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योगी सरकार का 63 बंगाली हिंदू परिवारों को तोहफा, पुनर्वास के लिए जमीन आवंटित की

करीब चार दशक से पुनर्वास के लिए संघर्ष कर रहे 63 बंगाली हिंदू परिवारों को मिली राहत.

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न्यूज
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उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने करीब 4 दशक पुनर्वास को लेकर संघर्ष और दर-दर की ठोकरें खाने वाले 63 बंगाली हिंदू परिवारों के पुनर्वास के लिए कृषि और मकान के लिए जमीन आवंटित कर एक बड़ी राहत दी है. यह सारे परिवार मेरठ के हस्तिनापुर क्षेत्र में रहते हैं और इनको पुनर्वास के लिए कानपुर देहात में जमीन आवंटित कर दी गई है, जिसका स्वीकृति पत्र लखनऊ के एक समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लाभार्थियों को दिया.

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बता दें, जब बंगाली हिन्दू, ईस्ट पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से भारत आए थे, उस समय पुनर्वास के दो तरीके होते थे. पहला- फैक्ट्री में काम देकर और दूसरा जमीन देकर. पहले इनको मदन सूत मिल में नौकरी मिली और भारत सरकार ने उस समय मिल के विस्तारीकरण के लिए 9 करोड़ दिए थे. वह मिल 1984 में बंद हो गई.

करीब 4 दशक से दर-दर भटक रहा था बंगाली हिंदू परिवार

मिल बंद होने के बाद वहां मौजूद बंगाली हिंदू परिवारों को देश के अलग-अलग जगहों में पुनर्वासित किया गया. लेकिन, 63 ऐसे परिवार रह गए जिनको यह लाभ नहीं मिला. तब से लेकर अब तक इन परिवारों ने कोई ऐसी समिति या गृह मंत्रालय का कोई ऐसा दफ्तर नहीं होगा जहां पर इन्होंने अपनी पीड़ा ना रखी हो, लेकिन 38 वर्षों तक इनकी मांग पर कोई विचार नहीं हुआ.

उत्तर प्रदेश सरकार के बंगाली हिंदुओं के पुनर्वास योजना के लाभार्थियों में से एक अनिल विश्वास ने कहा कि मिल बंद होने के बाद हमें बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ा. आज तक कोई भी सरकार या पार्टी हमें मदद करने को तैयार नहीं हो पाई. जब बीजेपी सरकार में आई तब हमारा हौसला बढ़ा.
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बंगाली हिंदू परिवारों का कानपुर में पुनर्वास

पुनर्वास में इन सारे परिवारों को अब कानपुर में खेती के लिए 2 एकड़ जमीन, 200 स्क्वायर मीटर पट्टा और मुख्यमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 1.2 लाख रुपए  मकान बनवाने के लिए दिए जाएंगे. इनकी खेत को समतल और उपजाऊ बनाने के लिए मनरेगा की विभिन्न स्कीमों की भी स्वीकृति की जा रही है. आला अधिकारियों की मानें तो अब यह सारे परिवार मेरठ जिले के हस्तिनापुर क्षेत्र में रह रहे हैं और इनको जल्द ही कानपुर पुनर्वासित कर दिया जाएगा.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जब प्रधानमंत्री मोदी जी ने पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता और पुनर्वास के कार्यक्रम का एक एक्ट पास किया तो हम लोगों ने प्रदेश में पुराने कागज ढूंढने शुरू किए कि कौन ऐसे परिवार हैं जिन लोगों को इस कार्यक्रम के तहत यूपी में आगे बढ़ाया जा सकता है. हमारे सामने आया कि 1970 में आए इन परिवारों की स्थिति बदहाल है और खानाबदोश की तरह अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं.

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