राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (President Gotabaya Rajapaksa) के इस्तीफे की मांग कर रहे हजारों श्रीलंकाई प्रदर्शनकारी (Sri Lanka protest) शनिवार, 9 जुलाई को बैरिकेड्स तोड़कर उनके आधिकारिक आवास में घुस गए. जान बचाने के लिए राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को राजधानी कोलंबो में स्थित इस आधिकारिक आवास को छोड़कर भागना पड़ा. ऐसे में राजपक्षे विरोधी श्रीलंका के पूर्व क्रिकेट कप्तान सनथ जयसूर्या ने कहा कि उन्होंने कभी भी देश को "एक असफल नेता को बाहर निकालने" के लिए इस तरह एकजुट होते नहीं देखा है.
सनथ जयसूर्या खुद भी प्रदर्शनकारियों के साथ विरोध-प्रदर्शन में शामिल होने के लिए सड़क पर उतरें. उन्होंने अपने एक ट्वीट में लिखा कि
"मैंने अपने पूरे जीवन में एक असफल नेता को बाहर निकालने के एक लक्ष्य के साथ देश को इस तरह एकजुट होते कभी नहीं देखा. अब यह आपके आधिकारिक घर की दीवार पर भी लिखा है. "
एक दूसरे ट्वीट में उन्होंने प्रदर्शनकारियों से अहिंसा का रास्ता अपनाये रखने की गुजारिश करते हुए कहा कि "मैं हमेशा श्रीलंका के लोगों के साथ खड़ा हूं. और जल्द ही जीत का जश्न मनाएंगे. यह बिना किसी हिंसा के जारी रहना चाहिए."
जयसूर्या ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि "घेराबंदी खत्म हो गई है. आपका किला अब ढह गया है. अरगलया और जनशक्ति की जीत हुई है. प्लीज अब इस्तीफा देने की गरिमा रखें #GoHomeGota”
श्रीलंका क्रिकेट के बड़े चेहरे रहे हैं विरोध की आवाज
सनथ जयसूर्या के अलावा श्रीलंका के पूर्व विकेटकीपिंग महान कुमार संगकारा और महान बल्लेबाज महेला जयवर्धने भी राजपक्षे के खिलाफ मुखर रहे हैं और उन्होंने आंदोलन को समर्थन दिया है.
शनिवार को जब हजारों श्रीलंकाई प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति भवन में घुसे और उसपर कब्जा कर लिया, तब कुमार संगकारा ने उसका समर्थन करते हुए वीडियो पर ट्वीट करते हुए लिखा कि "यह हमारे भविष्य के लिए है"
मालूम हो कि आर्थिक संकट के बीच राष्ट्रपति राजपक्षे के इस्तीफे की मांग को लेकर श्रीलंका में रैली से एक दिन पहले शुक्रवार, 8 जुलाई को अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया गया था. लेकिन विपक्षी दलों, एक्टिविस्टों और देश के बार एसोसिएशन द्वारा पुलिस प्रमुख चंदना विक्रमरत्ने के खिलाफ मुकदमा दायर करने की धमकी के बाद पुलिस ने कर्फ्यू वापस ले लिया.
बार एसोसिएशन के इसी विरोध के लेटर पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए जयवर्धने ने ट्विटर पर लिखा कि "हम एक देश के रूप में दिशा बदल चुके हैं और कुछ भी इसे नहीं बदल सकता है ... लोगों ने अपनी बात कह दे है !!"
बता दें कि श्रीलंका 1948 में स्वतंत्रता के बाद से अपने सबसे खराब आर्थिक संकट से गुजर रहा है. विदेशी मुद्रा की गंभीर कमी से जूझ रहे श्रीलंका में फ्यूल, भोजन और दवा तक की घोर कमी चल रही है. बढ़ती महंगाई के कारण जनता गुस्से में सड़क पर है और कई लोग इस स्थिति के लिए राजपक्षे परिवार और उनकी सरकार को दोषी ठहरा रहे हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)