चपेट में आने से पहले तक लैंडलॉक्ड देश लाओस सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक था. लेकिन महामारी के बाद इसके कर्ज का स्तर बढ़ गया है और श्रीलंका की तरह यह भी लेनदारों के साथ बातचीत कर रहा है कि अरबों डॉलर के ऋणों को कैसे चुकाया जाए.
देश के कमजोर सरकारी वित्तीय हालत को देखते हुए यह चुनौती बड़ी मानी जा रही है. वर्ल्ड बैंक का कहना है कि इसका विदेशी भंडार दो महीने से भी कम समय के आयात के बराबर है.
अर्जेंटीना
अर्जेंटीना में हर 10 में से चार आदमी गरीब हैं. इसका केंद्रीय बैंक विदेशी भंडार पर खतरनाक रूप से कम चल रहा है. डॉलर के मुकाबले इसकी करेंसी बहुत कमजोर चल रही है. हालत इतने खराब हैं कि इस साल महंगाई 70 फीसदी से ज्यादा रहने का अनुमान है.
जिम्बाब्वे
जिम्बाब्वे में महंगाई की दर बढ़कर 130% से अधिक हो गई है. इससे यह आशंका बढ़ गई है कि देश 2008 के अति मुद्रास्फीति की ओर लौट सकता है. महंगाई ने जिम्बाब्वेवासियों को अपनी ही करेंसी के प्रति अविश्वासी बना दिया है, जिससे अमेरिकी डॉलर की मांग बढ़ गई है. बहुत से लोगों को भूखा सोना पड़ रहा है क्योकि बढ़ती महंगाई के कारण वे अपना पेट भरने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
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