श्रीलंका के सुप्रीम कोर्ट ने संसद भंग करने के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना के फैसले को मंगलवार को पलट दिया. इसके साथ ही कोर्ट ने पांच जनवरी को प्रस्तावित मध्यावधि चुनाव की तैयारियों पर विराम लगाने का भी आदेश दिया.
चीफ जस्टिस नलिन पेरेरा की अध्यक्षता में तीन सदस्यों वाली पीठ ने सिरीसेना के 9 नवंबर के फैसले के खिलाफ दायर करीब 13 और पक्ष में दायर पांच याचिकाओं पर दो दिन की अदालती कार्यवाही के बाद यह फैसला दिया.
श्रीलंका के सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सिरीसेना के फैसले से जुड़ी सभी याचिकाओं पर अब चार, पांच और छह दिसंबर को सुनवाई होगी. याचिकाकर्ताओं में कई पार्टियों के साथ स्वतंत्र चुनाव आयोग के एक सदस्य रत्नाजीवन हुले भी शामिल हैं.
बीतें शुक्रवार को श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने 25 सदस्यों की संसद को भंग कर दिया था. सिरीसेना की पार्टी पीएम पद के लिए जरूरी समर्थन (113) जुटाने में नाकाम रही थी, जिसके बाद राष्ट्रपति ने संसद भंग की थी. इसके बाद श्रीलंका में मध्यावधि चुनाव (5 जनवरी) का रास्ता साफ हो गया था.
सिरीसेना से अलग हो राजपक्षे ने बनाई अपनी पार्टी
संसद भंग किए जाने के बाद श्रीलंकाई नेता महिंदा राजपक्षे ने राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना की पार्टी एसएलएफपी से अपना पांच दशक पुराना रिश्ता रविवार को तोड़ दिया था. और नवनिर्मित श्रीलंका पीपुल्स पार्टी (एसएलपीपी) में शामिल हो गए.
एसएलपीपी का गठन राजपक्षे के समर्थकों ने किया है. पूर्व राष्ट्रपति राजपक्षे ने रविवार की सुबह इसकी सदस्यता ग्रहण की. राजपक्षे के पिता डॉन एल्विन राजपक्षे एसएलएफपी के संस्थापक सदस्य थे. इसकी स्थापना 1951 में हुई थी.
एसएलपीपी की स्थापना पिछले साल राजपक्षे के समर्थकों ने राजनीति में उनके प्रवेश के लिए एक मंच के बतौर की थी. इस पार्टी ने शुक्रवार को स्थानीय परिषद चुनावों में कुल 340 सीटों की दो तिहाई सीटें जीती थीं.
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