अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने 16 अगस्त को अफगानिस्तान (Afghanistan) संकट पर संबोधन दिया और उसके लिए अफगान नेताओं और सेना को जिम्मेदार ठहराया. बाइडेन ने कहा कि वो अफगानिस्तान से सेना वापस बुलाने के अपने फैसले के 'साथ खड़े हैं.' राष्ट्रपति का ये संबोधन अमेरिकी मीडिया में आलोचना का मुद्दा बन गया है. वॉल स्ट्रीट जर्नल (WSJ) के संपादकीय बोर्ड ने इसे 'इतिहास में सबसे शर्मनाक बयान' करार दिया है.
WSJ के संपादकीय बोर्ड ने कहा कि 'जैसे ही तालिबान काबुल में दखिल हुआ, बाइडेन ने खुद को जिम्मेदारी से मुक्त कर लिया, अपने पूर्ववर्ती को दोष दिया और कमोबेश तालिबान को देश पर कब्जा करने के लिए आमंत्रित किया.'
"राष्ट्रपति बाइडेन का अफगानिस्तान से हाथ धोने वाला बयान अमेरिकी सैनिकों की वापसी के क्षण में एक कमांडर इन चीफ द्वारा दिया गया इतिहास में सबसे शर्मनाक बयान के तौर पर याद रखा जाएगा."WSJ का संपादकीय बोर्ड
'ट्रंप की योजना गलती थी, बाइडेन उस पर आगे बढ़े'
WSJ के संपादकीय बोर्ड ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप की अफगानिस्तान से सेना वापसी की योजना एक 'गलती थी, जिसे बाइडेन सुधार सकते थे.' अखबार ने कहा, "लेकिन बाउडेन ने तेज और पूरी तरह सेना वापसी का ऐलान किया और वो भी 9/11 की प्रतीकात्मक तारीख के पास."
हालांकि, WSJ ने कहा कि बाइडेन का अफगान संकट के लिए ट्रंप को जिम्मेदार ठहरना उनकी 'ईमानदार बेईमानी का उदाहरण है.'
"ये अपनी संस्था को निराशाजनक रूप से अस्वीकार करना है और ये झूठा विकल्प भी है. ये ऐसा है जैसे कि डंकर्क में सेना फंसे होने पर विंस्टन चर्चिल कहें कि नेविल चैंबरलेन ने उन्हें इस संकट में पहुंचाया है और ब्रिटिश लंबे समय से युद्ध लड़ रहे हैं."WSJ का संपादकीय बोर्ड
WSJ ने कहा, "हमारा लक्ष्य हमेशा इस परिणाम से बचने के लिए रचनात्मक सलाह देना रहा है. हमने तालिबान के साथ डोनाल्ड ट्रंप के सौदे की आलोचना की और जल्दबाजी में पीछे हटने के उनके आग्रह के जोखिमों के बारे में चेतावनी दी और हमने बाइडेन के लिए भी ऐसा ही किया."
राष्ट्र निर्माण नहीं था मिशन: बाइडेन
राष्ट्रपति जो बाइडेन ने 16 अगस्त को सेना वापसी के अपने फैसले का समर्थन किया और अफगान सरकार की आलोचना की. बाइडेन ने कहा, "मैं अपने फैसले के साथ खड़ा हूं. 20 सालों के बाद मैं ये कठिन ढंग से सीख चुका हूं कि अमेरिकी सेना को वापस लाने का कोई अच्छा समय नहीं था."
बाइडेन ने कहा कि अफगानिस्तान में हमारा मिशन कभी भी राष्ट्र निर्माण का नहीं था. प्राथमिकता ऐसे युद्ध को खत्म करना था, जो अपने शुरुआती लक्ष्यों से आगे बढ़ चुका था.
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