श्रीलंका में राजनीतिक उथलपुथल मची हुई है. ये संकट तब सार्वजनिक हुआ जब शुक्रवार को राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने यूएनपी नेता और प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर दिया और पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को देश का नया प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया. इसके बाद रविवार को श्रीलंका की संसद के स्पीकर कारु जयसूर्या ने रानिल विक्रमसिंघे को देश के प्रधानमंत्री के तौर पर मान्यता दे दी. साथ ही ये भी कहा कि विक्रमसिंघे ने “लोकतंत्र और सुशासन कायम करने के लिए जनादेश हासिल किया है''.
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, संविधान के 19वें संशोधन के अनुसार बहुमत मिले बिना राष्ट्रपति विक्रमसिंघे को पद से नहीं हटा सकते. सिरीसेना 2015 में राजपक्षे को हराकर राष्ट्रपति बने थे. सिरिसेना की श्रीलंका फ्रीडम पार्टी विक्रमसिंघे के साथ गठबंधन सरकार का हिस्सा थी.
महिंदा राजपक्षे ने जारी किया बयान
राष्ट्रपति सिरीसेना की तरफ से प्रधानमंत्री नियुक्त किए गए महिंदा राजपक्षे ने एक बयान जारी कर कहा है, UNP-UPFA के बीच का गठबंधन खत्म हो गया है, मुझे नई सरकार बनाने के लिए बतौर प्रधानमंत्री आमंत्रित किया गया है.
कोलंबो में तनाव पसरा हुआ है, ताजा खबरों के मुताबिक, कोलंबों से फायरिंग की रिपोर्ट है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, विक्रमसिंघे कैबिनेट के मंत्री अर्जुन रणतुंगा को राष्ट्रपति सिरीसेना के समर्थकों ने अगवा करने की कोशिश की, ऐसे में रणतुंगा के बॉडीगॉर्ड ने गोली चलाई और 3 लोग घायल हो गए.
भारत नजर बनाए हुए है
भारत के विदेश मंत्रालय ने रविवार को कहा कि श्रीलंका में बदलते राजनीतिक घटनाक्रम पर भारत बारीकी से नजर रखे हुए है. मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, "एक लोकतंत्र और नजदीकी पड़ोसी मित्र होने के नाते हमें उम्मीद है कि लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक प्रक्रिया का सम्मान किया जाएगा."
राष्ट्रपति ने 16 नवंबर तक संसद स्थगित कर दी
श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने शुक्रवार की रात को विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर दिया, इसके बाद जब विक्रमसिंघे ने अपना बहुमत साबित करने के लिए संसद के आपात सत्र बुलाने की मांग की तो सिरीसेना ने संसद 16 नवंबर तक के लिए निलंबित कर दी.
श्रीलंका की संसद के स्पीकर ने इस पर सवाल खड़ा किया और एक लेटर लिखकर कहा कि इससे देश को गंभीर नतीजे भुगतने होंगे. स्पीकर ने विक्रमसिंघे की सुरक्षा वापस लेने के सिरीसेना के फैसले पर भी सवाल उठाए.
श्रीलंका के हिंसा के रास्ते पर लौटने की आशंका: ह्यूमन राइट्स वाच
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वाच ने रविवार को कहा कि महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री नियुक्त करने के श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना के फैसले से इस देश के एक बार फिर गलत रास्ते पर जाने का डर पैदा हो गया है. इस संगठन की एशिया निदेशक ब्रॉड एडम्स ने कहा, ''पूर्व के अपराधों पर किसी न्याय के बगैर ही राजपक्षे की सत्ता के उच्च पद पर वापसी से श्रीलंका में मानवाधिकारों के बारे में चिंताएं सामने आई हैं.''
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