एक बेड पर तीन-तीन बच्चे
अस्पताल का वार्ड नंबर दो जहां आईसीयू से ठीक होने के बाद बच्चों को रखा जाता है. कहने को उसे ऑब्जरवेशन रूम भी कह सकते हैं. लेकिन यहां अलग ही नजारा है. जमीन से लेकर बेड पर बच्चे ही बच्चे. कई बेड पर एक साथ दो या तीन बच्चों को रखा गया है. ऊपर से गर्मी और उनका बुखार से तपता बदन.
इन बच्चों को क्यों ना हो इंफेक्शन?
बच्चों के वार्ड के पीछे कई महीनों से जमा पानी, कूड़ा, पान और गुटखे की गंदगी. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अस्पताल में साफ-सफाई को लेकर क्या इंतजाम हैं.
अगर वार्ड्स के अंदर की बात करें तो सफाई के नाम पर वार्ड में पूरे दिन में दो बार झाड़ू और पोछा लगता है. लेकिन हर वक्त आते-जाते लोगों के साथ आती गंदगी के लिए क्या इतना काफी है?
बुखार से पीड़ित ज्यादातर बच्चों की उम्र 10 साल से कम
बच्चों के बुखार से तपते बदन देख मायूस मांओं को बस ठीक होने की आस
ज्यादातर बच्चे औसत से भी कम वजन के
अस्पताल में डॉक्टर और नर्सों की भी कमी
इंसेफेलाइटिस से मुजफ्फरपुर में सबसे ज्यादा बच्चों की मौत
अस्पताल परिसर में साफ-सफाई का ये है हाल
बिहार में ‘एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से पीड़ित तीन और बच्चों की बुधवार शाम से अब तक मौत हो चुकी है, जिसके बाद मरने वाले बच्चों की संख्या बढ़ कर 118 हो गई है.
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