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मोदी जी, डिमॉनेटाइजेशन-VDIS स्कीम को अलग कर शायद आपने गलती कर दी

मोदी सरकार की इनकम डिक्लेरेशन स्कीम सितंबर में खत्म हुई है.

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दुःख भरी कहानियों का अंबार लगता जा रहा है. पुराने नोट लेकर इलाज नहीं हुआ, इसकी वजह से एक बच्चे की मौत हो गई. एक महिला ने हावड़ा ब्रिज से कूदकर जान दे दी क्योंकि जरूरत के लिए एटीएम मशीन से पैसा नहीं निकल रहा था.

केरल में लंबी लाइन में खड़े होने की वजह से दो बुजुर्गों की मौत हो गई. बिहार के किशनगंज में कुछ व्यापारियों ने 500 और 1000 के पुराने नोट देकर ग्राहकों को ठग लिया.

एक 80 साल की महिला यह मानने के लिए तैयार नहीं है कि उनकी जिंदगी भर की कमाई की अब कोई वैल्यू नहीं रह गई. उन्हें लगता है कि कहानी गढ़कर उन्हें फुसलाया जा रहा है.

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बाबुओं की सोच हो गई पुरानी!

क्या आम लोगों पर इस तरह से दुखों का पहाड़ गिराना सही था. सिर्फ अलग सोच की जरूरत थी, बाबुओं के पुराने तौर-तरीके से बाहर निकलने की. इससे पहले मैंने लिखा था कि कैसे पूरी प्रक्रिया को ठीक से लागू किया गया होता तो कंज्मपशन बूम होता.

अगर यह फैसला होता कि 31 दिसंबर, 2016 तक पुराने नोट काम करेंगे और उसके बाद नहीं. ब्लैक मनी पर चोट भी पड़ती और किसी को तकलीफ भी नहीं होती. मतलब सब लोग विन-विन की स्थिति में रहते.

अब मैं उससे भी सरल तरीका बता रहा हूं. मैं अचंभित हूं कि इतने प्रतिभावान ब्यूरोक्रैट, ख्यातिप्राप्त अर्थशास्त्री, मेधावी वकील और तेज तर्रार नेता सरल रास्ता क्यों नहीं अपना पाए?

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मोदी सरकार की इनकम डिक्लेरेशन स्कीम सितंबर में खत्म हुई है.
भारतीय रेल के अधिकारियों द्वारा टिकट के जरिए इकट्ठा किए गए पांच सौ और हजार के नोट, भारतीय रेल उन चुनिन्दा जगहों में से एक है जहां अभी भी ये नोट चल रहे हैं (फोटो: AP)  
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ऐसे बनती विन-विन की स्थिति

मोदी सरकार की इनकम डिक्लेरेशन स्कीम सितंबर में खत्म हुई. स्कीम में 45 परसेंट टैक्स और पैनल्टी देकर सबको अपनी छुपी हुई कमाई घोषित करने की छूट थी.

65,000 करोड़ रुपए का काला धन सिस्टम में आया और सरकार को करीब टैक्स के रुप में 30,000 करोड़ मिले. कहा गया कि स्कीम को अप्रत्याशित सफलता मिली.

ठीक दो महीने बाद, 8 नवंबर को शाम के 8 बजे प्रधानमंत्री ने अपने अनोखे अंदाज में राष्ट्र के नाम संदेश देकर करेंसी के 86 परसेंट हिस्से को गैर-कानूनी बना दिया. दो खरब डॉलर की इकोनॉमी और 120 करोड़ लोगों वाले देश में इतने मात्रा में कैश को गैर कानूनी कर देना एक अप्रत्याशित कदम था.

परिणाम देखिए. सोने की कीमत में 60 परसेंट की तेजी हो गई. 10 ग्राम सोना अब 55,000 रुपए का हो गया है. हवाला मार्केट में रुपए की कीमत में 100 परसेंट की कमी आ गई है. रुपए की तुलना में डॉलर अब 180 में मिल रहा है (ऑफिशयल दर 67-68 है). मतलब यह कि 1000 रुपए के नोट की वैल्यू में 50 परसेंट की कमी.

इसका मतलब यह हुआ कि लोग अब ‘गैर कानूनी’ हो गए करेंसी के बदले में 50 परसेंट तक का घाटा सहने के लिए तैयार हैं.

मान लीजिए कि प्रधानमंत्री के सलाहकारों ने सलाह दी होती कि

सर, हमलोग एक साथ वीडीआईएस और विमुद्रीकरण (डिमॉनेटाइजेशन) शुरू करते हैं. दोनों एक साथ शुरू होगी और एक साथ खत्म. स्कीम में लोगों से कहा जाएगा कि वो अपनी संपत्ति का आधा सरेंडर कर दें और बाकी पैसे चैन से अपने पास रख लें.

पुराने रिकॉर्ड देखें तो इस को 100 परसेंट सफलता मिलनी है.

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मोदी सरकार की इनकम डिक्लेरेशन स्कीम सितंबर में खत्म हुई है.
(फोटो: एपी)
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विमुद्रीकरण के साथ वीडीआईएस होता असली ब्रह्मास्त्र

स्नैपशॉट

अगर प्रधानमंत्री की घोषणा कुछ इस प्रकार होती

  • विमुद्रीकरण और वीडीआईएस एक साथ और दोनों 31 दिसंबर, 2016 को खत्म होंगे
  • उसके बाद से 500 और 1000 रुपए के सारे नोट अवैध होंगे
  • उस दिन तक जो भी अपनी छुपाई हुई संपत्ति बताएंगे उनसे टैक्स और पैनल्टी के रुप में 50 परसेंट लिया जाएगा. कोई सवाल नहीं और कोई कानूनी कार्रवाई नहीं
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मोदी सरकार की इनकम डिक्लेरेशन स्कीम सितंबर में खत्म हुई है.
पेट्रोल पंप पर भी पांच सौ और हजार के नोट लिए जा रहे हैं (Photo: AP)
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सोचिए उस डबल ब्रह्मास्त्र का क्या असर होता. आज घाटा सहकर सोना और डॉलर खरीदने की जो होड़ मची है, वैसा कुछ नहीं होता. लोग आराम से 50 फीसदी टैक्स और पेनल्टी देते. और बाकी रकम बैंक में वैध तरीके से जमा हो जाती. फिर अवैध तरीके से सोने के बिस्किट या हवाला डॉलर रखने का टेंशन भी नहीं होता.

कितनी बड़ी चूक हो गई प्रधानमंत्री जी. अगर आपने दोनों स्कीम को एक साथ चलाया होता तो मुझे पक्का यकीन है कि अनुमानित चार लाख करोड़ की कैश वाली ब्लैक मनी बाहर आ जाती. सरकारी खजाने में 2 लाख करोड़ रुपए आ जाते.

बैंकों की बैलेंश शीट दुरुस्त हो जाती. फिर सब चैन से रहते. हां उसके बाद जरूरी टैक्स रिफॉर्म करने पड़ते ताकि काली कमाई फिर से शुरू ना हो जाए.

प्रधानमंत्री जी, आपको अलग सोचने वाले सरकार से बाहर के सलाहकारों को अपनी टीम में आजमाना चाहिए. शायद रायसीना हिल्स के पुराने सलाहकार बदलते परिवेश में एडजस्ट नहीं कर पा रहे हैं.

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