तालिबान (Taliban) ने अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा की जाएगी, लेकिन अब तालिबान की कथनी और करनी में अंतर का एक और नमूना देखने को मिला है.
तालिबान ने अपने नए फरमान में अफगानिस्तान (Afghanistan) के अंदर आईपीएल (IPL) के प्रसारण पर रोक लगा दी है. तालिबान ने इसके पीछे तर्क दिया है कि स्टेडियम में महिलाओं की मौजूदगी होती है और इसमें महिलाओं का डांस भी शामिल होता है इसलिए इसका प्रसारण अफगानिस्तान में नहीं किया जा सकता.
तालिबान ने अफगान मीडिया आउटलेट्स को भी प्रसारण के खिलाफ चेतावनी जारी की है.
क्यों आया है तालिबान के ऐसा फरमान?
दरअसल पिछले हफ्ते अफगानिस्तान के नए खेल मंत्री ने कहा था कि तालिबान 400 खेलों की अनुमति देगा, लेकिन इस बात की पुष्टि करने से इनकार कर दिया कि क्या महिलाएं इसमें शामिल हो सकती हैं. बशीर अहमद रुस्तमजई ने समाचार एजेंसी एएफपी को कहा था कि, "कृपया महिलाओं के बारे में ज्यादा सवाल न पूछें."
अब तालिबान ने अफगानिस्तान में इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के प्रसारण पर प्रतिबंध लगा दिया है.
तालिबान ने चेतावनी दी है कि लड़कियों के नाचने और स्टेडियमों में महिला दर्शकों की मौजूदगी के कारण अफगान मीडिया आउटलेट्स को इंडियन प्रीमियर लीग का प्रसारण नहीं करना चाहिए.
इस्लाम का हवाला
तालिबान बार-बार ये बात जोर देकर कह रहा है कि इस्लाम के ढांचे के भीतर महिलाओं के अधिकारों का सम्मान किया जाएगा, लेकिन इसकी सीमाओं के तहत. अब कैसे तय किया जयेगा की इसकी सीमा क्या है ?
तालिबान इस्लामिक नियमों का हवाला देकर महिलाओं के हर अधिकार को कुचलने पर तुला हुआ है. आईपीएल का प्रसारण तब रोका गया है जब महिलाएं इसमें खेलती भी नहीं हैं. सिर्फ स्टेडियम में महिलाओं का मौजूद होना भी तालिबान को मंजूर नहीं है.
"महिलाएं मंत्री नहीं हो सकती, उन्हें जन्म देना चाहिए"- तालिबान
तालिबान के एक और प्रवक्ता सैयद जेकरुल्ला हाशिमी ने टोलो न्यूज से चौंकाने वाले बयान में कहा कि महिलाएं "मंत्री नहीं हो सकतीं, उन्हें बच्चों को जन्म देना चाहिए."
"एक महिला मंत्री नहीं हो सकती है, यह ऐसा है जैसे आपने उसके गले में कुछ डाल दिया जो वह नहीं ले सकती. महिलाओं के लिए कैबिनेट में होना जरूरी नहीं है. उन्हें बच्चे पैदा करने चाहिए.
इस महीने की शुरुआत में, तालिबान के नए उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा था कि अफगान महिलाओं को विश्वविद्यालय में जाने की अनुमति तब तक दी जाएगी जब तक वे पुरुषों से अलग पढ़ती हैं. तालिबान की सरकार भी सिर्फ पुरुषों से बनी है.
1996 से 2001 तक चरमपंथियों के क्रूर और दमनकारी शासन के दौरान, महिलाओं के किसी भी खेल में खेलने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया था, जबकि पुरुषों के खेल पर भी कड़ा नियंत्रण था. महिलाओं को शिक्षा और काम से भी काफी हद तक रोक दिया गया था.
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