श्रीलंका सरकार ने शनिवार, 2 अप्रैल को शनिवार शाम से सोमवार सुबह तक 36 घंटे का कर्फ्यू लगा दिया है. अपने इतिहास के सबसे बड़े आर्थिक संकट (Sri Lanka Economic crisis) का सामना करते श्रीलंका की सरकार ने यह फैसला रविवार, 3 अप्रैल को बुलाए गए बड़े पैमाने पर सार्वजनिक विरोध से पहले लिया है.
साथ ही राष्ट्रपति और उनके करीबी सलाहकारों और परिवार के सदस्यों के खिलाफ विरोध को दबाने के लिए सरकार ने आपातकाल की स्थिति में सैनिकों को भी तैनात कर दिया है.
आर्थिक संकट के बीच सरकार सख्त
सरकार का यह आदेश राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के घर पर प्रदर्शनकारियों के धावा बोलने के हिंसक प्रयास के बाद आया है. मालूम हो कि राष्ट्रपति आवास पर विरोध-प्रदर्शन के बाद आपातकाल की स्थिति लागू कर दी गयी थी.
राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने सार्वजनिक आपातकाल की घोषणा करते हुए असाधारण राजपत्र (Extraordinary Gazette) जारी किया था. राष्ट्रपति ने तर्क दिया था कि श्रीलंका में एक सार्वजनिक आपातकाल की स्थिति थी, जिसके लिए सख्त कानूनों को लागू करना आवश्यक था.
नए नियमों के अनुसार राष्ट्रपति कानूनों को बदल भी सकते हैं या उसे निलंबित कर सकते हैं, वो किसी की गिरफ्तारी और हिरासत को अधिकृत कर सकते हैं, संपत्तियों पर कब्जा कर सकते हैं और किसी भी परिसर की तलाशी ले सकते हैं.
श्रीलंका में आर्थिक स्थिति कितनी खस्ताहाल है, यह आंकड़े भी बता रहे हैं. शुक्रवार, 1 अप्रैल को जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक मार्च में कोलंबो में महंगाई 18.7 फीसदी पर पहुंच गई, जबकि खाद्य महंगाई रिकॉर्ड 30.1 फीसदी पर पहुंच गई.
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