जब हैरी मेट सेजल तब फैन्स मेट फ्रस्ट्रेशन
जब हैरी मेट सेजल तब एक्साइटमेंट मेट इरिटेशन
जब हैरी मेट सेजल तब @#&*#@$*\/…
डियर शाहरुख खान,
हैरी मेट सेजल ने मेरे उस विचार को पक्का कर दिया है, जो पिछले कुछ सालों से दिमाग में पक रहा था. आप ‘ओल्ड एज सिंड्रोम’ के शिकार हो चुके हैं. वही सिंड्रोम, जो सौतन के राजेश खन्ना से आधी उम्र की टीना मुनीम के साथ ठुमके लगवाता था, धर्मेंद्र को नौकर बीवी का बनाकर अनीता राज की झप्पियां डलवाता था या फिर हिम्मतवाले जितेंद्र को श्रीदेवी के साथ डिस्को करवाता था.
शाहरुख भाई कसम से, आपके मामले में इस हद तक चीनी कम हो चुकी है कि रोमांस की चाय अब फीकी नहीं, कसैली लगती है. आप ये क्यों नहीं समझते कि 50 की उम्र के बाद यूरोप की रोमांटिक लोकेशन्स और इम्तियाज अली का मैजिक टच भी दिलवाले दुल्हनिया.. का चार्म नहीं लौटा सकते.
Mr. SRK, आपके साथ समस्या ये है कि आप ‘राज मल्होत्रा’ की छवि से बाहर निकलना ही नहीं चाहते. टेढ़ी गर्दन के साथ हाथ फैलाने का वो ‘स्पेशल SRK अंदाज’ इतनी बार और इतने मौकों पर दोहराया जा चुका है कि अब उकताहट होती है. हॉल में सीटियों की बजाए सुनता है- ओह नो.. नॉट एगेन.
2009 में एक फिल्म आई थी बिल्लू बारबर, जिसमें आप एक सुपरस्टार बने थे. प्रियदर्शन जैसा सुलझा निर्देशक होने के बावजूद कैरेक्टर का वो ओवर-हाइप्ड चित्रण कम से कम मेरे गले तो नहीं उतरा था. उसके बाद से माई नेम इज खान का वो सुरूर आप पर चढ़ा कि आप कटरीना, करीना, दीपिका, प्रियंका, अनुष्का, माहिरा, आलिया से होते हुए दोबारा अनुष्का के साथ हेरी मेट सेजल में दिखे, सीधे एम्सटर्डम में.
बात आधी उम्र की हिरोइनों से ज्यादा रोल के चुनाव की है. इस दौरान हीरो के तौर पर आमिर खान की फिल्मों का ग्राफ देखिए.
- 2009 में थ्री इडियट्स
- 2012 में तलाश
- 2013 में धूम-3
- 2014 में पीके
- 2016 में दंगल
दंगल से पहले आमिर भी कटरीना, करिश्मा और अनुष्का के साथ ही आए, लेकिन हर रोल अलग रंग और अलग मिजाज का था.
शाहरुख भाई, माना कि सलमान और आमिर के साथ आप दो दशकों तक जवां दिलों की धड़कन बने रहे, लेकिन अब रुककर ठहरने और ठहरकर सोचने का वक्त आ गया है. आप भले ही सत्यमेव जयते मत कीजिए, आप भले ही आमिर खान वाली गंभीरता मत ओढ़िये, लेकिन मां कसम.. आमिर से कुछ सीखिए.
हमें चक दे इंडिया वाला शाहरुख चाहिए, हमें स्वदेश वाला शाहरुख चाहिए, हमें पहेली वाला शाहरुख चाहिए. हम आपको बार-बार रुपहले पर्दे पर देखना चाहते हैं. लेकिन प्लीज इस सिंड्रोम से बाहर निकलिए और ढंग के रोल चुनिए.
आपका अपना,
हिंदी सिनेमा का एक अदना सा दर्शक
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