कनाडा में रहने वाले प्रख्यात पाकिस्तानी स्तंभकार और लेखक तारिक फतेह का आज कैंसर से लंबी लड़ाई के बाद निधन हो गया. उनकी मौत की खबर की पुष्टि उनकी बेटी नताशा फतेह ने की है. वह 73 वर्ष के थे.
नताशा फतेह ने ट्वीट किया कि "पंजाब का शेर. हिन्दुस्तान का बेटा. कनाडा का लवर. सच बोलने वाला. न्याय के लिए लड़ने वाला.दबे-कुचले और शोषितों की आवाज. तारिक फतेह ने मशाल आगे बढ़ा दी है... उनकी क्रांति उन सभी के साथ जारी रहेगी जो उन्हें जानते और प्यार करते थे. क्या आप हमे शामिल करेंगे? 1949-2023"
स्तंभकार तारिक की मौत के एक दिन पहले ही रविवार को, नताशा ने "डैड के साथ स्लो संडे", "पुराने बॉलीवुड गाने सुनना" और "मदर इंडिया के लिए उनके साझा प्यार" के बारे में ट्वीट किया था. उन्होंने लिखा था, "अपने पिता के साथ एक धीमी रविवार की सुबह का आनंद ले रही हूं. पुराने बॉलीवुड गाने सुन रही हूं और मैंने भारत माता के प्रति हमारे साझा प्रेम के लिए नारंगी रंग का पोशाक पहना है. और हमारे गोद लिए और प्यारे घर कनाडा के लिए कुछ लाल रंग भी"
इस्लाम पर अपने प्रगतिशील विचारों के लिए जाने जाते थे तारिक फतेह
तारिक फतेह इस्लाम पर अपने प्रगतिशील विचारों और पाकिस्तान पर उग्र रुख के लिए जाने जाते थे. उन्होंने अक्सर भारत में बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को अपना समर्थन व्यक्त किया.
1949 में पाकिस्तान में जन्मे फतह 1980 के दशक की शुरुआत में कनाडा चले गए और कनाडा में एक राजनीतिक कार्यकर्ता, पत्रकार और टेलीविजन होस्ट के रूप में काम किया और कई किताबें लिखीं.
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