अमेरिका से भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स के लिए एक अच्छी खबर आई है. जो बाइडेन प्रशासन ने कांग्रेस में अपना महत्वाकांक्षी इमिग्रेशन बिल पेश किया है. इस बिल में जो प्रावधान हैं, वो भारत के आईटी प्रोफेशनल्स और अमेरिका में रह रहे भारतीयों के लिए फायदेमंद साबित होंगे. इस बिल का सबसे महत्वपूर्ण प्रावधान रोजगार-आधारित ग्रीन कार्ड के लिए प्रति देश कोटे को खत्म करना.
यूएस सिटीजनशिप एक्ट 2021 बिना दस्तावेज वाले 1.1 करोड़ कर्मियों के लिए सिटीजनशिप का रास्ता खोलने, प्रति देश रोजगार-आधारित ग्रीन कार्ड सीमा हटाने और H-1B वीजा वाले विदेशी वर्कर्स पर निर्भर लोगों को काम का अधिकार देना प्रस्तावित करता है.
किन लोगों को मिल सकता है फायदा?
अगर बिल हाउस ऑफ रिप्रेजेन्टेटिव और सीनेट से पास हो जाता है और राष्ट्रपति बाइडेन इस पर साइन कर देते हैं, तो इससे कई लाख विदेशी नागरिकों को अमेरिकी नागरिकता मिल जाएगी. इन लोगों में बिना दस्तावेज वाले वर्कर्स और वो लोग शामिल हैं, जो अमेरिका में कानूनी रूप से आए हैं.
इस बिल से भारत के आईटी प्रोफेशनल्स और उनके परिवारों को भी फायदा मिलेगा. साथ ही H-1B वीजा धारकों के पति-पत्नियों को भी अब अमेरिका में काम करने का अधिकार मिल जाएगा.
जो लोग 10 सालों से ज्यादा समय से ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे हैं, उन्हें भी इस बिल के जरिए तुरंत स्थायी निवास मिल जाएगा.
इस बिल के ऑथर सीनेटर बॉब मेनेंडेज और कांग्रेसवुमन लिंडा सेंचेज हैं. मेनेंडेज और सेंचेज ने कहा है कि यूएस सिटीजनशिप एक्ट 2021 इमिग्रेशन सुधार का ऐसा नजरिया पेश करता है, जो व्यापक और समावेशी है.
ग्रीन कार्ड का अभी तक क्या हाल है?
अमेरिका में हर वित्त वर्ष विदेशी वर्कर्स, उनके पति-पत्नी और बच्चों के लिए 140,000 रोजगार-आधारित इमिग्रेंट वीजा उपलब्ध होते हैं. लेकिन इन वीजा को आवंटित करने की एक सीमा होती है, जो हर देश के लिए 7% निर्धारित है.
इस सीमा की वजह अमेरिका में काम करने वाले भारतीय प्रोफेशनल्स को ग्रीन कार्ड के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है.
2019 में ग्रीन कार्ड का बैकलॉग 800,000 पहुंच चुका था, इसमें 60 फीसदी से ज्यादा भारतीय थे. अमेरिका में प्रति देश जो सीमा लागू है, वो 1990 के बाद से कभी बदली नहीं गई है.
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