अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2020 की वोटिंग खत्म होने के बाद अमेरिका के साथ-साथ दुनिया के दूसरे हिस्से भी यह जानने के इंतजार में थे कि अगला राष्ट्रपति कौन होगा. इस इंतजार को खत्म करते हुए, जब अमेरिकी मीडिया ने बताया कि डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडेन अमेरिका के अगले राष्ट्रपति होंगे, तब इस ऐलान के पीछे एक राज्य की बड़ी भूमिका थी. यह राज्य वही है, जहां बाइडेन का जन्म हुआ था- पेन्सिलवेनिया.
साल 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप ने पेन्सिलवेनिया में डेमोक्रेट हिलेरी क्लिंटन को हराया था. अल जजीरा की एक रिपोर्ट में एक्सपर्ट्स और हालिया ओपिनियन पोल्स के हवाले से बताया गया है कि बाइडेन पेन्सिलवेनिया में इसलिए नहीं जीते कि वहां लोग उन्हें बहुत ज्यादा पसंद करते हैं, बल्कि इसलिए जीते क्योंकि लोगों ने उन्हें ट्रंप की तुलना में बेहतर उम्मीदवार पाया.
म्यूलेनबर्ग कॉलेज इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन के डायरेक्टर और पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर क्रिस्टोफर बोरिक ने बताया, ''जो बाइडेन बहुत ज्यादा लोगों को खास पसंद नहीं हैं.'' इस इंस्टिट्यूट के हालिया पोल के मुताबिक, बाइडेन के 49 फीसदी वोटर ही उनको वोट देने को लेकर काफी उत्साहित थे, जबकि ट्रंप के वोटरों के बीच यह आंकड़ा 82 फीसदी का था.
बोरिक ने कहा, ''अंत में, ट्रंप के खिलाफ ऐसा पर्याप्त उत्साह था कि भले ही लोग जो बाइडेन को पसंद नहीं करते थे, लेकिन वे निश्चित रूप से उनके लिए वोट करने में सक्षम थे.''
शुरुआती रुझानों में ट्रंप को मिली थी बड़ी बढ़त
पेन्सिलवेनिया के शुरुआती रुझानों में ट्रंप को बड़ी बढ़त मिली थी, लेकिन बाद में न सिर्फ उनकी बढ़त कम होती गई, बल्कि उनके हाथ से यह राज्य ही निकल गया. दरअसल पूरे चुनाव में मेल बैलट्स को लेकर ट्रंप का जो रुख था, उसे देखकर माना गया कि ट्रंप समर्थकों ने ज्यादातर इन-पर्सन वोटिंग को ही चुना, जबकि कोरोना वायरस महामारी के बीच बाइडेन समर्थकों ने मेल बैलट्स को प्राथमिकता दी.
जब काउंटिंग शुरू हुई तो इन-पर्सन वोट जल्दी गिने गए और ट्रंप को बढ़त मिली. बुधवार सुबह तक ट्रंप के पास 675,000 वोटों की बढ़त थी. मगर जैसे-जैसे ज्यादा मेल बैलट्स को आगे प्रोसेस किया गया, ट्रंप की बढ़त घटती चली गई. इस बीच, शुक्रवार सुबह बाइडेन ने बढ़त बना ली.
ट्रंप ने पिछले चुनाव में पलटी थी बाजी
अल जजीरा के मुताबिक, साल 2016 में ट्रंप ने विस्कॉन्सिन, पेन्सिल्वेनिया और मिशिगन जैसे राज्यों में बाजी पलटकर राष्ट्रपति चुनाव जीता था, ये सभी राज्य 1980 के दशक से मजबूती से डेमोक्रेटिक थे. मगर अब बाइडेन ने श्वेत श्रमिक वर्ग और उपनगरीय मतदाताओं तक पहुंचकर, जिनका ट्रंप से मोहभंग हो गया था, इन तीनों ही राज्यों में जीत हासिल की है.
फिलाडेल्फिया के बाहर स्थित एक उपनगर चेस्टर काउंटी की एक 67 वर्षीय बुजुर्ग एमी ने बताया कि उन्होंने 2016 में ट्रंप को वोट दिया था क्योंकि उन्हें क्लिंटन पसंद नहीं थीं. इस साल, उन्होंने बाइडेन को वोट दिया - लेकिन इसलिए नहीं कि वह उन्हें पसंद करती हैं. उन्होंने अल जजीरा को बताया, ‘’लगभग एक साल पहले मैंने खुद से कहा, तुम पूरी तरह बेवकूफ हो और मैं ऐसा फिर कभी नहीं करूंगी.’’ इसके आगे उन्होंने कहा, ‘’मैंने ट्रंप के खिलाफ वोट किया.’’
‘वोटरों के लिए क्लिंटन की तुलना में बाइडेन बेहतर विकल्प’
बाइडेन को भले ही पेन्सिलवेनिया में बहुत ज्यादा वोटर पसंद न करते हों, लेकिन उनके लिए बाइडेन क्लिंटन की तुलना में बेहतर विकल्प के तौर पर उभरे. बोरिक ने बताया, ''एक अंतर, और आपको इसे सामने रखना होगा, यह है कि पेन्सिलवेनिया ने कभी भी एक महिला गवर्नर या सीनेटर को नहीं चुना है.''
उन्होंने कहा, ''इसमें जेंडर की कितनी भूमिका हो सकती है, यह समझना मुश्किल है, लेकिन पेन्सिल्वेनिया में इसका ट्रैक रिकॉर्ड देखते हुए इस पर विचार करना होगा.''
हालांकि बोरिक यह भी मानते हैं कि बाइडेन के कैंपेन ने पेन्सिलवेनिया में ज्यादा वक्त खपाया. उन्होंने कहा, ‘’उन्होंने यहां अपना कैंपेन शुरू किया, उन्होंने यहां अपना कैंपेन हेडक्वार्टर स्थापित किया और उनका व्यक्तिगत नैरेटिव हमेशा पेन्सिल्वेनिया से शुरू होता है.’’
2016 में, ट्रंप के एंटी इमीग्रेशन, "मेक अमेरिका ग्रेट अगेन" अभियान और बाकी बयानबाजी ने पेन्सिलवेनिया समेत देशभर में डिइंस्ट्रियलाइजेशन से जूझ रहे श्वेत वोटरों और कामकाजी वर्ग को अपनी तरफ खींचा था. मगर इस बार बाइडेन इन वोटरों के बीच वो कर पाए, जो क्लिंटन नहीं कर पाई थीं.
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