एक छोटी हंसी, एक छोटी सी खुशी, वो मिस्ड कॉल का रोना वो फुल कॉल का न उठाना. आस-पड़ोस वाले आपकी जिंदगी में ज्यादा ताक-झांक करते हैं. पापा से डर लगता है और आशिकी सिर्फ मोबाइल तक ही सीमित रहती है.
गर्मी में जलन नहीं, और ठंड में ठिठुरन नहीं. बरसात बहार है तो
करियर की चिंता होश फाख्ता कर देती है.
(सब कुछ हाफ है यहां, जैसा चेतन की किताब में था )
वेलकम टू बिहार (ये चेतन भगत वाला है)
2016 का बिहार तो अब लिव- इन, यूएस, दिल्ली, मुंबई, पुणे में राज करता है, यकीन नहीं आता तो अपने आसपास नजर दौड़ाइए,
डॉक्टर, कारोबारी, स्टार्ट अप वाले, वकील दोस्त तो पक्का कोई न कोई बिहारी ही होगा-नहीं तो गार्ड भैया और ड्राइवर सुरेश तो
आपकी जिंदगी का अहम हिस्सा हैं ही.
नोट-यहां बिहार में पैसा है तो सबकुछ है- बस नहीं मिलता तो अंग्रेजी का वो पूर्ण ज्ञान (जिसकी बदौलत दुनिया आगे और आगे बढ़ती जा रही है.) अब यहीं चुल्ल मचती है...चेतन का हीरो भी यहीं फंसा था.
बिहार की कहानी भी उसी अधूरे इश्क वाली किताब की तरह है. अंग्रेजी पर कभी गौर नहीं किया क्योंकि आसपास वालों को कभी अंग्रेजी में जीते-मरते नहीं देखा. पता नहीं क्यों लोगों की आंखें लाल रहती थीं तो वो अचानक कहते थे यू आर फाइन ना, एनी प्रॉब्लेम डू कॉल रे.
अच्छी बात- एक तबका तो ऐसी अंग्रेजी जानता है कि ये लिटरेचर प्रेमी बंगाल वाले भी मुरीद हैं. यकीन नहीं आता तो आंकड़े देख लीजिए देश की दिशा तय कर रहे हैं बिहार के तेज तर्रार अधिकारी, न्यायपलिका से लेकर प्रशासनिक सेवा, विदेश सेवा से लेकर पत्रकारों तक.
अब तेजस्वी की बात कर लें
लोटस है ये लड़का, बिल्कुल कीचड़ में खिला है, भाई तेजप्रताप और लालू राज के बीच. लेकिन अगर आप ये सोच रहे हैं कि मैं इनकी तारीफ में चार चांद लगा रहा हूं तो माफ कर दें.
लोटस तो पोटस टाइप तंज था हाई लेवल वाला.
जिंदगी के 20-24 बसंत तेजस्वी ने यूं ही गुजार दिए, क्रिकेट के चक्कर में मारे मारे फिरते रहे, गलती इनकी नहीं है, बिहारियों के बीच क्रिकेट का गजब का शौक है, हजारों रुपए तो बचपन में (चेतन भगत वाला) किट खरीदने में फूंक दिए जाते हैं. फिर आशिकी और झकमारी में फोकस अंग्रेजी की तरफ चला जाता है.
(धोनी इस लाइन से इत्तेफाक नहीं रखते)
सत्ता में आते ही हाफ गर्लफ्रेंड वाला पत्ता- वाह
जमाना आगे बढ़ रहा है, पूरी तेजी से- 10 गुना ज्यादा तेजी से, मोदी सोशल मीडिया के सहारे सत्ता तक पहुंचे तो सबकी आंखें स्मार्टफोन पर टिक गईं. टीमें बन गईं, नया रोजगार आ गया है सोशल मीडिया मैनेजर.
नेता ढूंढ रहे हैं नए तूफानी लोगों को, आप में दम है तो चले जाइए.
लालू से पहले ये बात तेजस्वी समझे, सरकार भी उनकी बन गई, लेकिन ये पटना, दरभंगा बेगूसराय वाली नई पीढ़ी उनके साथ नहीं जुड़ रही थी. सब 2016 वाले थे, पैसा कमा रहे थे और ट्विटर पर ट्रेंड कर रहे थे.
तो बिहार सरकार ने खेल दिया हाफ पत्ता- हाफ गर्लफ्रेंड वाला
कहते हैं टूरिज्म बढ़ेगा, अरे काजीरंगा की जगह अगर गया में केट और विलियम को बुला लिया होता तो अशोक की गाथा भी तरो-ताजा हो जाती, साथ में बंगाल की खाड़ी से शुरू हुआ अंग्रेज राज भी किसी एडिटोरियल का हिस्सा होता.
जब चेला चीनी और गुरु गुड़ हो जाए गुरुगांव नहीं
तो ऐसा होता है, उस बिहारी लड़के (वही चेतन भगत वाला) के भरोसे आप बिहार का पर्यटन बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, लोग उस अधूरे आशिक से मिलने आएंगे ये उम्मीद कर रहे हैं तो तेजस्वी साहब आपके लिए यात्रा का वो कन्हैया वाला एड काफी है क्योंकि अब न तो इंजीनियर का शौक बिहारियों पर हावी है और न ही मेसरा वाला. अब तो अलग ही धुन है जिसमें पैसा भी है और नाम भी.
ये किस हवेली में टूरिज्म की बात है
कहीं ये मिस्टर माधव झा वाली हवेली तो नहीं जो डुमरांव के आसपास थी. अगर ऐसा है तो बड़ी गलती करने से पहले बेगूसराय के कन्हैया वाला ऑप्शन भी देख लीजिए. और उन अखबारों की सुर्खियां भी देख लीजिए जिनमें लिखा होता है आज इसको गोली मारी, कल उसको मारी थी, गौरतलब है कि गोली मारने की प्रथा फिर से बिहार में फिर से शुरू हो गई है.
(नोट- बिहार और हाफ गर्लफ्रेंड का नाता क्या वाजिब है- ट्वीट कर बताइए या फेसबुक पर लिखिए-ये टूरिज्म वाला फंडा भी समझाइएगा )
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